बोले हरदोई: डंडे के सहारे सुरक्षा का भार मानदेय का महीनों इंतजार
Hardoi News - हरदोई। चाहे सर्दी हो धूप हो या बारिश, हमें ड्यूटी ईमानदारी से करनी है।हरदोई। चाहे सर्दी हो धूप हो या बारिश, हमें ड्यूटी ईमानदारी से करनी है।
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हरदोई। चाहे सर्दी हो धूप हो या बारिश, हमें ड्यूटी ईमानदारी से करनी है। सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा अपने कंधों पर रखना है। हम लोगों की सुरक्षा की चिंता करते हैं पर हमारी दिक्कतें ही कोई नहीं समझ रहा है। यह कहना है प्रांतीय रक्षक दल के जवानों का। बोले-संसाधनों का अभाव, ड्यूटी लगाने में भेदभाव, जवानों की संख्या ज्यादा होने से कई-कई दिन तक घर में बैठना पड़ता है। काम के अनुरूप पैसा न मिलना जैसी कई समस्याएं परेशान किए हैं। कार्यस्थल पर साफ पानी तक नसीब नहीं होता। ड्यूटी ऐसी जगह लगाई जाती है जहां आने-जाने के लिए संसाधन भी नहीं होते। चौराहों और प्रमुख सड़कों पर ट्रैफिक का दायित्व संभाल रहे प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान अपनी ड्यूटी तो पूरी तत्परता से निभा रहे पर इन्हें सुख-चैन नसीब नहीं। धूप-छांव की परवाह किए बिना सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं। अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को चैन की नींद देने वाले जवानों को संसाधनों और सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा। न दिन में सुकून है और न रात में चैन। जब चाहे जहां चाहे ड्यूटी लगा दी जाती है। संख्या के अनुसार पर्याप्त ड्यूटी उपलब्ध नहीं है, ऐसे में कई-कई दिन तक घर में ही बैठना पड़ता है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान के सामने यह दर्द अमित मिश्रा ने बयां किया। वह लंबे समय से पीआरडी जवानों के हकों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका कहना है कि ड्यूटी लगाने में भी भेदभाव होता है। अमित कहते हैं कि चहेतों को लगातार ड्यूटी मिल जाती है जबकि कई जवानों को महीनों बैठना पड़ता है। रोस्टर व्यवस्था में पारदर्शिता नहीं है। बैंक में प्रत्येक पीआरडी जवान का दुर्घटना बीमा के लिए खाता खुलवाने में हीलाहवाली हो रही है। समस्या उठाने पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर उत्पीड़न कर धमकाया भी जाता है।
मूलभूत सुविधाओं की कमी: पीआरडी जवान राहुल सिंह ने कहा कि 80 जवानों की प्रतिमाह आईटीआई, पॉलीटेक्निक, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय व अन्य संस्थानों में ड्यूटी लगाई जाती है। वहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है। कार्यस्थल पर उन्हें न तो शुद्ध पानी नसीब होता है, न बैठने के लिए स्थान और छाया। रात की ड्यूटी तो और मुश्किल होती है। दूर-दराज और सुनसान जगह की ड्यूटी करने में उनकी जान को खतरा बना रहता है। कई जवानों को रायफल का प्रशिक्षण दिया गया है पर विभागीय रायफलें पुलिस लाइन में ही जमा हैं। टॉर्च दी जाती और न वर्दी: अरविंद कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से न तो उन्हें टॉर्च दी जाती है और न ही वर्दी। डंडा और जूते भी उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। सारे संसाधनों का खर्च अपने मानदेय से उठाना होता है। कभी-कभी ड्यूटी ऐसे स्थानों पर लग जाती है जहां परिवहन का साधन तक उपलब्ध नहीं होता है। धन उगाही के चक्कर में ऑनलाइन ड्यूटी सिस्टम में भी सेंध लगा कर जिम्मेदार मनमानी करते हैं। कार्यालय में नगर पालिका की तरफ से लगी सोलर लाइटों खराब पड़ी हैं। बिजली के तार काफी पुराने होने से स्पार्किंग से आग लगने का खतरा मंडरा रहा है। महिला जवानों के लिए यूरिनल और शौचालय तक नहीं बना है। विभागीय ग्रुप पर खेल मैदानों में कहां-किसकी ड्यूटी लगी यह सूची सार्वजनिक नहीं की जाती।
हैंडपंप से निकल रहा दूषित पानी : डीएम चौराहे पर स्थित पीआरडी जवानों के कार्यालय में पीने के पानी के लिए सिर्फ एक ही हैंडपंप लगा है। इसमें महीनों से दूषित पानी निकल रहा है। हैंडपंप ठीक या रीबोर कराकर नया लगवाने के लिए कई बार मांग की गई पर कुछ न हुआ। प्यास लगने पर बोतलबंद पानी खरीदने या दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।
शस्त्र प्रशिक्षण लेकर भी डंडों के सहारे ड्यूटी : पीआरडी जवानों को पहले 22 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता था पर नए आदेशों के अंतर्गत अब होमगार्ड के समान 45 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है।
विभाग ने उनकी रायफलें पुलिस लाइन में जमा करवा दी हैं। उन्हें सिर्फ डंडों के सहारे ड्यूटी करनी पड़ रही है। ऐसे में किसी भी आपात स्थिति में जवानों के पास आत्मरक्षा या कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उचित संसाधन तक नहीं हैं। कई बार अफसरों के सामने यह मांग उठाई पर इस समस्या का समाधान नहीं निकल सका, इसे सुधारवाना चाहिए।
लोकसभा चुनाव का मेहनताना अब तक बकाया : लोकसभा चुनाव के दौरान ड्यूटी करने वाले 95 जवानों को अब तक उनका मेहनताना नहीं मिल सका है। इन जवानों के 22 लाख 50 हजार रुपये भुगतान का अटका हुआ है। समय पर मेहनताना नहीं मिलने की वजह से जवानों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है। पीआरडी जवानों ने बताया कि उन्होंने प्रदेश के अलग-अलग जनपदों के साथ कई अन्य प्रांतों में अपने खर्च पर ड्यूटी की थी पर अब तक उन्हें मेहनताना न मिलने से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। इनका कहना है कि अगर इसी तरह होता रहा तो परिवार कैसे चलाएंगे।
शिकायतें
1. पर्याप्त ड्यूटी नहीं होने से जवानों को हर दूसरे महीने घर बैठना पड़ता है।
2. जवानों को सिर्फ 395 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं, घर-परिवार चलाना मुश्किल है।
3. प्रशिक्षित जवानों को रायफल न देकर डंडा पकड़ा दिया जाता।
4. लोकसभा चुनाव के 22.50 लाख रुपये अब तक अटके।
5. ड्यूटी के लिए वर्दी तक नहीं दी जाती है।
6. ड्यूटी स्थल पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव, न बैठने की सुविधा न पानी।
7. जवानों को उनके घर एवं थाना क्षेत्र से दूर तैनात करने से आवागमन में दिक्कत होती है।
सुझाव
1. सभी जवानों को नियमित ड्यूटी देने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर उनकी तैनाती की जाए।
2. दफ्तर में आरओ नगर पालिका की तरफ से लगवाया जाए।
3. प्रशिक्षित जवानों को डंडे के बजाए हथियार दिए जाएं।
4. लोकसभा चुनाव का मेहनताना जल्द जारी किया जाए।
5. ड्यूटी पर आने-जाने का खर्च सरकार उठाए, साधन उपलब्ध हों।
6. ड्यूटी स्थल पर पानी, शौचालय, छांव और बैठने की व्यवस्था हो।
7. जवानों को उनके थाना क्षेत्र के आसपास तैनात किया जाए।
बोले पीआरडी जवान
हर महीने ड्यूटी नहीं मिलने से घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। महंगाई के दौर में मासिक 11700 रुपये काफी कम हैं। -राधाकृष्ण, गांव हसनापुर
हम होमगार्ड की तरह काम करते हैं। इसलिए समान काम के बदले हमें भी समान दाम 700 रुपये रोजाना दिया जाए। -अतुल अवस्थी, निजामपुर
संवेदनशील जगहों पर बिना शस्त्र ड्यूटी करना जोखिम भरा है। वहां तैनाती करने पर प्रशिक्षण और हथियार दिए जाएं। - रवींद्र कुमार, अरुआ पारा
लोकसभा चुनाव ड्यूटी का मेहनताना कई महीनों से रुका है। कई बार चक्कर लगा चुके हैं। जल्द भुगतान कराया जाए। -अरविंद कुमार, कचूरा
ड्यूटी स्थलों पर छांव और पानी तक की व्यवस्था नहीं होती है। आने-जाने के लिए वाहन भत्ता भी नहीं मिलता है। -रामकिशोर, रसूलपुर
मूलभूत सुविधाओं के बिना ड्यूटी करना बेहद कठिन और थकाने वाला है। सर्दी और गर्मी में दो बार वर्दी मिलनी चाहिए। -विकास अग्निहोत्री, सुंदरपुर
मनरेगा से बनवाए गए खेल मैदानों में भी विभागीय गार्डों की तैनाती की जाए। इससे ड्यूटी बढ़ेगी। खिलाड़ी भी सुरक्षित रहेंगे। -राहुल सिंह यादव, सुंदरपुर
ड्यूटी स्थल पर शौचालय, पेयजल और बैठने की जगह उपलब्ध होनी चाहिए। ताकि काम करने के दौरान दिक्कतें न हों। -दिलीप कुमार, सैदपुर
ड्यूटी के लिए हमें बहुत दूर भेजा जाता है, यह गलत है। नजदीक के ब्लॉक में ड्यूटी लगाई जाए। -आशुतोष सिंह, सैदपुर
प्रशिक्षित जवानों को विभागीय स्टेडियम में बतौर प्रशिक्षक तैनात किया जाए। महिलाओं को घर के नजदीक ब्लॉक में तैनाती दें। -बबिता
जवानों को भी विवेकानंद यूथ अवार्ड की तरह विभाग की ओर से सम्मानित किया जाए। थाना वार रुकने के लिए बैरिक बने। -शैलेंद्र
देश की रक्षा करने वाले जवानों की भांति रक्षक दल के जवानों का भी सम्मान किया जाए। मानदेय के साथ यात्रा भत्ता भी हर हाल में दिया जाए। -प्रेमा
बोले जिम्मेदार
जर्जर भवन बनवाने के लिए प्रयास चल रहा है। पेयजल की व्यवस्था कराने के लिए पत्राचार करेंगे। जवानों के बैठने के लिए पर्याप्त इन्तजाम कराएंगे। खराब लाइटों को ठीक कराने के लिए नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी से वार्ता करेंगे। प्रशिक्षित जवानों को शस्त्र देने के लिए भी उचित कदम उठाए जाएंगे। -शिवराम सिंह, जिला युवा कल्याण अधिकारी
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