दहशत: रास्ते में बेरीकेडिंग, घरों में कैद हो गए थे लोग
हरदोई। कार्यालय संवाददाता लाकडाउन के बाद जिले में पहला पाजिटिव मरीज तीन अप्रैल को...
हरदोई। कार्यालय संवाददाता
लाकडाउन के बाद जिले में पहला पाजिटिव मरीज तीन अप्रैल को पिहानी क्षेत्र में निकला था। तब पूरे जिले में सनसनी फैली गई थी। रास्ते बैरीकेटिंग लगाकर बंद कर दिए गए थे। हाईवे समेत मुख्य सड़कों पर पुलिस का पहरा था। आने-जाने वालों को रोका जा रहा था। पैदल आने जाने वाले रास्ते पर भी सुरक्षा कर्मी तैनात थे। चौराहों पर लाकडाउन का उल्लंघन कर बेवजह निकलने वालों पर कानूनी डंडे बरस रहे थे। जनमानस की जिन्दगी हालत पिंजरे में कैद पंक्षियों की तरह हो गई थी।
गांव में दस्तक देने के बाद कोरोना वायरस सण्डीला, मल्लावां, बिलग्राम के साथ हरदोई शहर में भी घूम-घूमकर लोगों को अपना शिकार बना रहा था। जिलाधिकारी व सीडीओ कार्यालय के निकट आबाद पाश इलाके सिविल लाइंस में कई घरों में पाजिटिव केस निकले। जेल भी कोरोना को नहीं रोक पाया था। बंदी के साथ ही कई जेल अधिकारी भी कोरोना पाजिटिव निकले थे। पुलिस लाइन में भी रोक के बावजूद कोरोना पहुंच गया था। कई महीने तक एसपी कार्यालय से लेकर पुलिस लाइन तक सिपाही से लेकर सीओ तक को कोरोना डस चुका था।
तमाम सुरक्षा के उपायों को भेदते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में भी कोरोना ने सनसनी फैलाते हुए एक ही दिन के अंदर 34 से ज्यादा कर्मचारियों को अपना शिकार बनाया था। कचहरी भी अछूती नहीं रही। वहां भी न्यायिक कर्मी इस बीमारी की चपेट में आए थे। इसके बाद नगर पालिका, विकास भवन का स्टाफ भी पाजिटिव आने के बाद दहशत में डूब गया था।
बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक घरों के अंदर ही थे। वे अपने गेट के बाहर गली तक में कदम रखने से डर रहे थे। पुलिस की जीपें व बाइक सवार जवान गलियों में घूम-घूमकर लोगों को जागरूक कर रहे थे।
कृपया घर पर रहें, सुरक्षित रहें
दहशत के बीच प्रशासन के वाहन व पुलिस की गाड़ियां एनाउंस कर ही थीं कि कृपया घरों में ही रहें। सुरक्षित रहें। बाहर न निकलें। कोरोना से बचें। पुलिस का सहयोग करें। सरकारी गाइडलाइन का पालन करें। कुछ नौजवान घरों में रहते रहते ऊब जाने पर जब सड़क पर निकलने थे तो अक्सर सुरक्षा कर्मियों के गुस्से का शिकार होकर पिटते थे। नुमाइश चौराहा, सिनेमा चौराहा पर तो सुबह से शाम तक सैकड़ों लोग लाठियां खाकर घर के अंदर लौटकर आ जाते थे।
हर तरफ सन्नाटा और सनसनी का था दबदबा
कोरोन बम फूटने के बाद हर तरफ सन्नाटे और सनसनी की ही गूंज दिख रही थी। सरकारी कार्यालयों में केवल कोरोना की ही चर्चा थी। सरकारी योजनाओं की फाइलें एक कोने में पड़ी थीं। फरियादी से भरे रहने वाले कलेक्ट्रेट, कचहरी, तहसील व ब्लाकों में परिंदा तक नजर नहीं आ रहा था। सब्जी मंडी व बाजार में दुकानों पर केवल लटकते ताले ही दिख रहे थे।
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