धड़ाम हुई मनरेगा! मात्र 47 हजार मानव दिवस का हुआ सृजन
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में सार्वजनिक शौचालय, पंचायत घर विहीन ग्राम पंचायतों में पंचायत घर निर्माण के साथ अन्य विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। प्रवासी श्रमिकों को भी...
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में सार्वजनिक शौचालय, पंचायत घर विहीन ग्राम पंचायतों में पंचायत घर निर्माण के साथ अन्य विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। प्रवासी श्रमिकों को भी अधिक से अधिक रोजगार देने के निर्देश हैं, पर नतीजे उत्साहित करने वाले नहीं है। लाख कोशिशों के बाद भी वित्तीय वर्ष के इन दिनों में सबसे कम मानव दिवस सृजन हो पा रहे हैं।
बीते माह गरीब रोजगार कल्याण योजना के तहत अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध करवाने की कवायद के तहत एक दिन में एक लाख 41 हजार मानव दिवस सृजित किए जा चुके हैं। पर मजदूरी भुगतान के लिए स्टेट पूल में धनराशि न होने के चलते हो रहा विलंब मनरेगा की राह का रोड़ा बन चुका है। हालात यहां तक खराब हैं कि, बुधवार 23 सितंबर को मात्र 47660 मानव दिवस ही सृजित हो सके। इसमें निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 80 फीसदी से कम प्रगति वाले ब्लॉक अहिरोरी, हरपालपुर, कोथावां, सुरसा हैं। 162 ग्राम पंचायतें ऐसी भी हैं जहां बिल्कुल ही काम नहीं हो रहा है।
जनपद में इस वित्तीय वर्ष 91 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है। वित्तीय वर्ष के छह माह बीत चुके हैं और ग्राम पंचायतें निर्धारित लक्ष्य से कहीं पीछे हैं। ऐसे में अब बचे हुए समय में प्रति ग्राम पंचायत प्रतिदिन 60 या उससे अधिक श्रमिकों को काम उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं। पर जनपद में प्रतिदिन औसत 36 मानव दिवस का ही सृजन हो पा रहा है।
भाजपा सांसद जय प्रकाश रावत के प्रतिनिधि जितेंद्र सिंह का कहना है कि मनरेगा में बजट की कोई कमी नहीं है। ऐसे में ब्लाक के अधिकारियों को अधिक से अधिक काम कराना चाहिए। ताकि गांव के लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके। कोरोना काल में जो लोग भी लापरवाही बरत रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
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