Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़हरदोईMNREGA laborers running shovels will now run the village government

फावड़ा चलाने वाले मनरेगा मजदूर अब गांव की सरकार चलाएंगे

हरदोई । अश्वनी यादव फावड़ा चलाकर गांव के विकास की इबारत लिखने वाले मनरेगा...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरदोईSat, 8 May 2021 10:02 PM
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हरदोई । अश्वनी यादव

फावड़ा चलाकर गांव के विकास की इबारत लिखने वाले मनरेगा मजदूर अब गांव की सरकार चलाएंगे। क्षेत्र के नवनिर्वाचित प्रधानों में आधा दर्जन मनरेगा मजदूर प्रधान बने हैं। हालांकि इनमें से कोई निवर्तमान प्रधान का चहेता है तो कोई बाहुबलियों का करीबी है। इसके बावजूद इनका कहना है कि विकास कार्य अपने विवेक से करेंगे।

हरपालपुर क्षेत्र के नगरा चौधरपुर ग्राम पंचायत से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से निर्वाचित ग्राम प्रधान नेकराम मनरेगा जॉब कार्ड धारक हैं। नेकराम व उनके बेटे पिछली योजना में मनरेगा के तहत काम करते रहे हैं। औहदपुर तिगांवा ग्राम पंचायत की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर कुलदीप प्रधान निर्वाचित हुए हैं। कुलदीप का मनरेगा योजना में जॉब कार्ड बना है। गांव के विकास कार्य में काम भी किया है। महदायन खुर्द ग्राम पंचायत की अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित सीट पर सीमा प्रधान निर्वाचित हुई हैं। उनकी माली हालत बहुत कमजोर है। उनके पति रामभजन मनरेगा योजना के तहत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते रहे हैं। पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित गोरिया ग्राम पंचायत से महावीर प्रधान निर्वाचित हुए हैं। उनका भी मनरेगा योजना में जॉब कार्ड बना है। पिछली पंचवर्षीय योजना में लगातार गांव के विकास कार्य में काम करते रहे।

इसी तरह खैरूद्दीनपुर अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित सीट पर गीता प्रधान निर्वाचित हुई हैं। इनके पति विष्णुपाल के नाम जॉब कार्ड बना है। मनरेगा के तहत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। काम न मिलने पर ईंट भट्ठे पर मजदूरी भी करते थे। पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित बर्रा ग्राम पंचायत से अशोक राठौर प्रधान निर्वाचित हुए हैं। मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत व क्षेत्र पंचायत के विकास कार्यों में काम करते रहे। फावड़ा चलाकर गांव के विकास कार्यों की इबारत लिखने वाले आधा दर्जन से अधिक निर्वाचित ग्राम प्रधान अब स्वयं गांव के भेदभाव रहित विकास कार्य करने की बात कह रहे हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर निर्वाचित अधिकांश प्रधानों को पूर्व प्रधानों या गांव के बाहुबली नेताओं के समर्थन से विजय हुए हैं। आरक्षण की सीढ़ी की बदौलत अब गांव स्तर पर माननीय बनने के बाद ये प्रधान विकास की रूपरेखा अपने हाथों से तैयार करेंगे।

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