फिर कोरोना ले डूबा आम का कारोबार

हरदोई। अशरफ अली खां कोरोना की मार ने इस साल भी आम की फसल को

Newswrap हिन्दुस्तान, हरदोईMon, 17 May 2021 10:33 PM
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हरदोई। अशरफ अली खां

कोरोना की मार ने इस साल भी आम की फसल को काफी हद तक प्रभावित किया है। प्रयास के बाद भी बागवान बौर को बचाने में सफल नहीं हो सके। 25 मई से दशहरी की टूट शुरू कर आम को पंजाब और हरियाणा के लिए लोड कर उसे भेजा जाना शुरू हो जाएगा।

फलों के राजा आम और उसकी पैदावार के मामले में शाहाबाद की सरज़मी दूर-दूर तक जानी और पहचानी जाती है। पूरा क्षेत्र आम की सैकड़ों नस्लों से भरा पड़ा है। पड़ोसी फलपट्टी क्षेत्र मलिहाबाद के अलावा आम की खरीद-फरोख्त के मामले में संडीला को भी एक बड़ा दर्जा प्राप्त है। लेकिन शाहाबाद की मिट्टी में आम का जो टेस्ट है वो कहीं दूसरी जगह नहीं। दूरदराज के प्रदेशों से आने वाले व्यापारी भी यहां के आम को ज्यादा पसंद करते हैं। दुख की बात यह है कि इस बार बहराइच, माल, मलिहाबाद ही नहीं यहां का मौसम भी फसल के विपरीत रहा। नगर क्षेत्र के पश्चिम मोहल्ला अख्तियारपुर, इनायतपुर पूरब में दनियापुर, नीरपुर दक्षिण में मलकापुर, अल्लाहपुर और उत्तर सांडी मार्ग पर मोहल्ला दिलावरपुर से लेकर गढ़ी चांद खां तक हजारों एकड़ में आम के बड़े-बड़े बागान हैं जिनकी रखवाली में बागवान पूरे साल एड़ी चोटी का जोर लगाते रहे हैं। इस साल आम का आफ इयर होने के बावजूद किसानों को जिस फसल और पैदावार की उम्मीद थी उसका नामों निशान कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ रहा। बागवानों के मुताबिक पेड़ों में बहुत बौर आया रोग लगा तो उन्हें कोरोना के कारण मन-माफिक दवाएं नहीं मिल पाई। फसलों को जहां तीन स्प्रे में काम हो जाता था वहां आठ और नौ बार हुए स्प्रे के बाद भी वो अपनी फसलों को नहीं बचा सके। नतीजा 70 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई। मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए अब किसान ओलों के रूप में आने वाले आसमानी कहर से भी घबरा रहे हैं।

गौरतलब है कि पूर्व सांसद इलियास आजमी जो खुद यहां के बागवान है के प्रयास से इसे फल पट्टी का दर्जा तो प्राप्त हुआ था लेकिन उसकी तरक्की और दरजात को बुलंद करने के मामले में गुजरी सरकारों ने कभी कोई ध्यान नहीं दिया। स्थानीय बागबान अपनी पुरानी परिपाटी और अपने दम पर इसे कायम रखें हैं। दूरस्थ इलाकों से आने वाले व्यापारियों के जरिए यहां का आम हर साल बिहार, बंगाल, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत देश के दूसरे राज्यों तक भेजा जाता है। कोरोना के चलते पिछले साल व्यापारियों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ी थी। इस साल हालात और भी नाजुक है ऐसे में व्यापारी और आढ़ती फोन के जरिए लगातार एक-दूसरे से संपर्क साधकर मौजूदा स्थितियों के पटरी पर आने का इंतजार कर रहे हैं।

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