कताई मिल चली तो हजारों परिवारों का भरेगा पेट
हरदोई। डॉ. केजी गुप्ता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घोषित बजट में प्रदेश की बंद...
हरदोई। डॉ. केजी गुप्ता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घोषित बजट में प्रदेश की बंद पड़ी कताई मिलों को पुन: चालू किए जाने के लिए 100 करोड़ रूपए का प्रावधान किए जाने से करीब 20 साल से बंद पड़ी औद्योगिक क्षेत्र संडीला स्थित कताई मिल के एक बार फिर से खुलने की उम्मीद जाग गई है। इससे क्षेत्र के लोगों में खुशी व्याप्त है। यदि मिल पूरी क्षमता से चली तो करीब 3500 लोग रोजगार पाएंगे।
कताई मिल के चालू होने से होजरी उद्योग के लिए कच्चा माल यहीं पर उपलब्ध हो सकेगा। इससे तमिलनाडु सहित अन्य प्रदेशों से माल मंगाने की समस्या दूर हो सकेगी। इससे प्रदेश का होजरी उद्योग आत्मनिर्भर बनेगा और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकेगा। बंद पड़ी कताई मिलों के चालू होने से सरकार को भी करोड़ों रूपए के राजस्व का लाभ होगा।
बीस साल से बंद पड़ी है संडीला की कताई मिल
उत्तर प्रदेश राज्य वस्त्र निगम की संडीला स्थित कताई मिल को 50 हजार 168 तकुओं की क्षमता से उच्च कोटि के सूत का उत्पादन कार्य जुलाई 1977 में शुरू किया गया था। लेकिन कुप्रबंधन व भारी घाटे के चलते सरकार ने 28 मार्च 2001 को इसे बंद घोषित कर दिया था।
प्रत्यक्ष रूप से 2500 लोगों को मिला था रोजगार
संडीला के औद्योगिक क्षेत्र में 53 एकड़ भूमि पर स्थापित कताई मिल में 2500 लोग सीधे तौर पर कार्यरत थे। इसके माध्यम से लगभग दस हजार लोगों का पालन-पोषण हो रहा था। मिल के बंद हो जाने से कार्यरत सभी अधिकारी व कर्मचारी बेरोजगार हो गए। क्षेत्र वीरान हो गया। क्षेत्र के आर्थिक विकास में इस मिल का उल्लेखनीय योगदान रहा है।
दस करोड़ रूपए का प्रतिवर्ष मिलता था राजस्व
कताई मिल के कर्मचारियों पर वेतन के रूप में प्रतिवर्ष 6 करोड़ रूपए का भुगतान किया जाता था। वेतन का अधिकांश पैसा नगर की बाजार में आता था जिससे बाजार समृद्ध थे और लोग खुशहाल। कताई मिल प्रतिमाह विद्युत बिल के रूप में 50 लाख का राजस्व अदा करती थी। एक्साइज, सेलटैक्स व इनकम टैक्स के रूप में लगभग 5 करोड़ का राजस्व अलग से देती थी। मिल के चलते क्षेत्र का हथकरघा उद्योग भी पूरे जोरों पर था।
दुनिया के कई देशों में निर्यात होता था कताई मिल का धागा
संडीला कताई मिल में करोड़ों रूपए मूल्य की ऑटोकोनर मशीनों से बना उच्च कोटि का धागा दुनिया के कई देशों को निर्यात किया जाता था। उच्च स्तरीय गुणवत्ता के लिए इस मिल को जून 1997 में आईएसओ 9000 का प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ था। यहां निर्मित सूत के रख रखाव व अन्य व्यवस्थाओं के लिए भी मिल को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार मिले थे।
बंदी के बाद करोड़ों रूपए का माल उचक्कों ने पार कर दिया
सरकार द्वारा मिल बंदी की औपचारिक घोषणा किए जाने के बाद कुद समय तक तो सिक्योरिटी रही लेकिन सिक्योरिटी के हटते ही चोर उचक्के मिल का करोड़ों रूपए का माल पार कर ले गए। लोग मिल के भवन में लगी ईंटें तक उखाड़ ले गए। मीडिया में चोरी की खबरें प्रकाशित होने के बाद नवम्बर 2010 में मिल की सुरक्षा का जिम्मा पूर्व सैनिक कल्याण निगम को सौंपा गया। कुछ समय तक जिला प्रशासन के पास भी सुरक्षा का जिम्मा रहा। मंगलवार को मिल परिसर में 7 सुरक्षाकर्मी- मस्तराम, रामकिशोर, गिरीश, शिवाकांत,रजत, नवाब खान व नन्द किशोर दिखाई दिए जो राज्य वस्त्र निगम की ओर से तैनात किए गए हैं। मिल का बचा खुचा भवन बेहद जर्जर हालात में है।
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