शहर से 30 किलोमीटर दूर होगा गंगा एक्सप्रेस वे
हरदोई। हिन्दुस्तान संवाद देश के प्रस्तावित सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण के...
हरदोई। हिन्दुस्तान संवाद
देश के प्रस्तावित सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए शासन से हरी झंडी मिलने के बाद औपचारिकताएं पूरी होने लगी हैं। जनपद की सीमा के भीतर एक्सप्रेस वे के संशोधित एलाइमेंट को जल्द ही स्वीकृति मिलने की उम्मीद जताई जा रही हैं। वहीं शासन ने जनपद में भूमि अध्यापति इकाई स्थापित करने के लिए भी निर्देश जारी कर दिए हैं।
मेरठ से प्रयागराज तक बनाए जाने वाले गंगा एक्सप्रेस वे में हरदोई जनपद के 86 गांव की भूमि अधिग्रहित की जानी है। इसके लिए शाहाबाद, सवायजपुर व बिलग्राम तहसीलों की चिन्हित ग्राम पंचायतों की भूमि अधिग्रहित करने की कवायद शुरू कर दी गई है। चिन्हित जमीनों की माप करवाई जा रही है। यही नहीं चिन्हित भूमि का एलाइमेंट मिलाने के लिए नामित एजेंसियों से सर्वे भी करवाया जा चुका है। जिस पर जल्द ही शासन से स्वीकृति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। एडीएम संजय सिंह ने बताया अब तक एलाइमेंट को स्वीकृति नहीं मिली है। उम्मीद है एक दो दिन में शासन से स्वीकृति प्राप्त हो जाए। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
चिन्हित गाटों के अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले शासन ने भूमि अध्यापति इकाई की स्थापना के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन की ओर से नजारत को पत्र लिख कर कार्यालय के लिए स्थान उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है जल्द ही किसानों को उनकी भूमि का अधिग्रहण व अधिग्रहित की गई भूमि का मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
जनपद की तीन तहसीलों से निकलने वाला यह एक्सप्रेस वे शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर होगा। शहर के लोगों को एक्सप्रेस वे पहुंचने के लिए बिलग्राम, सांडी या सवायजपुर से गुजरना होगा। गौरतलब हो कि एक्सप्रेस वे जिले की सीमा में सवायजपुर तहसील क्षेत्र के उबरिया खुर्द से बिलग्राम तहसील के पड़रा लखनपुर तक 52 किलोमीटर 400 मीटर में बनाया जाएगा। गंगा एक्सप्रेस वे छह लेन का बनाया जाएगा, हालांकि एक्सप्रेस वे को आठ लेन तक बढ़ाया जा सके इसके लिए किसानों की भूमि अधिग्रहित की जाएगी।
गंगा एक्सप्रेस वे निर्माण से पूर्व तीन सर्वे किए गए थे, पहले किए गए सर्वे में गंगा एक्सप्रेस वे को सांडी पक्षी बिहार के निकट से निकलना था। पर रामसर साइट होने व एनजीटी की आपत्तियों को देखते हुए इस सर्वे को नापास कर दिया गया। एक अन्य सर्वे में एक्सप्रेस वे शहर के करीब से निकाला जाना था, पर गंगा नदी से अधिक दूर होने के साथ साथ एक्सपे्रस वे की लंबाई बढ़ने के कारण इस सर्वे को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
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