शर्मनाक: 266 स्कूलों में व्हाट्सएप ग्रुप ही नहीं बन पाए
शैक्षिक सत्र 2020-21 में पढ़ाई कोरोना की भेंट चढ़ गई है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत ऑनलाइन पढ़ाई कराई गई लेकिन इससे कोई विशेष नतीजे धरातल पर नहीं निकले। इसकी मुख्य वजह ग्रामीण क्षेत्रों के अभिभावकों के...
शैक्षिक सत्र 2020-21 में पढ़ाई कोरोना की भेंट चढ़ गई है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत ऑनलाइन पढ़ाई कराई गई लेकिन इससे कोई विशेष नतीजे धरातल पर नहीं निकले। इसकी मुख्य वजह ग्रामीण क्षेत्रों के अभिभावकों के पास मोबाइल का अभाव रही। कई के पास एंड्रायड मोबाइल तो थे लेकिन उनमें नेट कनेक्टविटी न होने से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी। इसमें बेसिक शिक्षा विभाग भी इन बच्चों के भविष्य के बारे में नहीं परवाह की। जो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं उनके लिए बेसिक शिक्षा विभाग क्या कदम उठा रहा है।
बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनपद में 3187 प्राइमरी व उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। इनके व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए। वहीं 266 स्कूलों के व्हाट्सएप ग्रुप विभिन्न कारणों से नहीं बन पाए। जिन स्कूलों में ग्रुप बने वहां पर कार्यरत 14034 अध्यापकों में से 11193 अध्यापकों को दीक्षा एप पर ऑनलाइन पढ़ाने के लिए ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। 9182 शिक्षक ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए ग्रुप से जुड़ पाए। कुल कितने बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़ सके इसका ब्यौरा फिलहाल जिम्मेदार नहीं दे पा रहे हैं। वहीं अनुमान है कि जिले में करीब पौने 5 लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। इसमें से 15 से 20 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ पाए। लेकिन होमवर्क देने व बच्चों द्वारा होमवर्क करके भेजने की प्रक्रिया पटरी पर नहीं आ सकी।
बेसिक शिक्षा विभाग के एक खंड शिक्षा अधिकारी की मानें तो ऑनलाइन शिक्षा में तमाम व्यवहारिक खामियां हैं। कई परिवार ऐसे हैं जिनके कई बच्चे अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ते हैं। ऐसे में उनके पास इतनी क्षमता नहीं है कि अलग-अलग फोन का इंतजाम कर उसमें नेट की व्यवस्था कर सकें। वहीं दूरस्थ हरपालपुर, छिबरामऊ, मल्लावां के गंगा कटरी इलाकों के गांवों में मोबाइल कंपनियों के सिग्नल भी गायब रहते हैं।
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