Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़हरदोईAnnual work plan of four blocks on e gram swaraj so far zero

ई ग्राम स्वराज पर चार ब्लॉकों की वार्षिक कार्ययोजना अब तक शून्य

हरदोई। हिन्दुस्तान संवाद ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वहां की सरकार...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरदोईSun, 31 Jan 2021 10:21 PM
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हरदोई। हिन्दुस्तान संवाद

ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वहां की सरकार अब प्रशासक चला रहे हैं। पर 70 से एक सैंकड़ा ग्राम पंचायतों पर एक प्रशासक की नियुक्ति बेमानी साबित हो रही है। ग्राम पंचायतों के हालात खराब होते जा रहे हैं। साफ सफाई हो या पेयजल व्यवस्था न कोई देखने वाला है न सुनने वाला। और तो और शासन के सख्त निर्देशों के बावजूद पंचायती राज महकमें के ई ग्राम स्वराज पोर्टल पर ग्राम पंचायतों की वार्षिक कार्ययोजना फीड करने में जिम्मेदार रुचि नहीं ले रहे हैं।

वित्तीय वर्ष 2021-22 में ग्राम पंचायतों में कब, कहां और क्या विकास कार्य होंगे, ग्राम सभा की खुली बैठक में यह तय हो चुका है। शासन के निर्देश पर अभियान चला कर अक्टूबर 2020 में ही खुली बैठकों का आयोजन कर कार्ययोजना बनाई जा चुकी है। पर ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर कार्ययोजना फीड नहीं करवाई जा सकी है। जबकि 30 जनवरी तक शत प्रतिशत ग्राम पंचायतों की कार्ययोजना फीड करवाए जाने के निर्देश दिए गए थे।

डीपीआरओ गिरीश कुमार ने बताया अहिरोरी की 78, बिलग्राम की 79, हरियावां की 58 व सांडी की 68 ग्राम पंचायतों में से एक भी ग्राम पंचायत की कार्ययोजना फीड नहीं है। इसके अतिरिक्त कार्ययोजना फीड करवाने में अन्य ब्लॉकों का प्रतिशत भी दस से 20 ही है। ऐसे में संबधित सहायक विकास अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। कहा दो दिवस में स्पष्टीकरण न देने वाले एडीओ के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिख दिया जाएगा।

विकास कार्य हो रहे हैं प्रभावित

ग्राम पंचायतों की ग्राम निधि में अभी भी करोड़ों की धनराशि डंप पड़ी हुई है। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही राज्य वित्त की लगभग 20 करोड़ धनराशि ग्राम पंचायतों के खातों में भेजी गई थी। पर प्रशासकों की सुस्ती के चलते ग्राम पंचायतों में साफ सफाई व स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता भी सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। ऐसे में जिला प्रशासन व पंचायत विभाग के जिम्मेदारों का आंख बंद करना भी गांवों में रह रही 70 फीसदी आबादी को परेशान कर रहा है।

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