जर्जर पशु अस्पताल में कभी हो सकता हादसा
Accident can happen in a shabby animal hospital sometime
पशु विभाग के सीनियर अधिकारियों के बीते दस सालों से जर्जर पशु अस्पताल के डैमेज प्रमाण पत्र देने की पीडब्लूडी विभाग से गुहार अभी तक पेडिंग में है। इससे जर्जर अस्पताल कभी भी गिरकर हादसे का कारण बन सकता है।
सन् 1960 में पशुपालकों को वैज्ञानिक विधि से पशुपालन कराने के लिए तत्कालीन सरकार की ओर से सांडी में ब्लॉक स्तर का पुश चिकित्सालय खोला गया था। तबसे अब तक पशुओं की बीमारियों के साथ ही उनकी उन्नत नस्ल बनाने के लिए सांडी पशु चिकित्सालय मुख्य भूमिका अदा कर रहा है। यह अलग बात है कि उसके सहयोग के लिए सरकार के प्रयासों से अब कैखाई और श्रीमऊ में भी जूनियर शाखाएं खेालकर पशुपालकों को राहत प्रदान की गई। लेकिन अब सांडी स्थित पशु चिकित्सालय की जर्जर बिल्डिंग स्टाफ को भयभीत कर रही है।
इस बारे में जब हिन्दुस्तान ने पड़ताल की तो पता चला कि बीते दस सालों से नई बिल्डिंग के लिए प्रयासरत पशुपालन विभाग के सीवीओं की ओर से लगातार पीडब्लूडी विभाग को बगैर बाउण्ड्री,गायब खिड़कियां, टपकती छत के सर्वे के लिए लिखापढ़ी की गई। बीते फरवरी माह में जेई की ओर से सर्वे के बाद अब तक विभाग को भवन डैमेज की रिपेार्ट प्रेषित नहीं की गई। नतीजन पशु पालन विभाग जान जोखिम में डालकर पुराने और जर्जर भवन में क्षेत्र को सेवाए देंने को मजबूर है।
स्टाफ की जान जोखिम में
बरसात के मौसम में विभाग का स्टाफ जान जोखिम में डालकर पशुपालकों को सेवाए देने को मजबूर है। इस बारे में पशु चिकित्सक डॉ. धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि सीवीओ स्तर से पत्राचार के बाद भी अभी तक डैमेज प्रमाणपत्र नही मिलने से नही बिल्डिंग बनने में रोड़ा बना हुआ है।
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