कोरोना से एक साल में 113 की जा चुकी जान, दहशत में कैद जिंदगी
हरदोई। कार्यालय संवाददाता खतरनाक कोरोना क्या शुरू हुआ मानो आजादी छिन गई। पिछले साल...
हरदोई। कार्यालय संवाददाता
खतरनाक कोरोना क्या शुरू हुआ मानो आजादी छिन गई। पिछले साल 22 मार्च से हरदोई में शुरू हुआ सिलसिला सर्दी में कुछ कम हुआ पर थमा नहीं। इस एक साल के सफर में लोग पस्त हो गए। ऐसा इसलिए क्योंकि आंकड़ा डराने वाला जो है। जिले में पांच हजार से अधिक लोग अब तक संक्रमण की गिरफ्त में आ चुके हैं। इस दौरान 113 लोगों को जान गंवानी पड़ी। दहशत इसलिए भी कम नहीं है क्योंकि सेकेंड वेब में इसकी तेजी और बढ़ने के आसार हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को खतरे से आगाह किया है।
अप्रैल 2020 की दहशत से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी अलर्ट हैं। दोबारा संक्रमण फैलने से रोकने के लिए कंट्रोल रूम को एक बार फिर सक्रिय कर दिया गया है। रैपिड रेस्पांस टीमें भी तेजी पकड़ने लगी हैं। सीएमओ डॉ. सूर्यमणि त्रिपाठी के मुताबिक नया वायरस है। इसलिए इसके बारे में अभी कोई निश्चित नहीं है कि किस तापमान में यह बढ़ेगा और किसमें घटेगा। जब तब यह वायरस है तब तक संक्रमण का प्रसार कभी भी संभव है।
जब अपने ही मरीज से खौफ में रहते थे डाक्टर
हरदोई। बीते साल तीन अप्रैल को पिहानी के लोहोनी गांव में कोरोना वायरस की कदमताल के आगे हर कोई दहशत में रहा। शुरूआती दो महीने तो कोरोना मरीजों के पास जाने में डाक्टर तक खौफ में रहे। पिहानी में पहले युवा कोरोना मरीज के इलाज के दौरान डाक्टर प्रशांत रंजन जाते, परीक्षण करते और फिर दवाएं देते रहे, लेकिन पैरा मेडिकल स्टफ कमरे से दूर भागता रहा। कमोबेश यही हाल बावन हास्पिटल में भी रहा। वहां डाक्टर और हेल्थ वर्कर मरीज को दूर से ही दवा और खाना देते रहे हैं। इसके बाद 100 बेड के संयुक्त चिकित्सालय व केंद्रीय विद्यालय को कोविड हास्पिटल बनाया गया था।
पीपीई किट का भी था संकट मास्क तक नहीं थे उपलब्ध
हरदोई। बीते साल अप्रैल में जैसे ही संक्रमण बढ़ने लगा तो शहर में पीपीई किट का संकट पैदा हो गया। मास्क तक लोगों को नहीं मिल रहे थे, तब डाक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को रूमाल और अंगौछे से चेहरे ढककर मरीजों का इलाज करना पड़ रहा था।
आंकड़ों के आईने में कोरोना की चाल
अब जिले में 12 एक्टिव केस हैं। अब तक 5956 लोग संक्रमित निकल चुके हैं। करीब 2 लाख 68 हजार 148 लोगों के सैंपल की जांच की जा चुकी है। 97.90 फीसदी लोग ठीक हो रहे हैं। सैंपल में पाजिटिव केस निकलने की दर 2.2 फीसदी है।
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