संसार में आसक्ति का न होना ही सच्चा वैराग्य है: इंद्रेश उपाध्याय
कथा वाचक इंद्रेश उपाध्याय ने बताया कि सच्चा वैराग्य आसक्ति का न होना है। उन्होंने कहा कि ज्ञान सर्वोपरि है और भक्तों को भगवान स्वयं हृदय से लगाते हैं। उन्होंने भक्ति के महत्व पर जोर दिया और सांसद अरुण...
कथा वाचक इंद्रेश उपाध्याय ने बताया कि संसार में आसक्ति का न होना ही सच्चा वैराग्य है। चित्त रूपी पात्र न हो तो ज्ञान टिक नहीं सकता। इसीलिए ज्ञान सर्वोपरि हैं। ज्ञान से हीन पुरुष पशु के समान होते है। ग्यानी ही जानता है शास्त्र क्या है। ज्ञान से ठाकुर जी की प्राप्ति भी हो सकती है। परंतु भक्तों को भगवान स्वयं हृदय से लगाते है। भक्ति का स्थान पहला है । वह रविवार को नगर के एलएन रोड स्थित श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन श्रीमद्भागवत कथा का अनुश्रवण कर बोल रहे थे। कथा का शुभारंभ मेरठ-हापुड़ लोकसभा सांसद अरुण गोविल ने किया। जय श्री राम के घोष से गुंजायमान वातावरण अवध की याद दिल रहा था। इंद्रेश उपाध्याय ने भक्त भोंदू का चरित्र सुनाया। उन्होंने कहा कि मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म वही है जिससे भगवान प्रसन्न हो जाए और हृदय में अहेतुकी भक्ति के साथ आत्मा को भी आह्लादित कर दें। कीर्तन, भजन, यज्ञ, तप और अनुष्ठान करने पर भी ठाकुर जी खुश न हो तो समझो केवल श्रम ही है।
इस लिए प्रयास करके भक्ति युक्त मन से काम करो तो संसार के मध्य ही ठाकुर जी के दर्शन हो जाएंगे। कथा के मध्य भक्तिमती पूर्णिमा दीदी, बाबा चित्र-विचित्र एवं अनेक संतो के मध्य महामंडलेश्वर संत डॉ स्वामी विवेकानंद महराज एवं संत श्री रविन्द्रानंद महराज विराजमान रहे। भजन संध्या का दिव्य आनन्द प्राप्त हुआ। भक्तों ने मंत्रमुग्ध होकर नृत्य किया।
सांसद अरुण गोविल ने श्रीमद् भागवत कथा से पहले आह्वान किया कि भागवत कथा को वह सुन रहे हैं उसको अपने जीवन और आचरण में भी उतरना चाहिए। अगर आप कथा के वचनों को अपने जीवन में उतरेंगे तो निश्चित रूप से ही आपके जीवन में एक बड़ा परिवर्तन होगा। श्री भागवत पुराण हमारे सनातन धर्म का सबसे बड़ा पुराना है, जिसमें चारों वेदों का समावेश है।
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