रिकवरी घटी: 3.5 लाख कुंतल कम हुआ चीनी उत्पादन
Hapur News - फोटो--- पड़ा असर -कम उत्पादन इस बार चीनी की मिठास को महंगी कर सकता है -हापुड़ जिले की दो शुगर मिलों पर पिछले साल से साढ़े तीन लाख कुंतल कम चीनी बनी -च

पांच साल के भीतर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल, बुंदेलखंड के बाद वर्तमान मे पश्चिमी क्षेत्र के जिलों में गन्ना की 0238 प्रजाति ने किसानों के होश फाख्ता कर दिए हैं। अधिक लागत के बाद गन्ना कम होने से जहां किसान घाटे में है। वहीं शुगर लॉबी को चीनी उत्पादन में झटका दे दिया है। हापुड़ जिले में दो शुगर मिल में पिछले साल से साढे तीन लाख कुंतल चीनी का उत्पादन हुआ है। वहीं गन्ना भी साढ़े 14 लाख कुंतल कम मिला है। 0238 प्रजाति के गन्ने से चीनी उत्पादन में यूपी को अव्वल करने वाली शुगर लॉबी इस प्रजाति में आई बीमारी ने शुगर लॉबी को घाटे में ला दिया है।
क्योंकि पांच साल से गन्ने की रिकवरी लगातार घटती जा रही है। 2 से अधिक प्रतिशत रिकवरी कम हो चुकी है। पेराई सत्र 2024-25 में जिले के करीब 39 हजार हेक्टेयर रकबे में गन्ना हुआ है, जो पिछले चार साल से करीब दो फीसदी अधिक रहा। पिछले साल की तुलना में गन्ने का रकवा बढ़ने के बाद भी चीनी कम और गन्ना भी कम मिला है। साढे तीन लाख कुंतल चीनी कम-- सिंभावली के महाप्रबंधक करन सिंह ने बताया कि बी हैवी रिकवरी प्रतिशत घटने से चीनी और एथनॉल पर प्रभाव पड़ा है। हालांकि सिंभावली और ब्रजनाथपुर मिल पर साढ़े 14 लाख कुंतल गन्ना कम आया है। सिंभावली में पिछले साल 13 लाख कुंतल चीनी थी जो इस बार 10 लाख कुंतल चीनी बनी है। जबकि ब्रजनाथपुर मिल चार लाख कुंतल चीनी बनी है। जो पहले साढ़े चार लाख कुंतल थी। उन्होंने बताया कि अगर एथनॉल कम करते तो एक लाख कुंतल चीनी का उत्पादन बढ सकता था। परंतु एथनॉल भी पिछले साल से कम है। चीनी के रेट चटके-- बी हैवी पर रिकवरी प्रतिशत घटने से चीनी का उत्पादन पूरे प्रदेश में कम रहा है। चीनी का रेट 38 रुपये किलो से साढ़े 40 रुपये किलो पहुंच गया है। जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में चीनी के रेट बढ़ेंगे। 75 प्रतिशत खत्म की बीमार वैरायटी---- सिंभावली गन्ना प्रबंधक विश्वराज के अनुसार 2006 में यह प्रजाति हापुड़ में आई थी। जिसके चलते 19 साल में गन्ने की उम्र पूरी हो चुकी है। अब गन्ने में कई रोग रेड बोरर आदि लग गएहै। जिले में 86 प्रतिशत भूमि पर इसी प्रजाति गन्ना उगाया जा रहा था। परंतु इस साल 75 प्रतिशत यह गन्ना किसान ने खत्म कर दिया है। पहले पूर्वांचल, फिर बरेली और अब पश्चिम के जिलों में 0238 के गन्ने ने किसानों को अधिक लागत के बाद कम वजन निकलने से मुकसान दिया है। जबकि रिकवरी घटने से चीनी और एथनॉल का उत्पादन घटा है। 5 साल में घट गई रिकवरी, उत्पादकता-- सिंभावली शुगर मिल के गन्ना प्रबंधक विश्वराज सिंह का कहना है कि तीन साल पहले गन्ने में 11.70 प्रतिशत रिकवरी थी, जो पिछले बार 10.85 तक रह गई है। मिल के महा प्रबंधक करन सिंह ने बताया कि इस बार बी हैवी पर रिकवरी 9.28 प्रतिशत रह गई। जबकि ब्रजनाथपुर में 9.04 प्रतिशत रह गई है। जिसका कारण है 0238 प्रजाति में रेड बोरर का रोग है। 70 कुंतल बीघा से उत्पादकता घटकर 30 से 40 कुंतल रह गई है। गारंटी का समय हो चुका है पूरा---- 0238 प्रजाति को लेकर वर्ष 2002 में काम शुरू हुआ। तमाम टेस्टिंग के बाद 2006 में यह हापुड़ आ गई थी। प्रजाति को हापुड़ में 19 साल हो चुके हैं। यही कारण है कि यहां पर यह वैरायटी अब बेकार हो गई है। गन्ना महा प्रबंधक विश्वास राज का कहना है कि 75 प्रतिशत यह वैरियाटी किसान खत्म कर चुका है। इस लिए अगले सालों में चीनी और गन्ना उत्पादन बढेगा। 5 साल में मिल ने खरीदा गन्ना ::::::: वर्ष------- सिंभावली मिल-------- ब्रजनाथपुर मिल 2020-21----- 151.33------ 56.85 2021-22------ 145.66--- ----56.02 2022-23----- 145.24 --------56.76 2023-24------ 115.65-------- 50.39 2024-25------- 100--------- 42 (नो ट : पेराई लाख कुंतल में हैं।) -- गन्ने के रकबे की स्थिति- वर्ष गन्ने का रकबा हापुड़::::::: 2021- 42847 हेक्टेयर 2022- 41946 हेक्टेयर 2023- 38346 हेक्टेयर 2024- 39296 हेक्टेयर
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