टूटी सड़क और गंदगी से कराह रही है गढ़-ब्रजघाट तीर्थ नगरी
गंगा भक्तों समेत स्थानीय लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर -जलभराव, गंदगी, नालियों में हो रही कूड़ा करकट की भरमार फोटो नंबर 200 से 205 तक ब्रजघाट(गढ़मुक्त
यूपी का हरिद्वार कहलाए जाने वाली तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर-ब्रजघाट में सड़कों का टूटा हाल लोगों को परेशान कर रहा है। शहर और ब्रजघाट में टूटी सड़कें और नाले लोगों के लिए मुसीबत बन चुके हैं। तीर्थनगरी में प्रत्येक माह की आमावस्या और पूर्णिमा को देश के विभिन्न राज्यों से 2 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। जबकि कार्तिक मेला और दशहरा पर 10 से 20 लाख श्रद्धालुओं का आगमन होता। कांवड़ मेले के दौरान पांच लाख के करीब श्रद्धालु पहुंचे। परंतु समस्याओं के मकड़जाल में फंसी तीर्थनगरी के रहने वाली आबादी विकास की बाटच जोह रही है। जुलाई में तेज बारिश में एक मासूम बच्चा नाले के पानी में बह गया, जिसका आज तक सुराग नहीं लग पाया है। कांवडिया टूटे रास्तों से होकर गुजरे हैं। यहां तक कि आज ब्रजघाट के एक वार्ड में पालिका द्वारा रास्ता न बनाए जाने पर मोहल्ले के लोगों ने खुद ही रास्ते का निर्माण शुरू कर दिया है।
मुक्ति धाम के रूप में विख्यात ब्रजघाट गंगानगरी में नाम बड़ा और दर्शन छोटे वाली कहावत चरितार्थ होने के साथ ही पालिका द्वारा शासन की मंशा पर भी पानी फेरा जा रहा है। जिससे स्थानीय लोगों समेत धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आने वाले गंगा भक्तों को इस दौर में भी नरकीय जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है।
हरिद्वार के उत्तराखंड में शामिल होने के बाद प्रदेश की तत्कालीन राजनाथ सरकार ने सदियों से उपेक्षित ब्रजघाट गंगानगरी को इसी तर्ज पर विकसित कराने का बीड़ा उठाया था। जिसके तहत विकास योजनाओं का लंबा चौड़ा प्रारूप तैयार कराकर उसे अमलीजामा पहनाने का जिम्मा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के सुपुर्द किया गया था। गढ़ में परिक्रमा पथ और ब्रजघाट गंगा किनारे घंटाघर समेत इक्का दुक्का विकास कार्य कराने के बाद ही जीडीए ने धनाभाव का राग अलापते हुए अपने दायित्व से पल्ला झाड़ लिया था। जिसे उपरांत शासन स्तर से यहां की विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने का जिम्मा हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण के सुपुर्द कर दिया गया था। इसके बाद भाजपा से सत्ता से बेदखल हो गई, क्योंकि पहले सपा और फिर बसपा की सरकार बन गई। जिससे विकास योजनाओं का सपना परवान चढऩे की बजाए ठंडे बस्ते में पड़ गया, परंतु 2012 के चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर अखिलेश यादव के शासन में यहां की विकास योजनाओं को फिर से गति मिलने लगी। परंतु यह रफ्तर प्रस्तावित योजनाओं के मुकाबले बेहद मामूली साबित हुई थी। 2017 में के सत्ता में लौटते ही महज तीन माह के भीतर पांच जुलाई को सीएम योगी ने यहां का दौरा कर विकास योजनाओं की लंबी चौड़ी घोषणा कर डाली थीं। जिनमें हरिद्वार की तर्ज पर विकास के साथ ही ऋषिकेश की तर्ज पर गंगा की जलधारा में हैंगिंग पुल बनवाया जाना शामिल था। इसके अलावा भी वैदिक सिटी और हस्तिनापुर से वाया ब्रजघाट होकर महाभारत कालीन पुष्पावती पूठ तक ईको टूरिज्म सेंटर बनवाने की घोषणा भी की गई थी। पहली सत्ता का कार्यकाल पूरा होने के बाद अब दूसरी सत्ता को भी दो साल से अधिक का समय बीत चुका है। परंतु विकास योजनाओं का धरातल पर उतर पाना संभव न होने से मुक्ति धाम को जन समस्याओं के मकडज़ाल से कोई मुक्ति मिल पानी संभव नहीं हो पाई है। ब्रजघाट तीर्थनगरी के वार्ड पंद्रह में हर तरफ जन समस्याओं का बोलबाला होने से स्थानीय लोगों के साथ ही धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आने वाले गंगा भक्तों को भारी दिक्कतों का सामना करना मजबूरी बनी हुई है।
--क्या कहते हैं जिम्मेदार
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पूर्व सभासद महेश बंसल का कहना है कि वार्ड में सैकड़ों धर्मशाला, आश्रम और मंदिर बने होने से हजारों साधू संत भी यहां रहते हैं। परंतु नालियों में कूड़ा करकट की भरमार के साथ ही निकासी की कोई उपयुक्त व्यवस्था न होने से सडक़ों पर जलभराव और आबादी में हर समय गंदगी की भरमार रहती है। सडक़ न बनने पर स्थानीय लोगों को खुद ही श्रमदान करते हुए अपने खर्चे से घरों के आगे सडक़ बनवाने की कवायद करनी पड़ रही है।
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सभासद अरुण गौड़ कहते हैं कि पालिका स्तर से सौतेला व्यवहार होने के कारण मुक्ति धाम के रूप में विख्यात ब्रजघाट गंगानगरी समस्याओं के मकडज़ाल में घिरी होने से स्थानीय लोगों के साथ ही गंगा भक्तों को भारी दिक्कत झेलनी पड़ रही हैं। पालिका द्वारा शासन की मंशा पर भी पानी फेरा जा रहा है, जिसके कारण स्थानीय लोग अलग से नगर पंचायत का दर्जा दिलाए जाने की मांग लगातार करते आ रहे हैं।
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ईओ मुक्ता सिंह का कहना है कि बारिश होने पर आबादी से जुड़ीं सडक़ों पर नेशनल हाईवे का पानी भर जाता है, जिससे मुक्ति के लिए जल्द ही निकासी की व्यवस्था को चाक चौबंद कराते हुए एनएचएआई को भी पत्र भेजकर अपने पानी की रोकथाम कराने की मांग उठाई जाएगी।
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चेयरमैन राकेश बजरंगी का कहना है कि किसी भी भेदभाव के बिना जरूरत के अनुसार सभी वार्डों में जनहित से जुड़े विकास कार्य कराए जा रहे हैं। सफाई निरीक्षक के मनमाने रवैये के कारण सफाई व्यवस्था चाक चौबंद नहीं हो पा रही है, जिसको लेकर शासन स्तर को भी शिकायत भेजी हुई है।
फैक्टो फाइल---
वार्ड ---25
आबादी---50 हजार
आय--ब्रजघाट पार्किंग का ठेका---50 लाख के आसपास
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