अब डीएल के लिए नहीं जाना पड़ेगा आरटीओ ऑफिस
Hapur News - हिंदुस्तान एक्सक्लूसिव ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर - ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर में ही होंगी सभी प्रक्रिया - ड्राइविंग सीखने से लेकर लाइसेंस भी बनाएंगे -

अब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आपको आरटीओ ऑफिस के चक्कर लगाकर दलाल पकड़ने की आवश्यकता नहीं रहेगी। क्योंकि प्रदेश में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। जिसके चलते हापुड़ में भी एक साल में सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा। यह सेंटर चालकों को ड्राइविंग का प्रशिक्षण देने के साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की जिम्मेदारी भी निभाएगा।
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर, बिजनौर, पीलीभीत, शहाजहांपुर, सहारनपुर, मुरादाबाद के बाद अब गाजियाबाद और हापुड़ में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर बनना शुरू हो गया है। तैयार हो रहे ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर में लोगों को वाहन चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस ड्राइविंग सेंटर को रिलायंसर रोड पर पिलखुवा के पास खोला गया हैं। जहां जिले में दो और चार पहिया गाड़ियां चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यहां पर ड्राइविंग प्रशिक्षण केन्द्रों के निर्माण की योजना भी बनाई जाएगी। दो पहिया वाहन से लेकर चार पहिया वाहनों के लिए ट्रेनिंग के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। ट्रेनिंग के बाद यहां पर टेस्टिंग भी करवाई जाएगी।
ऑफिस के चक्कर लगने होंगे बंद
एआरटीओ छवि सिंह ने बताया कि यह नया केंद्र गाजियाबाद में बना रहे ट्रेनिंग सेंटर वाली प्राइवेट कंपनी ने ही लिया है। यह ट्रेनिंग प्रशिक्षण स्कूल के नाम पर जाना जाएगा। यह ट्रेनिंग सेंटर एक निजी प्रशिक्षण केंद्र है। यह सेंटर चालकों को ड्राइविंग का प्रशिक्षण देने के साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की जिम्मेदारी भी निभाएगा। इसके लिए आरटीओ की तरफ से इस ट्रेनिंग सेंटर को कुछ छूट दी जाएगी। बताया कि पूरे प्रदेश में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत ऐसे ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं।
एक साल के अंदर सेंटर का संचालन शुरू होने की उम्मीद है। एआरटीओ कार्यालय पर लिए जाने वाले टेस्ट को देने की जरूरत नहीं होगी। अभी लाइसेंस बनवाने के लिए एआरटीओ कार्यालय में टेस्ट देना पड़ता है। टेस्ट व विभागीय प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही डीएल मिलता है।
एआरटीओ ने बताया कि सड़क हादसे कम करने के लिए हल्के व भारी वाहनों को चलाना सिखाकर प्रशिक्षण देकर दक्ष किया जा सके। इसके लिए शासन स्तर से प्राइवेट क्षेत्र में प्रत्यायन ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर (एडीटीसी) बनाए जा रहे हैं।
एक-दो एकड़ में होंगे केंद्र
एआरटीओ ने बताया कि हल्के वाहन के लिए केंद्र बनाने को एक एकड़ जमीन जबकि भारी वाहन के दो एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। इन केंद्रों पर लर्निंग लाइसेंस के प्रशिक्षण के लिए कक्षाओं का संचालन होगा जबकि परमानेंट लाइसेंस पाने को टेस्ट देने के लिए सिमुलेटर और आटोमेटिक ट्रैक पर प्रशिक्षण की भी व्यवस्था होगी। केंद्र प्रबंधक को चालकों को प्रशिक्षण देने के एवज में फीस मिलेगी। इन सेंटरों की मान्यता पांच वर्षों के लिए होगी। इसके बाद इनका रिन्यूअल कराना होगा। फिटनेस सेंटर के लिए फरवरी का समय था, जो 50 प्रतिशत ही पूरा हो पाया है। तीन महीने का समय दिया गया है। इसके अलावा ट्रेनिंग सेंटर एक साल में पूरा बना कर शुरू करने का समय है।
वर्जन
औसतन प्रतिदिन बनते हैं 30 लाइसेंस
एआरटीओ कार्यालय पर प्रतिदिन 20-30 आवेदक पहुंचते हैं। अब इन आवेदकों को कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं होगी। विभाग की ओर से डीएल बनवाने की प्रक्रिया ऑनलाइन की हुई है, लेकिन परमानेंट डीएल के लिए कार्यालय आकर बायोमैट्रिक व फोटो खिंचवाना पड़ता है। अब निजी सेंटर बनने से आवेदकों की पूरी प्रक्रिया होने के बाद आनलाइन डीएल डाउनलोड हो जाएगा और फिजिकल डीएल घर पहुंच जाएगा। - छवि सिंह एआरटीओ प्रशासन
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