अपहरण दुष्कर्म के मामले में बीस वर्ष सश्रम कारावास की सजा
25 हजार रुपये के अर्थदंड से अभियुक्त को किया दंडितरावास और 25 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। विशेष लोक अभियोजक हरेंद्र त्यागी ने बताया कि प
अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट उमाकांत जिन्दल ने अपहरण और दुष्कर्म के मामले में शुक्रवार को निर्णय सुनाया है। जिसमें न्यायाधीश ने अभियुक्त को दोषी करार दिया है। अभियुक्त को बीस वर्ष सश्रम कारावास और 25 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।
विशेष लोक अभियोजक हरेंद्र त्यागी ने बताया कि पिलखुवा कोतवाली में पीड़ित ने मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया कि 30 दिसंबर 2016 को उसकी 14 वर्षीय लड़की बिना किसी से कुछ बताए चली गई। पीड़ित ने उसी समय से अपनी लडकी को अपने परिवार सहित अपनी जानकारी व रिश्तेदारी में तलाश किया। इसी बीच पीड़ित को बताया कि उसकी लड़की को ग्राम निवासी मोनू के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर निजामपुर से बस में साथ जाते देखा है। पीड़ित की लडकी को मोनू बहला फुसलाकर अपने साथ ले गया है तथा दोनों ग्राम से गायब हैं। पुलिस ने पीड़ित की तहरीर पर अपहरण का मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी।
विशेष लोक अभियोजक हरेंद्र त्यागी ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट उमाकांत जिंदल ने इस मुकदमें की सुनवाई करते हुए अभियुक्त मोनू को भा.दं. सं की धारा 363 के अन्तर्गत 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5,000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड अदा न करने की दशा में एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भोगना होगा । अभियुक्त मोनू को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं बीस हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड अदा न करने की दशा में 6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भोगना होगा ।उपरोक्त सभी सजाएं एक साथ चलेंगी ।
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