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ई-साक्ष्य एप बना पुलिस का नया हथियार

Hapur News - डिजिटल मोड में हुई पुलिस, क्राइम सीन साक्ष्य अब और सुरक्षितऔर सुरक्षित फोटो संख्या 10 विशाल गोयल, हापुड़ किसी भी वारदात के घटनास्थल पर मिलने वाले साक्

Newswrap हिन्दुस्तान, हापुड़Tue, 22 April 2025 02:09 AM
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ई-साक्ष्य एप बना पुलिस का नया हथियार

किसी भी वारदात के घटनास्थल पर मिलने वाले साक्ष्य अहम होते हैं। क्राइम सीन को सुरक्षित रखना अति महत्वपूर्ण होता है। साक्ष्यों को पेन ड्राइव,सीडी, डीवीजी के माध्यम से पुलिस को अदालत में पेश करना होता था। मगर, अब भारतीय नागरिकता सुरक्षा संहिता लागू होने के बाद गिरफ्तारी, तलाशी और सीज कार्रवाई की वीडियोग्राफी करना अनिवार्य है। इन साक्ष्यों को सुरक्षित रखने के लिए इस साक्ष्य एप का पुलिस द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। जनपद के पुलिस कर्मियों को ई-साक्ष्य एप में साक्ष्य सुरक्षित करने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कई चरणों में उन्हें इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जा चुकी है। अपराध होने पर घटनास्थल की फोटो और वीडियोग्राफी की जाती है। तलाशी और सीजर की कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी साक्ष्य में शामिल किया जाता है। इसके साथ ही सभी लिखापढ़ी के दस्तावेज तैयार होते हैं। इन साक्ष्यों को सुरक्षित रखने के लिए ई-साक्ष्य एप पर काम किया जा रहा है। सात वर्ष से अधिक सजा के मुकदमों के साक्ष्य ई-साक्ष्य एप पर अनिवार्य रूप से सुरक्षित किए जा रहे हैं। हर विवेचक की अपनी लाॅगइन आईडी बनाई गई है। विवेचक मुकदमा संख्या दर्ज करेंगे। इसके साथ ही डिजिटल और दस्तावेज साक्ष्य अपलोड कर फाइल सुरक्षित की जा रही है।

वीडियो और फोटो बनाने की दिया जा चुका प्रशिक्षण

पुलिस कर्मियों को घटनास्थल पर की जाने वाली वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के बारे में जानकारी दी जा चुकी है। जिससे की अनावश्यक वीडियो और फोटो अपलोड करने से बचा जा सके। घटना के बाद साक्ष्य के रूप में क्या क्या सीन उपयोगी होते हैं, इसके बारे में भी जानकारी दी गई है।

अदालत और पुलिस के बीच कड़ी बनेगा ई-साक्ष्य एप

नए नियमों के अनुसार, अगर कोई मुकदमा बीएनएस के तहत दर्ज होता है, तो केस की छानबीन करने वाला पुलिस अधिकारी ई-साक्ष्य एप पर अपना अकाउंट खोलता है। फिर वह केस से जुड़े सभी सूबत इस एप पर अपलोड करता रहता है। इसके फोटो, वीडियो आदि सभी कुछ शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही जांचकर्ता अधिकारी को एक यूनिक नंबर मिलता है। यह इस मुकदमें का खास नंबर होता है, जिसके जरिए इस मामले से जुड़े साक्ष्य फिर अपलोड किए जा सकते हैं। अदालत में भी यह ई-साक्ष्य एेप उपलब्ध होता है। एेसे में मुकदमें में ट्रायल के दौरान जज यह देख सकते हैं कि उस समय केस से जुड़े लोगों के बयान क्या थे। तकनीकि साक्ष्य के आधार पर अदालत आरोपी को सजा सुना सकती है। इस तरह से ई-साक्ष्य एेप पुलिस और अदालत के बीच की कड़ी का काम भी करता है।

ई-साक्ष्य एेप कैसे करता है मदद

ई साक्ष्य एेप का इस्तेमाल करके किसी अदालत के न्यायाधीश और अदालती अधिकारी साक्ष्यों को डिजिटल रूप में संग्रहित कर सकते हैं। एेप में सबूतों की प्रमाणिकता की जांच करने के लिए विशेष सुविधाएं भी दी गई हैं। एेप में साक्ष्यों को सुरक्षित रूप से संग्रहित करने के लिए विशेष सुविधाएं है, जिससे काफी लंबे समय तक सबूत सुरक्षित रहते हैं।

पुलिस को मिल चुके हैं आधुनिक उपकरण

जिला पुलिस को नए कानूनों के क्रियान्वयन और ई-साक्ष्य एप पर सबूत अपलोड करने के लिए आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जा चुके हैं। पिछले दिनों डीआईजी कलानिधि नैथानी की मंजूरी से जनपद पुलिस को आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए गए थे। इन उपकरण में 354 स्मार्ट फोन, 35 टेबलेट, 7 प्रिटंर, पोर्टेबल हार्ड डिस्क, पैन ड्राइव,जनपद स्तर पर फोरेंसिक मोबाइल वैन के लिए लैपटाप, स्मार्टफोन, फोरेंसिक किट बैग, डीएसएलआर कैमरा, मिनी रेफ्रिजरेटर भी दिए जा चुके हैं।इनके मिलने के बाद तेजी से इस एप पर कार्य हो रहा है।

क्या कहते हैं सीओ सिटी

ई-साक्ष्य एप को लेकर पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों के अनुसार इस पर एप पर काम किया जाएगा। एप में साक्ष्यों को सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जा रहा है। जितेंद्र कुमार शर्मा, सीओ सीटी

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