-पागल कुत्ते ने महिला बच्चों पर किया हमला, मची अफरा तफरी
Hapur News - - भयभीत ग्रामीणों ने घेराबंदी कर कुत्ते को मारकर दिलाई राहत - भयभीत ग्रामीणों ने घेराबंदी कर कुत्ते को मारकर दिलाई राहत- भयभीत ग्रामीणों ने घेराबंदी क
सर्दियों में भी कुत्ते लगातार खतरनाक हो रहे हैं। जनपद में रोज किसी न किसी शहर और गांव में कुत्ते लोगों पर हमला कर घायल कर रहे हैं। गढ़ रोड स्थित सीएचसी की बात की जाए तो सैकड़ों लोग कुत्ते काटने के इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं। उधर गढ़मुक्तेश्वर में पागल कुत्ते द्वारा महिला और दो बच्चों समेत कई को काटकर घायल किए जाने पर गांव में दहशत फैलते ही ग्रामीणों ने कुत्ते को मारकर लोगों को राहत दिलाई। सर्दी का प्रकोप बढऩे से पशुओं के साथ ही आवारा कुत्तों में हिंसक प्रवृत्ति पनप रही है। जिसके चलते गंगा खादर क्षेत्र के नयागांव इनायतपुर में सडक़ों पर घूमने वाले पागल कुत्ते ने बच्चे और महिला समेत आधा दर्जन से अधिक ग्रामीणों को काटकर घायल कर दिया। दाताराम, रीनू, धर्मवती, रोहन समेत कई को काटकर घायल किए जाने का पता लगते ही गांव में हडक़ंप मचने के साथ ही ग्रामीणों में दहशत फैल गई। ग्रामीणों को डर सताने लगा कि पागल कुत्ता कहीं रास्तों में आवागमन करने के दौरान उनके साथ ही बच्चों पर हमला न कर दे। सडक़ों पर आने जाने के दौरान हमला कर राहगीरों को काटने वाला कुत्ता पागल था, जिसके मुंह से राल टपकने और पूँछ सीधी होने से गांव में हड़कंप बचाने पर ग्रामीण बुरी तरह भयभीत होकर कुत्ते की खोजबीन करने में जुट गए। जिन्होंने काफी देर की कड़ी मशक्कत के बाद पागल कुत्ते को खोज निकाला और फिर उसे मारकर गांव में दहशत पर विराम लगा दिया। कुत्ते के पागल होने को लेकर उड़ रहीं अफवाहों से ग्रामीण इस कदर खौफजदा हो गए थे कि मरने के बाद भी उसके शव को जंगल में ले जाकर गड्ढा खोदते हुए मिट्टी में दबा दिया, ताकि किसी भी रूप में उसका संक्रमण बाहर निकल पाना संभव न हो पाए।
सर्दियों में क्यों खुंखार होते हैं कुत्ते
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.ओ.पी मिश्रा ने बताया कि सर्दी के मौसम में आवार कुत्ते इरिटेट हो जाते हैं। जिस कारण वह खुंखार हो जाते हैं। इसके अलावा सर्दियों में कुत्तों को भूख भी अधिक लगती है, जिसके कारण वह इंसान पर हमला कर देते हैं।
हाइड्रोफोबिया का हो सकते हैं शिकार
चिकित्सकों का कहना है कि कुत्ते की लार में मौजूद रेबीज वायरल से हाइड्रोफोबिया हो सकता है। यह एक लाइजाल बीमारी है और इसकी वजह से रोगी की मौत भी हो सकती है। रैबिज के बैक्टिया इतने तेज होते हैं कि नर्सों में तेजी से फैलते हैं और भीषण दर्द के साथ गर्मी और बेचैनी शुरू हो जाती है। इंसान भी कुत्तों की तरह हरकत करने लगता है और कुछ ही दिनों में दम तोड़ देता है।
2500 से अधिक रोगियों के लगाई जा चुकी है एआरवी
अगर पिछले एक सप्ताह की बात की जाए तो कुत्तों और बंदरों के काटने के 2500 से अधिक एआरवी (कुत्ते बंदर काटने के इंजेक्शन) लगाए जा चुके हैं। इसमें अधिकांश गढ़ रोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगाए गए हैं।
रोगी को हवा और पानी से लगता है डर
रेबिज के रोगी को वायरस का शरीर में प्रवेश करने पर हवा और पानी के साथ साथ तेज आवाज से डर लगने लगता है। रोगी को बाहर निकलने में भी डर लगता है।
क्या कहते हैं वन रेंजर
इस संबंध में कोई भी सूचना अथवा शिकायत नहीं आई है, परंतु अब विभागीय टीम भेजकर जांच पड़ताल कराने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। करनसिंह,वन रेंजर
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