Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़हापुड़Farmers Prefer Cash Sales to Crushers Over Sugar Mills Amid Payment Delays

कोल्हू क्रेशर दे रहे रिकॉर्डतोड़ भाव, आगे चलकर प्राइस वार छिडऩे का खतरा मंडरा रहा

आशंका भुगतान -सवा तीन सौ रुपए कुंतल का चल रहा भाव -पीक सीजन में भी मिल को गन्ना देने से कतरा रहे किसान -पिछले साल के गन्ना का अभी तक नहीं मिल पाया भुग

Newswrap हिन्दुस्तान, हापुड़Sat, 23 Nov 2024 11:45 PM
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पीक सीजन में भी चीनी मिल की बजाए किसान कोल्हू क्रेशरों पर नगद भुगतान में गन्ना बेचना फायदे का सौदा मान रहे हैं, जिसके कारण आगे चलकर आपूर्ति घटने के दौरान चीनी मिल और कोल्हू क्रेशरों के बीच प्राइस वार भी छिड़ सकती है। प्रारंभिक दौर से जुड़े पीक सीजन में भी किसान अपना गन्ना चीनी मिल की बजाए कोल्हू क्रेशरों पर नगद भुगतान में बेचना कहीं ज्यादा फायदेमंद मान रहे हैं। जिसके चलते कोल्हू क्रेशरों पर रिकॉर्डतोड़ भाव मिलने से चीनी मिलों को गन्ने की अपेक्षित सप्लाई के लिए खूब मशक्कत करनी पड़ रही है। कोल्हू क्रेशरों पर गन्ने का दाम नवंबर में ही 320 रुपये कुंतल को पार कर चुका है। इसके अलावा भी किसानों के फसल बुआई में व्यस्त होने के कारण चीनी मिलों को अपेक्षित गन्ना सप्लाई नहीं मिल पा रही है।

--भुगतान में लेटलतीफी के कारण किसानों का हो रहा मोह भंग,

भुगतान के मामले में सिंभावली चीनी मिल काफी फिसड्डी साबित हो रही है, जिसके चलते पिछले साल से जुड़ा किसानों का 106 करोड़ रुपये का भुगतान अभी तक बकाया चल रहा है। अपने ही गन्ने का भुगतान लेने के लिए किसानों को धरना प्रदर्शन के साथ ही तरह तरह के यत्न करने को मजबूर होना पड़ता है, जिसके कारण किसान चीनी मिल की बजाए कोल्हू क्रेशरों पर नगद भुगतान में गन्ना बेचना कहीं ज्यादा फायदे का सौदा मान रहे हैं।

--त्योहारी सीजन में खाली रही थी जेब, अब चल रहा है ब्याह शादी का सीजन

पिछले साल से जुड़े अपने ही गन्ने का भुगतान न मिल पाने के कारण हाल ही में संपन्न त्योहारी सीजन के दौरान किसानों की जेब खाली रही थी। इन दिनों ब्याह शादी का दौर पूरे चरम पर चल रहा है, जिसके कारण किसान अपना गन्ना चीनी मिल की बजाए कोल्हू क्रेशरों पर नगद भुगतान में बेचकर खाली जेब भर रहे हैं।

--एजेंट खेतों में पहुंचकर खरीद रहे गन्ना, क्रय पर्चियों का नहीं है इस बार क्रेज

शुरुआती दौर में ही गन्ने की डिमांड काफी बढ़ी हुई है, जिसके चलते दूसरी जनपदों से जुड़ीं चीनी मिलों से लेकर कोल्हू क्रेशरों के एजेंट खेतों में पहुंचकर किसानों के गन्ने की नगद भुगतान पर खरीद कर रहे हैं। इसी के कारण सिंभावली चीनी मिल से जुड़ी सहकारी समिति से जारी हो रहीं गन्ना क्रय पर्चियों की गंगा खादर क्षेत्र में इस बार कोई खास क्रेज नहीं बन पा रहा है, क्योंकि किसान कोल्हू क्रेशरों पर नगद भुगतान पर गन्ना बेच रहे हैं।

--चीनी मिल डिफॉल्टर होने के कारण भी किसानों में बनी हुई है असमंजस की स्थिति

भुगतान करने में पहले से ही फिसड्डी साबित होती आ रही सिंभावली चीनी मिल बैंकों से जुड़े सैकड़ों करोड़ के कर्ज में भी दबी हुई है, जिसकी अदायगी न होने पर एनसीएलटी कोर्ट द्वारा चीनी मिल को डिफॉल्टर घोषित करते हुए संचालन सुचारू रखने को आईआरपी की नियुक्ति भी की हुई है। इसके कारण भी भुगतान को लेकर असमंजस की स्थिति बनने पर किसान कोल्हू क्रेशरों पर गन्ना बेचना ज्यादा मुनासिब मान रहे हैं।

--जनवरी के बाद आपूर्ति घटने पर छिड़ सकती है प्राइस वार

शुरुआती दौर में ही गन्ने की आपूर्ति लडख़ड़ाने से आगे चलकर चीनी मिल और कोल्हू क्रेशरों के बीच प्राइस वार छिडऩे की संभावना बढ़ती जा रही है। क्योंकि कोल्हू क्रेशर वर्तमान में सवा तीन सौ रुपये के नगद भुगतान पर खरीद कर रहे हैं, जो आपूर्ति घटने पर अपने रेट को बढ़ाकर चार सौ रुपये तक भी ले जा सकते हैं। क्योंकि गुड़ का भाव इस बार बाजार में काफी अच्छा चल रहा है। चीनी मिल पर गन्ने का रेट करीब 360 रुपये कुंतल है, परंतु भुगतान कब मिल पाएगा इसकी कोई समय सीमा तय नहीं है।

--क्षमता के मुकाबले हजारों कुंतल कम गन्ने की पेराई हो रही

सिंभावली चीनी मिल की पेराई क्षमता करीब एक लाख कुंतल प्रतिदिन की है, परंतु इन दिनों मात्र सत्तर हजार कुंतल गन्ने की पेराई हो पा रही है। परंतु खर्च ज्यों का त्यों रहने से मिल प्रबंधन को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। चीनी मिल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कम पैदावार के साथ ही कोल्हू क्रेशरों पर सवा तीन सौ रुपये के नगद भुगतान में गन्ने की खरीद होने से शुरुआती दौर में आपूर्ति प्रभावित हो रही है। जनवरी के बाद गन्ने की आपूर्ति और भी घटने पर कोल्हू क्रेशरों द्वारा अगर दाम बढ़ा दिए जाते हैं तो फिर और भी गंभीर समस्या उत्पन्न होनी तय मानी जा रही है।

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