30 साल पहले अपने पैतृक गांव नूरपुर मंढैया में आए थे चौधरी साहब
हापुड़ के गांव नूरपुर की मंढैया में आज भी लगभग 30 परिवार ही रहते हैं। चौधरी चरण सिंह के जन्म के बाद उनका परिवार मेरठ के गांव चला गया था। मंढैया में...
हापुड़। हापुड़ के गांव नूरपुर की मंढैया में आज भी लगभग 30 परिवार ही रहते हैं। चौधरी चरण सिंह के जन्म के बाद उनका परिवार मेरठ के गांव चला गया था। मंढैया में अक्सर चौधरी तचरण सिंह का आना जाना था परंतु उनके बाद छोटे चौधरी अजीत सिंह केवल 1990 में आए थे।
आज भी गांव नूरपुर में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह का पैतृक घर मौजूद हैं, जहां पर उन्होंने जन्म लिया था। उनके खानदानी 79 वर्षीय महावीर सिंह और उनकी पत्नी 77 वर्षीय रामवती घर पर मौजूद थी। चौधरी अजीत सिंह के जाने के बाद घर पर शोक छाया हुआ था। उनके खानदानी शोक में बैठे हुए थे।
छोटे से गांव की गली सुनसान--
चौधरी चरण सिंह का छोटा सा गांव सुनसान पड़ा था। जिसकी गलियों में हवा के झोंके से लग रहा था कि आज कुछ ऐसा हुआ हैं, जिससे की शांति छा गई है। गांव में लगभग 30 परिवार रहते हैं। ज्यादातर को दुख था।
30 साल पहले आए थे गांव--
महावीर सिंह ने बताया कि 1990 में पूर्व प्रधानमंत्री बड़े चौधरी साहब की प्रतिमा का अनावरण हुआ था। उस समय चौधरी अजीत सिंह गांव में आए थे। बड़े चौधरी गांव में आते जाते रहते थे। लेकिन बड़े चौधरी जब यहां से गए थे तो छोटे छोटे का जन्म मोदीनगर के गांवभंदोला इसेपुर में हुआ था। इस लिए छोटे चौधरी का नूरपुर में आना जाना कम था।
15 साल पहले झोपड़ी में बैठे, बना दिया इंटर कॉलेज--
बताते है कि बराबर के गांव बछलौता में छोटे चौधरी अपने मौसेरे भाई निरंजन शास्त्री के पास आए थे। मीटिंग बड़ी नहीं थी, फिर भी चौधरी साहब के सूचना पर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए थे। जहां पर एक स्कूल चल रहा था। चौधरी साहब को झोड़पी में बैठा दिया था। बताते हैं कि उन्होंने उस समय कह दिया था कि अगली बार आएंगे तो बदल जाएगा। चौधरी साहब ने बाद में उस स्कूल को इंटर कॉलेज बनवा दिया था।
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