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जीवन को बचाने के लिए प्रकृति और नदियों का स्वास्थ्य जरुरी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

Gorakhpur News - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में राप्ती नदी के जल शोधन कार्य का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि जल जीवन का आधार है और प्रदूषित जल से हुए रोगों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। नगर निगम ने प्राकृतिक...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरFri, 3 Jan 2025 02:33 PM
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गोरखपुर। मुख्य संवाददाता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जीवन को बचाने के लिए प्रकृति और नदियों के स्वास्थ्य की चिंता करनी होगी। राप्ती नदी अविरल निर्मल रहे। उसका जल, स्वच्छ और सुंदर रहे इसके लिए गोरखपुर नगर निगम द्वारा प्राकृतिक विधि से राप्ती नदी में गिरने वाले तकियाघाट नाला के शोधन का प्रयास अभिनंदनीय और सराहनीय है। इसके लिए महापौर और नगर आयुक्त की पूरी टीम को ह्दय से बधाई देता हूं। यह प्रकृति और जीवन को बचाने का बहुत बड़ा कार्य है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, शुक्रवार को 15वां वित्त से हाबर्ट बांध के रेगुलेटर नम्बर 4, 5, 6, 7 और इलाहीबाग रेगुलेटर से तकियाघाट होते हुए राप्ती नदी में गिरने वाले नालों का प्राकृतिक विधि से जल शोधन कार्य का लोकार्पण किया। उन्होंने नाला शोधन के कार्य का निरीक्षण भी किया। नगर निगम के प्रदर्शन स्टॉल का भी निरीक्षण किया।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महापुरुषों ने सदैव कहा कि जल ही जीवन है। जल ही जीवन है, इसका महत्व पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों से ज्यादा कौन समझ सकता है जिन्होंने प्रदूषित जल के कारण 1977 से लेकर 2017 तक 50 हजार बच्चों को इंसेफेलाइटिस और अन्य वेक्टर बोर्न डिजीज के कारण असमय दम तोड़ते देखा है। इन वेक्टर-जनित रोग से मौत का प्रमुख कारण प्रदूषित जल और गंदगी थी। हम आभारी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जिनकी प्रेरणा से स्वच्छ भारत मिशन पूरे देश में लागू हुआ। हर व्यक्ति को शुद्ध पेयजल मिले इसके लिए शहरी क्षेत्रों में अमृत मिशन और ग्रामीण क्षेत्रों में जल जीवन मिशन की शुरूआत हुई। हर घर नल योजना से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कराई गई।

नदी संस्कृतिक का दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम महाकुंभ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उपलब्ध जल शुद्ध रहे, इसके लिए हमने नदियों, तालाब और पोखरों पर ध्यान नहीं दिया। जिन नदियों का जल अमृत तुल्य हुआ करता था, वहां से बदबू आने लगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से नदियों की जल संस्कृति को बचाने का काम शुरू हुआ। परिणाम है कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक समागम उत्तर प्रदेश की धरती पर मॉ गंगा, मॉ यमुना और मॉ सरस्वती नदी की त्रिवेदी नदियों के संगम पर प्रयागराज की धरती पर महाकुंभ के रूप में 13 से 26 जनवरी के बीच होने जा रहा है।

राप्ती और रोहिण नदी हमारी संस्कृति और सभ्यता की जननी

सीएम योगी ने कहा कि हमारी सभ्यता और संस्कृति किसी न किसी नदी तट पर विकसित हुई। गोरखपुर राप्ती और रोहिण नदी के तट पर पूर्वी उत्तर प्रदेश का बड़ा महानगर है। जो नदी हमारी संस्कृति और सभ्यता की जननी हो, उसका आधार हो, उसकी सेहत के बारे में पहले प्रयास नहीं हुए। हालांकि उस प्रयास के लिए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण गोरखपुर नगर निगम पर लगातार जुर्माना कर रहा था। नगर निगम ने उस जुर्माना से बचने के लिए 110 करोड़ से एसटीपी बनाने की परियोजना बनाई। मैने कहा कि 110 करोड़ क्यों खर्च कर रहे हो? प्राकृतिक पद्धति अपनाओं। आज उसका परिणाम है कि फाइटोरेमेडिएशन तकनीक से तकियाघाट नाले के शोधन का काम हुआ। बोल्डर पिचिंग कर प्राकृतिक पौधे लगाए गए। परिणाम है कि जिस नाले से बदबू आती थी, अब नहीं आती है। अंतिम छोर पर डीओ 2.8, सीओडी 198, बीओडी 22 हो गई। अब इस जल को नदी में छोड़ा जा सकता है। सिंचाई में इस्तेमाल हो सकता है। सब्जी फूल उत्पादन में उपयोग हो सकता है। यही जल जब भूमिगत जल बनेगा तो क्षति नहीं पहुंचाएगा।

सतत विकास का सस्टेनेबल मॉडल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्राकृतिक विधि से जल शोधन का यह मॉडल सतत विकास का सस्टेनेबल मॉडल है। एसटीपी लगाने पर जहां एक एमएलडी पर 4 करोड़ का खर्च आता है। 18 एमएलडी जहां 72 करोड़ रुपये खर्च होते वहीं फाइटोरेमेडिएशन विधि से 2.50 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। राप्ती नदी के शुद्धिकरण के इस अभिनव से प्रयास को और परिस्कृत कर दूसरे नालों के साथ भी अपना सकते हैं। ऐसा करके जीवन की बुनियादी आवश्यकता को बनाए रखने में सफल होंगे।

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