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जिन्हें सम्मानित करना था, उन्हें आमंत्रित करना ही भूल गया डीडीयू

टूटी परंपरा मंच से नाम पुकारे जाने पर पता चला कि आमंत्रित नहीं हैं विश्वविद्यालय

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरFri, 6 Sep 2024 02:31 AM
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गोरखपुर, निज संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में वर्षों पुरानी परंपरा शिक्षक दिवस पर टूट गई। समारोह आयोजित कर जून 2024 में सेवानिवृत्त जिन शिक्षकों को मंच से सम्मानित किया जाना था, डीडीयू प्रशासन उन्हें आमंत्रित करना ही भूल गया। हालांकि कुलपति के संज्ञान में मामला आने के बाद शाम पांच बजे कुलपति कार्यालय में बुलाकर सेवानिवृत्त शिक्षकों को सम्मानित किया गया।

डीडीयू में अब तक परंपरा थी कि पिछले सत्र में जो भी शिक्षक सेवानिवृत्त होते हैं, उन्हें शिक्षक दिवस पर आयोजित समारोह में मंच से सम्मानित किया जाता है। परंपरा है कि जिस विभाग के सेवानिवृत्त शिक्षक होते हैं, उसके विभागाध्यक्ष मंच से प्रशस्ति पत्र पढ़ते हैं। उसके बाद शिक्षक को मंच पर बुलाकर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। जून 2024 में डीडीयू में शिक्षाशास्त्र विभाग से प्रो. शोभा गौड़ व प्रो. सरिता पाण्डेय, रक्षा अध्ययन विभाग से प्रो. प्रदीप यादव और इतिहास से प्रो. चन्द्रभूषण गुप्त ‘अंकुर सेवानिवृत्त हुए थे।

गुरुवार को संवाद भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान इसी कड़ी में मंच संचालन कर रहे डॉ आमोद राय ने सम्मानित करने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों का नाम एक-एक कर पुकारा। लेकिन हॉल में चारों में से कोई भी उपस्थित नहीं थे। इसकी चर्चा होने लगी। चर्चाओं में ही पता चला कि उन्हें आमंत्रित ही नहीं किया गया था। इसके बाद संवाद भवन में कानाफूसी होने लगी।

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शाम को सुधारी गई चूक

कुलपति के संज्ञान में मामला आने के बाद उन्होंने सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान शाम पांच बजे कुलपति कार्यालय में निर्धारित किया। शाम को प्रो. शोभा गौड़, प्रो. सरिता पाण्डेय व प्रो. प्रदीप यादव कुलपति कार्यालय पहुंचे। वहां कुलपति के हाथों सम्मान ग्रहण किया। अमेरिका दौरे पर होने के कारण प्रो. अंकुर नहीं आ पाए।

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अंतिम मौका चूकने से प्रोफेसर भावुक

सेवानिवृत्त प्रोफेसर के रूप में सभी शिक्षकों के बीच सम्मानित होने का यह अंतिम मौका होता है। इस मौके से चूक जाने का दर्द शिक्षकों के चेहरे पर साफ झलक रहा था। एक प्रोफेसर ने कहा कि हम एक बेहतरीन अवसर चूक गए। इसका अफसोस हमेशा रहेगा।

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विभागों ने बचाई लाज

शिक्षक जिन विभागों से सेवानिवृत्त हुए थे, उन विभागों ने उनकी लाज बचा ली। शिक्षाशास्त्र और रक्षा अध्ययन विभाग में कार्यक्रम आयोजित कर इन शिक्षकों को सम्मानित किया गया।

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