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इस बार सिर्फ भाईचारे के लिए इस्तेमाल हुआ सोशल मीडिया

अयोध्या पर फैसला आने को लेकर पिछले कई दिनों से फिज़ा में सोशल मीडिया को लेकर आशंकाएं तैर रही थीं। सही-गलत पहचान के साथ वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम सहित सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्मों पर...

Ajay Singh प्रमुख संंवाददाता, गोरखपुर Sun, 10 Nov 2019 01:13 PM
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अयोध्या पर फैसला आने को लेकर पिछले कई दिनों से फिज़ा में सोशल मीडिया को लेकर आशंकाएं तैर रही थीं। सही-गलत पहचान के साथ वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम सहित सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्मों पर मौजूद करोड़ों लोगों के बीच से निकला कोई गलत संदेश गड़बड़ी का सबब न बन जाए इसलिए पुलिस, प्रशासन और समाज के बड़े सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वालों को लगातार अगाह कर रहे थे। शनिवार को फैसला आया तो इन कोशिशों का असर भी नज़र आया। सोशल मीडिया का इस्तेमाल तो हुआ ही लेकिन सिर्फ भाईचारा फैलाने और आपसी प्रेम बढ़ाने के लिए। 

वाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित हर प्लेटफार्म पर सतर्क नज़र आए लोग 
जश्न मनाया न गम, बस अमन चैन की मांगी दुआ

डीजीपी ओ.पी.सिंह ने साफ कहा था कि जरूरत पड़ी तो इंटरनेट बंद भी किया जा सकता है लेकिन मोबाइल और कम्प्यूटर के की बोर्ड पर शब्द गढ़ती ऊंगलियों ने जता दिया कि वे इस माध्यम की लगाम बखूबी थाम सकती हैं। सुबह से दोपहर हुई, दोपहर से शाम लेकिन कहीं किसी प्लेटफार्म पर एक-दूसरे को चिढ़ाने तो दूर जश्न या रंजो-गम मनाती पोस्ट भी नहीं दिखीं। शिक्षक और वरिष्ठ पत्रकार कुमार हर्ष ने फेसबुक इसे कुछ यूं बयां किया, ‘शासन-प्रशासन की हनक और इकबाल हो तो अराजकता खुद अपने को समेट लेती है।’

सोशल मीडिया पर शुक्रवार की शाम से अयोध्या फैसले को लेकर शांति बनाए रखने की अपीलें वायरल हो रही थीं। डीजीपी ओ.पी.सिंह की एडवायजरी भी वायरल हुई। तमाम वाट्सएप गुप्स के एडमिन ने ‘मैसेज ओनली बाई एडमिन’ की सेटिंग कर दी थी। इन सबका असर यह रहा कि शनिवार सुबह फैसला आने से लेकर दोपहर तक सोशल मीडिया पर बेहद कम पोस्ट आईं। फैसला आने पर कई लोगों ने भगवान राम की फोटो को  वाट्सएप स्टेटस बनाकर अपनी प्रतिक्रिया का इजहार किया लेकिन संदेशों से परहेज करते रहे। दोपहर बाद बेहद सावधानी के साथ पोस्ट डालने का क्रम शुरू हुआ। शिक्षक नेता दिग्विजय पांडेय ने फेसबुक लिखा ‘फैसला जो भी आए फासला न आए।’ रेलवे ठेकेदार विवेक पांडेय ने लिखा, ‘न हिन्दू हारा, न मुसलमान हारे, जो इन दोनों को लड़ाने वाले थे वे हारे।’ कवि राजेश राही ने लिखा, ‘घर हमारा बने या तुम्हारा बने, फख्र दुनिया करे इतना प्यारा बने।’ छात्रनेता शैलेश पांडेय ने लिखा, ‘न किसी की जीत, न किसी की हार, यह फैसला लाया हिन्दू-मुस्लिम में प्यार।’

देवरिया के रावतपार अमेठिया स्कूल के प्रधानाध्यापक अफाक अहमद ने लिखा ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में वैर रखना, हिन्दी हैं हम वतन हैं हिन्दुस्तां हमारा, फैसला काबिले तारीफ है।’ सज्जाद अली ने लिखा, ‘अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्णय है उसका स्वागत करना चाहिए। भाईचारा बनाए रखें, देश इन सबसे बड़ा है।’  
 

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