प्रसव के पांच महीने बाद तक हो सकता है कार्डियोमायोपैथी
गोरखपुर में पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी पर संगोष्ठी आयोजित हुई। विशेषज्ञों ने प्रसव के बाद पांच माह तक सतर्क रहने की सलाह दी। गर्भावस्था के अंतिम माह में भी इस बीमारी की आशंका होती है। यह हृदय की...
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता जनरल प्रैक्टिश्नर (जीपी) एसोसिएशन के तत्वावधान में बुधवार को होटल विवेक रोड में पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी बीमारी पर संगोष्ठी आयोजित की गई। डॉ. गजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि प्रसूताओं को प्रसव के बाद पांच माह तक सतर्क रहना चाहिए। ज्यादा कमजोरी व थकान दिखे तो डॉक्टर से सलाह लें। गर्भावस्था के अंतिम माह में भी इस बीमारी की आशंका होती है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. राजीव कुमार पांडेय व संचालन वैज्ञानिक सचिव डॉ. पीसी शाही ने किया। डॉ. शाही ने बताया कि पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी एक दुर्लभ हृदय रोग है। यह बीमारी हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है। जिससे हृदय पर्याप्त मात्रा में रक्त पंप नहीं कर पाता। अगर इसे समय पर नहीं पहचाना और इलाज नहीं किया गया, तो यह गंभीर हो सकता है। इस अवसर पर सचिव डॉ. शांतनु प्रकाश अग्रवाल, डॉ. राजेंद्र अग्रवाल, डॉ. शैलेंद्र, डॉ. बीबी गुप्ता, डॉ बबिता शुक्ला, डॉ. रीता मिश्रा उपस्थित थीं।
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