शिल्पकार का कमाल, मानो बोल पड़ेंगी ऊंची और स्वचालित मूर्तियां
गोरखपुर। अजय श्रीवास्तव शिल्पकार सुशील गुप्ता के हाथों में आकर बेजान माटी भी जीवंत
गोरखपुर। अजय श्रीवास्तव शिल्पकार सुशील गुप्ता के हाथों में आकर बेजान माटी भी जीवंत हो उठती है। प्रतिमाएं बनाकर जब वह रंग भरते हैं तो लगता है, वे बोल पड़ेंगी। वह 30 फुट ऊंची शिव की मूर्ति को आकार दे चुके हैं, तो मां दुर्गा की स्वचालित मूर्तियां बनाकर भी कमाल दिखाया है। यही नहीं, बौद्ध संग्राहलय में स्वचालित प्रतिमाओं के जरिए आदि मानव से लेकर मुगल काल तक के सफर की जीवंत झांकी सजाई है। आम लोग जल्द ही इसे देख सकेंगे। सुशील तीन दशक में 100 से अधिक मूर्तियां गढ़कर ख्याति पा चुके हैं।
गोरखपुर के माया बाजार निवासी सुशील गुप्ता को मूर्तियां बनाने और उनमें रंग भरने का जुनून 15 वर्ष की उम्र से ही हो गया। पहली बार मायाबाजार में वर्ष 1987 में मां दुर्गा की स्वचालित प्रतिमा का निर्माण किया, तो उसे देखने आसपास के जिलों के लोग खिंचे चले आए। गोरखपुर की पहली स्वचालित प्रतिमा में मां दुर्गा राक्षस का वध करती दिख रही थीं।
अपने शौक को व्यवसाय में बदलने के लिए सुशील ने वर्ष 1990 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से फाइन आर्ट में परास्नातक का कोर्स पूरा किया। वहां उन्होंने अपने गुरु प्रो. अवतार सिंह पवार से मूर्ति कला की बारीकियां सीखीं। पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2002 में बड़हलगंज में सरयू तट स्थित मुक्तिपथ पर भगवान शिव की करीब 30 फुट ऊंची मूर्ति का निर्माण किया तो उनकी ख्याति पूरे पूर्वांचल में फैल गई। सुशील बताते हैं कि शिव जी की मूर्ति के निर्माण में सात से आठ लाख रुपये की लागत आई थी।
फिलहाल सुशील और उनकी टीम गोला में भगवान शिव की 30 फुट ऊंची मूर्ति के निर्माण में जुटी है। करीब 50 कुंतल सरिया से तैयार हो रहे फाउंडेशन में 60 से 70 लाख रुपये के खर्च का अनुमान है। सुशील बताते हैं कि पिछले तीन दशक में 100 से अधिक महापुरुषों की प्रतिमाओं का निर्माण हो चुका है। मिट्टी, प्लास्टिक ऑफ पेरिस और अन्य सामग्रियों से बनने वाली प्रतिमा देखने, खरीदने देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंचते हैं।
देवरिया में बनाई 27 फुट ऊंची हनुमान जी की मूर्ति
सुशील ने शहर में फर्टिलाइजर के पास विस्तार नगर कॉलोनी डॉ. आरडी पांडेय के निर्देशन में हनुमान जी की 31 फुट ऊंची मूर्ति बनाई है। अपने सहयोगी भास्कर के साथ पिछले दिनों देवरिया में हनुमान जी की 27 फुट ऊंची मूर्ति का निर्माण पूरा किया है। गोरखपुर के मोहद्दीपुर में वीरेन्द्र प्रताप शाही से लेकर लखनऊ में बनारसी दास गुप्ता की प्रतिमा को भी सुशील ने ही आकार दिया है।
बौद्ध संग्रहालय में बनाई स्वचालित मूर्तियों की शृंखला
सुशील और उनके सहयोगी भास्कर ने मिलकर तारामंडल क्षेत्र में स्थित बौद्ध संग्रहालय में आदि मानव से लेकर मुगल काल तक के विकास की शृंखला को 19 झांकियों के जरिये प्रदर्शित किया है। पत्थर के टकराव से निकलने वाली चिंगारी से लेकर सिक्कों के प्रचलन को स्वचालित मूर्तियों के जरिये देखा जा सकता है। यहां हड़प्पा से लेकर मोहनजोदड़ो के विकास की कहानी को भी समझा जा सकता है। वहीं कुषाण काल और एलोरा गुफाओं की कलाकारी का भी चित्रण यहां दिखेगा। सुशील बताते हैं कि स्वचालित प्रतिमाएं बनकर तैयार हैं। जल्द ही इन्हें दर्शकों के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है।
म्यूरल आर्ट में भी प्रवीण हैं सुशील
सुशील को म्यूरल आर्ट या भित्तिचित्र कला में भी महारत हासिल है। शहर में पहली बार उन्होंने नार्मल स्कूल के पास नांगलिया अस्पताल की दीवारों पर म्यूरल ऑर्ट का प्रदर्शन किया था। इस समय वह आयुष यूनिवर्सिटी में 20 गुणा 8 फुट के आकार में समु्द्र मंथन का चित्रण म्यूरल आर्ट के जरिये कर रहे हैं।
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