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मानस का लवकुश कांड सहित अनिल कुमार ने किया अंग्रेजी भावानुवाद

Gorakhpur News - गोरखपुर के कुंवर अनिल कुमार ने गोस्वामी तुलसीदास की श्रीरामचरितमानस का अंग्रेजी में भावानुवाद किया है। यह अनुवाद पाठकों को रामकथा के गूढ़ भावों को समझने का अवसर प्रदान करेगा। पुस्तक में लवकुश कांड और...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरFri, 31 Jan 2025 10:33 AM
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मानस का लवकुश कांड सहित अनिल कुमार ने किया अंग्रेजी भावानुवाद

गोरखपुर। मुख्य संवाददाता पूर्वोत्तर रेलवे से वरिष्ठ लेखाधिकारी के पद से सेवानिवृत कुंवर अनिल कुमार ने गोस्वामी तुलसीदास के श्रीराम चरित मानस का अंग्रेजी में भावानुवाद किया है। इस पहले से अंग्रेजी भाषा के पाठकों -श्रद्धालुओं को गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस के गूढ़ भावों और अध्यात्मिक संदेशों को समझने का अवसर मिलेगा। यह भावानुवाद विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें लवकुश कांड को भी गोस्वामी तुलसीदास की शैली में प्रस्तुत किया है, जिससे यह संपूर्ण रामकथा का स्वरूप लेता है। साथ ही, राजा दशरथ और राजा जनक वंशवृक्ष को शामिल करना शोधपरक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो श्रद्धालु पाठकों के लिए अतिरिक्त जानकारी प्रदान करेगा। साढ़े पाँच वर्षों की अथक मेहनत से तैयार यह कृति निस्संदेह श्रीरामचरितमानस के अंग्रेजी पाठकों के लिए बहुमूल्य उपहार साबित होगी।

मनोज पब्लिकेशन दिल्ली से प्रकाशित इस श्रीराम चरित मानस ‘रामायण में 1248 पृष्ठ हैं। 17 जनवरी को यह पुस्तक प्रकाशित होकर भावानुवाद करने वाले इलाहीबाग निवासी कुंवर अनिल कुमार और संपादन करने वाली उनकी पत्नी अनुराधा को मिली है। अनुराधा बताती है कि पूरे साढ़े पांच साल की अथक मेहनत के बाद यह पुस्तक प्रकाशित हुई है। कुंवर अनिल कुमार बताते हैं कि रामचरित मानस के कुछ दोहों का भावानुवाद करने पर आत्मसंतुष्टी नहीं हो रही थी तो एक मित्र के जरिए संत मोरारी बापू से टेलिफोन पर बात हुई। उन्होंने बड़े ही आत्मीय भाव से विस्तार से मार्गदर्शन दिया जिससे भावानुवाद सुगम हुआ। साल 2012 में रेलवे से सेवानृवित कुंवर अनिल कुमार ने साल 2015 से भावानुवाद प्रारंभ किया। कुंवर अनिल बताते हैं कि लवकुश कांड का भावानुवाद उन्होंने नहीं किया बल्कि सिर्फ कुछ सुधार किया।

श्रीरामचरितमानस के आध्यात्मिक संदेश की गहराई तक जाने का प्रयास

कुंवर अनिल कुमार ने केवल शब्दों का अनुवाद नहीं किया, बल्कि श्रीरामचरितमानस के आध्यात्मिक संदेश की गहराई तक जाने का प्रयास किया। श्रीअरविंद और अन्य दार्शनिक पुस्तकों से सहायता लेना यह दर्शाता है कि वे अपने पाठकों को केवल भाषा का नहीं, बल्कि तुलसीदासजी के मूल भाव और दर्शन का शुद्धतम रूप प्रदान करना चाहते थे। विद्वानों से परामर्श लेना और जहां आवश्यक हो वहां मार्गदर्शन प्राप्त करना, उनकी विनम्रता और ज्ञान के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाता है।

इन्होंने ने भी श्रीरामचरित मानस का किया अनुवाद

गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस का अंग्रेजी में कई विद्वानों ने अनुवाद किया है। फ्रेडरिक सैल्मन ग्रोसे ने 19वीं शताब्दी में द रामायन आफ तुलसीदास का अनुवाद किया। राल्फ ग्रिफ़िथ ने वाल्मीकि रामायण का अनुवाद किया। वीलियम डीपी हिल ने 20 शताब्दी में द होली लेक आफ द एक्ट आफ रामा, स्वामी शिवानंद ने श्रीरामचरित मानस का अंग्रेजी अनुवाद किया। प्रो दयाशंकर पाठन ने श्रीरामचरित मानस का अंग्रेजी अनुवाद लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित हुआ। गीताप्रेस गोरखपुर ने भी श्रीरामचरित मानस का अग्रेंजी अनुवाद और स्वामी स्वामी रामभद्राचार्य ने श्रीरामचरितमानस का अंग्रेजी में अनुवाद और व्याख्या प्रकाशित किया है।

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