ऐसे बिता रहे दिन छत पर टहलते, लाइब्रेरी में किताबें पढ़ते हैं प्रो. विश्वनाथ तिवारी
लॉकडाउन की वजह से साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने खुद को घर में ही कैद कर लिया है। उनका अधिकतर समय घर की लाइब्रेरी में गुजर रहा है। उनका कहना है कि कोरोना से बचने के...
लॉकडाउन की वजह से साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने खुद को घर में ही कैद कर लिया है। उनका अधिकतर समय घर की लाइब्रेरी में गुजर रहा है। उनका कहना है कि कोरोना से बचने के लिए जरूरी है कि लोग सामाजिक दूरी बनाए रखें और लॉकडाउन का पालन करते हुए समय का सदुपयोग करें।
गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार हैं। ‘दस्तावेज' नामक साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका के संस्थापक संपादक हैं। हाल ही में प्रो. तिवारी को अकादमी के सर्वोच्च महत्तर सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में आयोजित समारोह में अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार, उपाध्यक्ष माधव कौशिक व सचिव के. श्रीनिवासराव ने परामर्श मंडल के सदस्यों की उपस्थिति में दिया गया। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए शासन द्वारा घोषित लॉकडाउन का प्रो. तिवारी शत-प्रतिशत पालन कर रहे हैं। वह बेतियाहाता स्थित अपने आवास में परिवार के बीच रह रहे हैं।
प्रो. तिवारी ने अपने घर में एक समृद्ध लाइब्रेरी स्थापित कर ली है। हिन्दी-अंग्रेजी और संस्कृत समेत कई अन्य भाषाओं में छपी पुस्तकें उनकी लाइब्रेरी में भरी पड़ी हैं। इन दिनों उनका अधिकतर समय लाइब्रेरी में ही गुजर रहा है। बुधवार की दोपहर में वह अपने आवास की लाइब्रेरी में मौजूद थे और पुस्तक पढ़ रहे थे। बातचीत में उन्होंने बताया कि इन दिनों कहीं बाहर आना-जाना नहीं हो पा रहा है। सुबह स्नान-ध्यान के बाद टेलीविजन पर डेढ़ घंटे समाचार सुनते हैं। शाम को 15 मिनट तक छत पर ही टहलते हैं। अधिकतर समय पुस्तकें पढ़ने में बिता रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका काम पढ़ना-लिखना है। लॉकडाउन की वजह से इस काम के लिए काफी समय मिल रहा है।
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