व्यापारी के राष्ट्रीय बचत पत्र का डाक विभाग ने किया भुगतान
Gorakhpur News - हिन्दुस्तान असर:ल मोदी के 10-10 हजार के दो एनएससी 2018 में हो गए थे पूरे -वर्ष 2022 से मूल प्रति लेकर डाक विभाग में दौड़ लगा रहे थे व्यापारी गोरखपुर,
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गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता राष्ट्रीय बचत पत्र की मेच्चोरिटी के बाद भी भुगतान नहीं करने के मामले को आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान द्वारा प्रकाशित करने के बाद डाक विभाग की नींद टूटी है। डाक विभाग ने पार्करोड के व्यापारी के बैंक खाते में ब्याज समेत 38,798 रुपये का भुगतान कर दिया है। भुगतान को लेकर व्यापारी अनिल कुमार मोदी ने ‘हिन्दुस्तान के प्रति आभार जताया है।
पार्क रोड स्थित फर्म के मालिक अनिल कुमार मोदी ने वर्ष 2013 में 10-10 हजार रुपये के दो राष्ट्रीय विकास पत्र की खरीद पार्क रोड स्थित प्रधान डाकघर से की थी। उसकी मेच्योरिटी वर्ष 2018 में ही हो गई। कोरोना काल में दुश्वारियों के बीच व्यापारी बचत पत्र नहीं भुना सके। व्यापारी का कहना है कि वर्ष 2022 के जनवरी माह में डाकघर में एनएससी भुनाने के लिए गया तो रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने की बात कहते हुए लौटा दिया। कर्मचारी ने बचत पत्र की फोटो कापी लेकर बाद में आने की बात कही।
कुछ महीने बाद व्यापारी जानकारी लेने पहुंचे तो बताया गया कि दोनों बचत पत्र का भुगतान अप्रैल, 2022 में ही हो चुका है। व्यापारी ने मामले की शिकायत पीएमजी के साथ ही केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री से की। बीते 10 फरवरी को ‘हिन्दुस्तान में मामला प्रकाशित होने से बाद पीएमजी गौरव श्रीवास्तव ने खुद सक्रियता दिखाते हुए व्यापारी के खाते में भुगतान करा दिया।
व्यापारी अनिल मोदी का कहना है कि डाक विभाग के कर्मचारी लापरवाही में दौड़ा रहे थे। लेकिन ‘हिन्दुस्तान अखबार द्वारा प्रकरण प्रमुखता से प्रकाशित किया। इससे तत्काल भुगतान हो गया। उपभोक्ता मामलों के जानकार आनंद रूंगटा का कहना है कि व्यापारी ने वर्ष 2022 में भी शिकायत की थी। पत्रचार की कॉपी को व्यापारी ने सुरक्षित रखा था। इसका नतीजा था कि अखबार में मामला उजागर होने के बाद डाक विभाग तत्काल भुगतान को मजबूर हुआ। ग्राहकों को हर दस्तावेज को सुरक्षित रखना चाहिए।
राष्ट्रीय बचत पत्र का भुगतान नहीं होने का मामला संज्ञान में आने के बाद उपभोक्ता से संपर्क किया गया। उनके पास बचत पत्र की मूल प्रति थी। औपचारिकताएं पूरी कर उपभोक्ता के खाते में ब्याज के साथ भुगतान करा दिया गया है।
- गौरव श्रीवास्तव, पीएमजी
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