Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़गोरखपुरPoor Condition of Shelter for Parents at BRD Medical College Gorakhpur

रैन बसेरों में भी रहने के इंतजाम ठीक नहीं

बीआरडी मांगे रैन बसेरा-3 सचित्र - चारों तरफ से खुले रैन बसेरे में

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरMon, 18 Nov 2024 01:41 AM
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गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग संस्थान के ठीक सामने बनाए गए रैन बसेरे का हाल भी बदतर है। इंतजाम के नाम पर टीनशेड और चारों तरफ से घेरे ही अंदर भर्ती बच्चों के मां-बाप को कुछ हद तक बचा पा रहे हैं लेकिन साफ-सफाई की स्थिति ऐसी है कि घुसते ही गंदगी व बदबू से पाला पड़ जाता है। इसी में बच्चों के मां-बाप के रहने की मजबूरी है।

रैन बसेरे में 25 मच्छरदानी लगे थे। इन मच्छरदानियों में किसी में एक तो किसी में दो-दो लोग अपने दुख-दर्द बयां कर रहे थे। अगल-बगल लगे मच्छरदानियों में न कोई रिश्तेदार था न ही कोई सगा संबंधी। लेकिन बातचीत से ऐसा लग रहा था कि इनके बीच कितनी दिनों से जान-पहचान हो। कोई बेटे का हाल तो कोई बेटी का हाल पूछकर यह तसल्ली कर रहा था कि जल्द ही बेटे और बेटियां गोद में होंगे और यहां से छुट्टी मिल जाएगी। इन सबके बीच उन्हें मलाल केवल एक ही बात का था कि अगर थोड़े से इंतजाम रैन बसेरे में हो जाते तो रात अच्छे से कट जाती। इंतजाम के नाम पर उनकी मांग बस इतनी थी कि साफ-सफाई हो जाए और मच्छरों से बचाव के लिए दवाओं का छिड़काव हो जाए तो काफी हद तक राहत मिल जाती। लेकिन यह इंतजाम भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन नहीं करा पा रहा है।

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मिलकर सरकारी हैंडपंप को कर दिया ठीक

सिद्धार्थनगर इटवा के रहने वाले सूरज जायसवाल अपने नवजात बेटे को 19 अक्तूबर को बाल रोग संस्थान में लेकर इलाज के लिए आए थे। काफी विनती के बाद किसी तरह डॉक्टरों ने नवजात को भर्ती किया। सूरज बताते हैं कि पत्नी को जुड़वा बच्चे हुए। एक की मौत सिद्धार्थनगर मेडिकल कॉलेज में हो गई थी। दूसरे को रेफर कर दिया गया था। बच्चे का इलाज चल रहा है। 19 और 20 अक्तूबर की रात खुले आसमान के नीचे कटा। 21 नवंबर को किसी तरह रैन बसेरा मिला, तब से यही सहारा है। गंदगी और मच्छर का क्या हाल है यहां 10 मिनट खड़े होकर कोई भी देख सकता है। रैन बसेरे के बाहर लगा हैंडपंप खराब था। लोगों के साथ मिलकर उसे बनाया गया। पानी तो पीने लायक नहीं है लेकिन किसी तरह काम चलाया जा रहा है।

मजबूरी में किसी तरह काटी जा रही है रात

देवरिया के रहने वाले आबिद अपने दो साल के बेटे अमार के को लेकर 18 अक्तूबर को लेकर आए थे। तब से अपने वह रैन बसेरे में ही है। बताते हैं कि केवल एक ही राहत है कि ऊपर टीन शेड है। बाकी रात 12 बजते ही ठंड लगनी शुरू हो जाती है। अगर मच्छरदानी न रहे तो 10 मिनट लेटना मुमकिन नहीं है। पानी की सुविधा नहीं है न ही कोई ऐसे इंतजाम किए गए हैं कि बिस्तर डाल सका जाए। मजबूरी में जमीन पर बिस्तर डाल किसी तरह वक्त काटा जा रहा है। तसल्ली केवल इतनी है कि बेटे के ठीक होने की खबर से सारे दुख दूर हो जाता हैं।

रैन बसेरे में इंतजाम के नाम पर केवल टीन शेड

महराजगंज के रहने वाले आशुतोष यादव की पत्नी को महराजगंज में शुक्रवार को बच्चा हुआ है। बच्चे की हालत ठीक न होने पर डॉक्टरों ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। शुक्रवार को बच्चे को बाल रोग संस्थान में भर्ती करा दिए। आशुतोष बताते हैं कि शुक्रवार की रात तो किसी तरह कट गई। रैन बसेरे में ठिकाना मिल गया है, लेकिन मच्छर और गदंगी से बुरा हाल है। अब इस ठंड में किसी तरह समय काटा जा रहा है। इंतजाम के नाम पर रैन बसेरे में केवल टीन शेड है। इससे अच्छा तो बाहर है कम से वहां गदंगी तो नहीं है।

रैन बसेरे के ठीक बाहर रखा गया है कूड़ेदान

रैन बसेरे के ठीक बाहर कूड़ेदान रखा गया है। इस कूड़ेदान के बाहर खड़े होने तक की जगह नहीं है। आसपास केवल गदंगी और जूठा खाना फेंका हुआ है। इसकी वजह से लोग वहां पर खड़े तक नहीं हो सकते हैं। वहीं, दूसरी तरफ बने रैन बसेरे में 16 मच्छरदानी ही लगे थे। यह स्थायी रैन बसेरा काफी छोटा है।

नेहरू अस्पताल के रैन बसेरे से तख्त तक गायब

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में बने रैन बसेरा की हालत भी ठीक नहीं है। मरीज के तीमारदार परेशान हो रहे हैं। रैन बसेरे की हालत यह है की अंधेरे में रात गुजारनी पड़ रही है। रैन बसेरे में जो तख्त पहले से रखे गए, वह गायब है। नेहरू अस्पताल के बीचों-बीच में यह रैन बसेरा है। स्त्री प्रसूति वार्ड, हड्डी वार्ड, मेडिसिन वार्ड, मेडिसिन महिला वार्ड, सर्जरी महिला वार्ड, सर्जरी पुरूष वार्ड, कान गला वार्ड, नेत्र रोग वार्ड, ट्रामा सेंटर में भर्ती मरीज के परिजन इसी रैन बसेरे में ठहरते हैं। वहीं, रैन बसेरा के ऊपरी हिस्से वाली जगह को पलम्बर रूम बना दिया गया है।

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रैन बसेरे के इंतजाम किए जा रहे हैं। कॉलेज परिसर में जो भी रैन बसेरे बनाए गए हैं, उसके इंतजाम बेहतर कराए जाएंगे। इसके लिए मेंटीनेंस विभाग से जानकारी ली जाएगी, जो कमियां होंगी, उसे दूर किया जाएगा। जल्द ही अस्थाई रैन बसेरा भी बनाया जाएगा।

- डॉ. रामकुमार जायसवाल, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

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