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बॉयलर में धान की भूसी से घरों से लेकर फैक्ट्रियों में पहुंच रही राख

गोरखपुर के गीडा क्षेत्र की 25 से अधिक फैक्ट्रियों में धान की भूसी जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है। एनजीटी ने फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाली राख पर सवाल उठाया है। टोरेंट गैस द्वारा पीएनजी पाइपलाइन...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरTue, 17 Sep 2024 06:50 PM
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उद्योग - गीडा के 25 से अधिक फैक्ट्रियों में धान की भूसी से लगने वाली आग से फैल रहा प्रदूषण

- गीडा की फैक्ट्रियों में हर रोज 30 से 40 ट्रक धान की भूसी की है खपत

- टोरेंट गैस द्वारा पीएनजी लाइन के बाद भी फैक्ट्रियां नहीं ले रही कनेक्शन

गोरखपुर, अजय श्रीवास्तव।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा गीडा क्षेत्र की सरिया फैक्ट्री की चिमनियों से निकलने वाली राख को लेकर जवाब तलब किये जाने के बाद बॉयलर में धान की भूसी का इस्तेमाल करने वाली फैक्ट्रियां रडार पर हैं। बॉयलर में धान की भूसी के इस्तेमाल से गीडा क्षेत्र के सटे कस्बाई और ग्रामीण इलाकों के घरों व फैक्ट्रियों में पहुंच रही राख से लोग परेशान हैं। यह लापरवाही तब है जब टोरेंट गैस की तरफ से गीडा में पाइप लाइन बिछा दी गई है। इसके इस्तेमाल से प्रदूषण और राख से निजात मिलने की उम्मीद है।

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) की करीब 25 छोटी-बड़ी फैक्ट्रियों के बॉयलर में आग के लिए रोज 30 से 40 ट्रक धान की भूसी की खपत होती है। इस भूसी की आग से ही चिमनियों के जरिये राख पूरे सहजनवा कस्बे के घरों तक पहुंचता है। सहजनवा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि राख के चलते हर वक्त घरों के दरवाजे और खिड़कियों को बंद रखने की मजबूरी है। चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरएन सिंह का कहना है कि प्रदूषण की समस्या से सभी को मिलकर पहल करनी होगी। पीएनजी एक विकल्प है। इसे लेकर उद्यमियों और गीडा के अधिकारियों के साथ बैठक कर रास्ता निकालने का प्रयास होगा।

बॉक्स

टोरेंट की पाइप लाइन ज्यादातर एरिया में पहुंची

गीडा की फैक्ट्रियों में आग की जरूरतों को देखते हुए टोरेंट गैस की तरफ से पीएनजी लाइन बिछा दी गई है। सेक्टर 15 और 17 में पूरी तरह पाइप लाइन बिछा दी गई है। टोरेंट गैस के जिम्मेदारों का दावा है कि जहां भी बॉयलर का इस्तेमाल होता है, वहां से पाइप लाइन गुजरी है। धान की भूसी और पीएनजी से आग की जरूरत को पूरा करने में लागत में खास अंतर नहीं है। लेकिन प्रदूषण के स्तर का अंतर काफी अधिक है। बताया जा रहा है कि धान और पीएनजी की आग की लागत में करीब 30 फीसदी तक का अंतर आएगा।

कोट-

गीडा के ज्यादातर एरिया को पीएनजी पाइप लाइन से कवर कर लिया गया है। दो से तीन फैक्ट्रियों ने कनेक्शन ले भी लिया है। जहां से पाइन लाइन गुजरी है, वहां की फैक्ट्रियों को तत्काल कनेक्शन दिया जा सकता है। डिमांड पर अधिकतम 15 दिन में हम कनेक्शन देने की स्थिति में हैं।

- संजय शर्मा, वाइस प्रेसीडेंट, टोरेंट गैस

कोट-

गीडा क्षेत्र में टोरेंट के साथ गेल की भी पाइप लाइन गुजरी है। इंडस्ट्री के लोगों के साथ बैठक कर उन्हें पीएनजी कनेक्शन लेकर उसका प्रयोग करने को जागरूक किया जाएगा। इसकी प्रभावशीलता भी अधिक है और प्रदूषण से राहत भी मिलेगी।

- अनुज मलिक, सीईओ, गीडा

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