कुंभकरण की मौत का राज उलझा, चंडीगढ़ पीजीआई में सिर्फ दस साल का रिकॉर्ड
- पीजीआई ने पुलिस को लिखित जबाब दिया, बताया सिर्फ दस साल का रिकॉर्ड
गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। 20 वर्ष से गायब कुंभकरण का राज एक बार फिर उलझ गया है। चंडीगढ़ पीजीआई ने पुलिस को दस वर्ष का रिकॉर्ड ही उपलब्ध होने की जानकारी दी है, जबकि कुंभकरण का मामला 20 वर्ष पुराना है। अब 18 वर्ष की उम्र में 2005 में पंजाब कमाने गया कुंभकरण जिंदा है या नहीं, इसकी जांच कर रही पुलिस की पहली कड़ी टूट गई है। अब पुलिस अन्य स्रोतों से जांच को आगे बढ़ा रही है।
दरअसल, सुमित्रा ने दिए प्रार्थना पत्र में लिखा है कि 2005 में उसका भाई कुंभकरण कमाने के लिए पंजाब गया था। बाद में पता चला कि गुलरिहा इलाके की एक युवती भी उसके साथ गई थी। उसने आकर बताया कि कुंभकरण सर्पदंश से मौत हो गई। लेकिन, उसकी लाश नहीं मिली। कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज कराया गया तो विवेचक ने भी अपनी चार्जशीट में लिखा कि अभियुक्त से मिले प्रमाण पत्र से पता चला है कि सर्पदंश से उसकी मौत हो गई। लेकिन, उसकी लाश के बारे में नहीं बता सके। बाद में सुमित्रा को चंडीगढ़ से पता चला कि उसके साथ आए भोला ने पोस्टमार्टम न कराने की बात लिखित में दी थी। सुमित्रा के अनुसार, कुंभकरण जहां काम करता था, वहीं के एक नौकर ने उसे बताया था कि आपके भाई को मालिक ने कहीं दूर भेज दिया था। इसकी जांच कर रही पुलिस ने पीजीआई चंडीगढ़ से संपर्क किया तो पता चला कि वहां पर रिकॉर्ड ही नहीं है।
कुंभकरण प्रकरण में चंडीगढ़ पीजीआई की ओर से दस वर्ष का ही रिकॉर्ड होने की जानकारी मिली है। पुलिस जांच कर रही है। जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
- जितेंद्र श्रीवास्तव, एसपी नार्थ
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