जेलर बने टीचर, जेल में जगाने लगे शिक्षा की अलख, अब यहां रोज लगती है क्लास
अपनी मां के साथ जेल में आए मासूमों के जेहन में इन दिनों जेलर प्रेम सागर शुक्ल शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। जिला जेल में सलाखों के पीछे बच्चों की एक क्लास चल रही है। मौका निकाल कर जेलर जेलर यहां स्वयं...
अपनी मां के साथ जेल में आए मासूमों के जेहन में इन दिनों जेलर प्रेम सागर शुक्ल शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। जिला जेल में सलाखों के पीछे बच्चों की एक क्लास चल रही है। मौका निकाल कर जेलर जेलर यहां स्वयं शिक्षक की भूमिका भी निभा रहे हैं। बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दे रहे हैं जिससे वह जब यहां से बाहर जाएं तो उन्हें शून्य से अपनी शुरुआत न करनी पड़े।
दरअसल, विभिन्न अपराधों में जेल में आई महिलाओं के छोटे-छोटे बच्चे भी अपनी मां के साथ जेल की सजा भुगत रहे हैं। जेल में निरुद्ध महिला बंदियो के साथ उनके मासूम बच्चें भी जेल की चहारदीवारी में ही कैद हैं। वह भी अपनी मर्जी के बिना अंदर बाहर नहीं जा सकते हैं। जब तक यह बच्चे थोड़ी-बहुत समझ वाले नहीं हो जाते तब तक वे अपनी मां के साथ ही रहते हैं। ऐसे में उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी नहीं मिल पाती है। उनके साथ उनका बचपन भी और शिक्षा दोनों जेल में कैद रहता है। पर जेलर प्रेमसागर शुक्ला ने जेल में निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाने के साथ ही इन मासूम बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा पर जोर दिया है।
वह खुद बच्चों को शिक्षित करने के लिए निरंतर सुबह-शाम कक्षाएं संचालित कर रहे हैं,साथ ही स्वच्छता-स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उनकी लगन से जेल के वातावरण में बदलाव भी आ रहा है। जेलर ने बच्चों को पढ़ने के लिए कॉपी-किताब पेंसिल एवं अन्य शिक्षण समाग्री भी उपलब्ध कराई है।
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