Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़गोरखपुरInfection Control Challenges at BRD Medical College Gorakhpur Amid High Patient Volume

बीआरडी में संक्रमण रोकने के लिए बनी कमेटी

पेशेंट सेफ्टी डे हॉस्पिटल इनफेक्शन कंट्रोल कमेटी संक्रमण के प्रसार की करेगी निगरानी

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरTue, 17 Sep 2024 02:07 AM
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गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। पूर्वी यूपी के सबसे बड़े बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मरीजों की सुरक्षा में संक्रमण बड़ी चुनौती बन गया है। करीब 1700 बेड वाले मेडिकल कॉलेज में रोजाना 15 हजार से अधिक लोग पहुंचते हैं। लगभग चार मरीज रोजाना ओपीडी में इलाज करने आते हैं। ट्रामा सेंटर, मेडिसिन, गायनी और बालरोग इमरजेंसी में करीब 750 से 800 मरीज रोजाना गंभीर हालत पहुंचते हैं। मरीजों के साथ ही दो-दो तीमारदार भी होते हैं। इसके कारण अस्पताल में संक्रमण का खतरा लगातार बना हुआ है।

इस खतरे से निपटने के लिए अस्पताल मेडिकल कॉलेज में हॉस्पिटल इनफेक्शन कंट्रोल कमेटी बनी है। यह अस्पताल में संक्रमण के प्रसार की निगरानी करेगी। क्लीनिकल विभाग के सभी विभागाध्यक्ष कमेटी के सदस्य हैं। नेहरू अस्पताल की एसआईसी इस कमेटी की अध्यक्ष हैं। माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष को इसका संयोजक व डॉ गगन गुप्ता और मेट्रन प्रशासनिक सदस्य हैं।

गायनी व आर्थो में मिला था संक्रमण

वर्ष 2023 के सितंबर में गायनी विभाग में संक्रमण का मामला सामने आया था। सिजेरियन के बाद प्रसूताओं के टांके पक गए। इसके अलावा ऑर्थोपेडिक वार्ड में भी ऐसे ही संक्रमण फैला था। बालरोग विभाग के आईसीयू में बच्चों को निमोनिया हो जा रहा था। पीडियाट्रिक आईसीयू में 10 से अधिक मासूमों को निमोनिया के मामले सामने आने के बाद डॉक्टरों के कान खड़े हुए। दोनों मामलों की जांच के लिए स्पेशल कमेटी गठित हुई। जांच में आईसीयू व गायनी वार्ड के अंदर संक्रामक बैक्टीरिया और फंगस मिले। आईसीयू के वेंटिलेटर पाइप से लेकर दीवारों तक से सैंपल लिए गए। दर्जनभर जानलेवा बैक्टीरिया और फंगस का पता चला। 500 बेड सुपर स्पेशियलिटी में मिल्क बैंक, डायलिसिस यूनिट, 200 बेड सुपर स्पेशियलिटी में कैथलेब और ऑपरेशन थिएटर में भी संक्रामक बैक्टीरिया मिले।

हर महीने हो रही है ओटी की जांच

मामले की संजीदगी को देखते हुए एक ओटी कल्चर सर्विलांस टीम गठित की गई है। यह टीम हर महीने सिर्फ ऑपरेशन थिएटर में संक्रमण की पहचान कर रही है। इस कमेटी में जूनियर डॉक्टरों के साथ ओटी टेक्नीशियन, लैब टेक्नीशियन की टीम है। जो नमूने एकत्र कर जांच करती है।

संक्रमण नियंत्रण से इलाज में तेजी से हो रही रिकवरी

माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ अमरेश सिंह ने बताया कि संक्रमण नियंत्रित होने से मरीज की रिकवरी तेज होती है। मरीज को इलाज के दौरान अतिरिक्त इन्फेक्शन नहीं होता। हॉस्पिटल इंड्यूस्ड इन्फेक्शन से इलाज लंबा खिंच जाता है। ऐसे संक्रमणों को नॉसोकॉमियल इफ़ेक्शन कहा जाता है। अमेरिका के अस्पताल में भर्ती होने वाले लगभग 4 से 5 फीसदी लोगों को अस्पताल में रहने के दौरान कोई संक्रमण हो जाता है। इनमें से लगभग 75,000 लोगों की हर साल मृत्यु हो जाती है।

जानलेवा होता है संक्रमण

डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि मरीज की इम्यूनिटी कमजोर होने पर ही बैक्टीरिया, फंगस से सेक्रमण होता है। इससे डायरिया, निमोनिया, ब्लडस्ट्रीम इन्फेक्शन और सर्जिकल साइट इन्फेक्शन हो सकता है। यह जानलेवा होता है।

इनको संक्रमण का खतरा अधिक होता है

शिशु, बुजुर्ग, कमज़ोर प्रतिरक्षण वाले, सर्जरी वाले मरीज, इंट्रावीनस कैथेटर, यूरिनरी ड्रेनेज कैथेटर और एयरवे ट्यूब (वेंटिलेटर पर सांस लेने में सहायता के लिए) वाले मरीज

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