सिविल एरिया में बंकर नहीं होते, गड्ढों में छिपकर करते बचाव
Gorakhpur News - फ्लाईओवर, अंडरपास हैं बंकर के विकल्प बॉर्डर क्षेत्रों में बंकर बनाए जाते हैं, जो एल

गोरखपुर निज संवाददाता भारतीय थल सेना के मध्य कमान के पूर्व चीफ ऑफ द स्टाफ एवं उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) रविन्द्र प्रताप शाही ने बताया कि भारतीय सेना ने गुरुवार को महत्वपूर्ण विमानों को गिराकर पाकिस्तान की कमर तोड़ दी, जबकि भारतीय क्षेत्र में अब तक कोई बड़ी क्षति नहीं है। हमारी सेना के शौर्य से पाकिस्तान और आतंकवाद का मनोबल टूट रहा है। देश को सेना के शौर्य और पराक्रम पर जो भरोसा है , उसे आपरेशन सिंदूर ने और मज़बूत किया है । उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से गोरखपुर ज्यादा दूर है, यहां तक पहुंचने की पाकिस्तान की क्षमता नहीं है, फिर भी सतर्कता बरतनी चाहिए।
सिविल एरिया में बंकर नहीं होते हैं। पुराने जमाने में 4-5 फीट गहरा और 2.5 फीट चौड़ा गड्ढा जेड आकार में खोदा जाता था, जहां लोग छिपकर बचते थे। हवाई हमले के दौरान ज्यादा पुराने मकान में नहीं रहना चाहिए, क्योंकि मकान के मलबे के नीचे दबने की आशंका होती है। पेड़ के नीचे नहीं रहना चाहिए। इसके साथ ही काफी संख्या में लोगों को इकट्ठा नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति में दो दीवारों के कोने में छिप जाना बेहतर होता है। रात में बत्ती बुझा देनी चाहिए, यदि खिड़की से रोशनी बाहर जा रही हो तो परदा डाल देना चाहिए। फ्लाईओवर, अंडरपास हैं बंकर के विकल्प बॉर्डर क्षेत्रों में बंकर बनाए जाते हैं, जो एल आकार में होते हैं और इसमें बचने की संभावना अधिक होती है। सेना में मैं एडम सपोर्ट में था और बंकर बनाना भी मेरा काम था। जो क्षेत्र में बॉर्डर से दूर हैं, वहां बंकर नहीं हैं। ऐसे क्षेत्रों में बंकर का सबसे बेहतर विकल्प अंडरपास हैं। अंडरपास के दोनों ओर मजबूत दीवार होती हैं, इसके साथ ही फ्लाईओवर के नीचे भी बचने की संभावना होती है। आवश्यकता पड़ने पर बाहर हैं तो मजबूत दीवार के पास बचाव कर सकते हैं। घर में दीवार के कोने की दीवार या टेबल के नीचे छिपा जा सकता है। यदि मैदानी इलाके में हैं तो पेट के बल जमीन पर लेट जाना चाहिए, इससे दूर गिरे हुए बम की वेब्स ऊपर से निकल जाएंगी और बचने की अधिक संभावना होगी। एडम सपोर्ट में सेना को रसद पहुंचाने, प्रशासनिक एवं चिकित्सा सहित अन्य कार्य किया जाता है। - अवधेश कुमार पांडेय, कारगिल युद्ध के अनुभवी पूर्व सैनिक
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