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विश्व गुर्दा दिवस आज: ठप है बच्‍चे की लम्‍बाई तो खराब हो सकती है किडनी

केस एक- इंजीनियरिंग कालेज के पास रहने वाले साफ्टवेयर इंजीनियर के 10 साल के बेटे को किडनी की बीमारी है। उसका इलाज निजी चिकित्सक के पास चल रहा है। सिनेमा रोड स्थित निजी अस्पताल में मासूम की डायलिसिस...

कार्यालय संवाददाता गोरखपुर Thu, 14 March 2019 05:48 PM
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केस एक- इंजीनियरिंग कालेज के पास रहने वाले साफ्टवेयर इंजीनियर के 10 साल के बेटे को किडनी की बीमारी है। उसका इलाज निजी चिकित्सक के पास चल रहा है। सिनेमा रोड स्थित निजी अस्पताल में मासूम की डायलिसिस होती है। 

केस दो- सहबगंज के व्यापारी के छह वर्षीय पुत्र का शरीर सूज रहा था। परिवारीजन उसे इलाज के लिए बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले गए। डॉक्टर ने किडनी के बीमारी का संदेह जताया। नेफ्रोलॉजिस्ट की जांच में इसकी तस्दीक हो गई। 

यह दो मामले बानगी है। बच्चों में किडनी रोग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. विजय प्रकाश सिंह ने बताया कि अगर बच्चे की लम्बाई न बढ़ रही हो, चलने में उसका पांव टेढ़ा हो रहा हो या फिर शरीर की हड्डियां टूट रही हो तो हो जाएं सतर्क। यह गुर्दा रोग का लक्षण है।
 
उन्होंने बताया कि किडनी के रोगियों में हर दसवां मरीज बच्चा है। दो वर्ष से लेकर छह वर्ष के मासूम इस बीमारी के शिकार सर्वाधिक होते हैं। इस बीमारी के कारण गुर्दा सही से काम नहीं करता। पेशाब के साथ प्रोटीन और कैल्शियम ज्यादा मात्रा में निकलता है। इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। बदन में दर्द होता है। जरा सा चोट लगने पर हड्डी टूट जाती है। इतना ही नहीं बच्चों की लंबाई भी औसत से धीमे गति से बढ़ती है। चेहरे और शरीर में सूजन हो जाता है। पेट फूल जाता है और पेशाब कम होता है। 

यूटीआई और मोटापा से हो सकती है गुर्दे की बीमारी
नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. आनंद बंका ने बताया कि पेशाब के रास्ते में संक्रमण एक सामान्य बीमारी है। महिलाओं में यह ज्यादा होती है। अगर पेशाब के रास्ते में संक्रमण बार-बार हो रहा हो तो इससे भी गुर्दा खराब हो सकता है। इसके अलावा मोटापा से भी गुर्दा खराब हो सकता है। 

30 मासूमों की चल रही है डायलिसिस
महानगर में 30 मासूम क्रानिक किडनी रोग से पीड़ित हैं। अलग-अलग सेंटरों पर इनकी डायलिसिस चल रही है। सबसे ज्यादा 7 मासूमों की डायलिसिस सावित्री अस्पताल में होती है। इसके अलावा बीआरडी, जिला अस्पताल और तीन प्राइवेट सेंटरों पर भी मासूमों की डायलिसिस हो रही है।  

सिगरेट और शराब के सेवन से होती है खराब किडनी
होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. रूप कुमार बनर्जी ने बताया कि सिगरेट और शराब के सेवन का सीधा असर किडनी पर पड़ता है। यह किडनी में खून के प्रवाह को धीमा कर देता है। जब किडनी में कम रक्त पहुंचता है, तो ये सही ढंग से कार्य नहीं कर पाते। ये किडनी के कैंसर के खतरे को भी 50 प्रतिशत तक बढ़ा देते  है। इसके अलावा नमक के अत्यधिक सेवन से भी किडनी फंक्शन प्रभावित होता है। 

बचाव
-रोजाना तीन से चार लीटर शुद्ध पानी पीना चाहिए
- डायबिटीज और हाई ब्लड प्रशर को नियंत्रण में रखना चाहिए
- दर्द की दवा और एंटीबायोटिक सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर लें
- अनावश्यक दवाईयों के सेवन से बचें
- महिलाओं को जननांगों की सफाई पर ध्यान देना चाहिए

लक्षण
- शरीर में सूजन
- भूख की कमी
- उल्टी या मिचली आना
- खून की कमी
- हड्डियां कमजोर होना
- कमजोरी या थकान होना
- सांस फूलना
- पेशाब की मात्रा कम होना
- पेशाब में झाग ज्यादा होना
- रक्तचाप का बढ़ना

मिथक
1- खूब पानी पीने से नहीं होता किडनी का रोग

- यह सही नहीं है। रोजाना दो से लेकर चार लीटर तक ही पानी पीना चाहिए। इससे कम या ज्यादा पानी पीने से किडनी फंक्शन पर असर पड़ता है।

2-किडनी का रोग लाइलाज है
- यह गलत है। किडनी में संक्रमण, पथरी, गुर्दे की टीबी और कैंसर तक का इलाज हो जाता है। नेफ्रोटिक सिंड्रोम का भी इलाज हो जाता है।

3-शरीर में सूजन मतलब किडनी का रोग
- शरीर में सूजन कई बीमारियों के कारण हो सकता है। इनमें से एक बीमारी गुर्दा रोग भी है। यह जरूरी नहीं कि हर सूजन का कारण गुर्दा रोग हो।

4-एक किडनी से दूसरे किडनी में होता है संक्रमण
- यह जरूरी नहीं है। पेशाब के रास्ते के संक्रमण का असर दोनों किडनी पर एक साथ पड़ता है। पथरी सिर्फ एक किडनी में हो सकती है।

5-बीयर या शराब का सेवन किडनी फंक्शन को दुरूस्त करता है
- यह पूरी तरह से गलत है। बीयर के सेवन से यूरिक एसिड बढ़ने और पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है। यह शरीर के दूसरे अंग पर भी बुरा प्रभाव डालता है।

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