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हाइपरटेंशन से मरीजों को हेल्प सिंड्रोम का खतरा

- हेल्प सिंड्रोम से प्लेटलेट्स हो जा रहे हैं कम - लिवर एंजाइम की दिक्कत

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरSun, 24 Nov 2024 01:56 AM
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गोरखपुर। नीरज मिश्र हाइपरटेंशन खासकर गर्भवती महिलाओं को हेल्प सिंड्रोम का खतरा दे रहा है। इस सिंड्रोम के कारण महिलाओं के शरीर के तीन से चार अंगों पर असर पड़ रहा है। एम्स में 10 से 12 फीसदी महिलाओं में इस तरह के केस देखने को मिले हैं। इस सिंड्रोम की वजह से लिवर एंजाइम से लेकर प्लेटलेट तक कम हो जा रही है। एम्स के डॉक्टरों ने गर्भवती महिलाओं को सलाह दी है कि वे तनाव से हर हाल में बचें।

एम्स की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ.शिखा सेठ ने बताया कि हाइपरटेंशन गर्भवतियों के लिए सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। इस मौसम में हाइपरटेंशन का खतरा भी ज्यादा है। एम्स में हर दिन 100 में 10 से 12 गर्भवतियों की जांच में हेल्प सिंड्रोम की पुष्टि हो रही है। इसमें गर्भवतियों के प्लेटलेट कम हो जा रही है। लिवर एंजाइम्स भी बढ़ता हुआ मिला है। कई मामलों में ब्लड प्रेशर बढ़ने से ये गंभीर स्थिति में भी पहुंच जा रही है। कई बार दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है। इसलिए गर्भवतियों को सलाह दी जा रही है कि वे समय-समय पर जांच जरूर कराएं।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. वाणी आदित्य ने बताया कि यह गर्भावस्था की एक गंभीर और खून से जुड़ी बीमारी है। इस सिंड्रोम के कारण महिलाओं के शरीर के तीन से चार अंगों पर असर पड़ रहा है। इसमें रक्त की कोशिकाओं में गड़बड़ी आ जाती है। लाल रक्त कणिकाएं और प्लेटलेट अपने आप नष्ट होने लगती है। बीआरडी में इस तरह के मरीजों की संख्या पिछले दो से तीन साल के अंदर बढ़ी है। पहले 100 में तीन से चार गर्भवतियों को यह दिक्कत होती थी लेकिन अब संख्या 12 से 15 फीसदी पहुंच गई है।

दवाओं का नहीं हो रहा असर

जिन महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर है या वे प्री-इक्लैंपशिया से पीड़ित हैं, उनमें हेल्प सिंड्रोम होने का खतरा सबसे अधिक है। यह सिंड्रोम गर्भावस्था के 37वें सप्ताह के बाद या प्रसव के एक सप्ताह बाद भी होता है। दो से तीन फीसदी महिलाओं पर दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है। कई मामलों में स्थितियां बेहद गंभीर हो जा रही हैं।

हेल्प सिंड्रोम में होती हैं ये दिक्कतें

डॉ. वाणी आदित्य ने बताया कि हेल्प सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं में चार तरह की दिक्कतें सबसे अधिक होती हैं। यूरिनेशन में दिक्कत, खून की उल्टी, मतली या थकान है तो ये हेल्प सिंड्रोम के सबसे अहम लक्षण हैं। ऐसे मरीजों को अगर समय से इलाज नहीं मिलता है तो लिवर क्षतिग्रस्त होने की संभावना 80 फीसदी होती है। ऐसी महिलाएं तत्काल डॉक्टर से सलाह लें, वरना उनके साथ गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है।

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