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गोरखपुर में आर्सेनिक प्रभावित इलाकों से उखाड़े जाएंगे हैंडपंप

Gorakhpur News - जिले में भू-गर्भ जल में आर्सेनिक की शिकायतों वाले 40 ग्राम सभाओं में जलनिगम द्वारा लगाए गए हैंडपम्प उखाड़े जाएंगे। इस बाबत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरFri, 5 Feb 2021 10:52 PM
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जिले के 43 गांव आर्सेनिक से हैं प्रभावित

एनजीटी ने दिया है हैंडपंप उखाड़ने का आदेश

गोरखपुर। वरिष्ठ संवादाता

जिले की भू-गर्भ जल में आर्सेनिक की शिकायतों वाली 43 ग्राम सभाओं में जलनिगम द्वारा लगाए गए हैंडपम्प उखाड़े जाएंगे। इस बाबत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यूपी जल निगम और पंचायतीराज विभाग का आदेश दिया है। ग्राम पंचायत विभाग जहां जिले की 40 से अधिक ग्रामसभाओं में आर्सेनिक मिश्रित पानी की बात स्वीकार कर रहे हैं वहीं जल निगम के अधिकारियों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि जिला आर्सेनिक मुक्त है।

गोरखपुर-बस्ती मंडल में आर्सेनिक को लेकर शिकायतें मिलती रही हैं। एडीओ पंचायत से मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा आर्सेनिक प्रभावित गांव बेलघाट में हैं, यहां के 21 गांव प्रभावित हैं। इसके बाद ब्रह्मपुर में आठ ग्राम जबकि गोला में सात गांव और बड़हलगंज में चार व उरुवा में तीन गांव प्रभावित हैं।

डीपीआरओ हिमांशु शेखर ठाकुर का कहना है कि शासन के निर्देश मिलने के बाद अनुपालन कराया जाएगा। वहीं जलनिगम के एक्सईएन सिकंदर अली का कहना है कि कैम्पियरगंज इलाके में छह साल पहले पानी में आर्सेनिक मिलने की सूचना थी। इसके बाद कोई सूचना नहीं है। वह कहते हैं कि जल निगम हैंडपंप को री-बोर नहीं कर रहा है। आर्सेनिक प्रभावित गांव में हैंडपम्प उखाड़ना भी होगा तो वह पंचायती राज विभाग देखेगा। जलनिगम के मुख्य अभियंता ओपी सिंह का कहना है कि गोरखपुर में आर्सेनिक के मामले नहीं है। फिलहाल शासन से जैसा निर्देश मिलेगा वैसा करेंगे।

शहर के भू-गर्भ जल में भी आर्सेनिक

पांच साल पहले एमएमएमटीयू के छात्रों ने पानी की जांच की थी। इस जांच रिपोर्ट में नगर निगम क्षेत्र में ही आर्सेनिक मिलने की पुष्टि हुई थी। एमएमएमटीयू के शोध छात्र संजय कुमार ने शहर के 70 इंडिया मार्क टू समेत गोरखपुर जिले के कुल 248 जगहों से पानी का नमूना लिया था। इनमें से 36 फीसदी नमूने की जांच में आर्सेनिक और 27 फीसदी नमूनों की जांच में फ्लोराइड ज्यादा पाया गया। ऐसे इलाके असुरन, बहरामपुर, राप्तीनगर, बेतियाहाता आदि हैं। नमूनों की जांच रिपोर्ट के आधार पर शोध छात्रों और विशेषज्ञों का दावा था कि हैंडपंप की गहराई मानक के मुताबिक नहीं है या फिर शहर में दूसरे स्ट्रेटा (भू गर्भ जल की दूसरी सतह) का पानी भी प्रदूषित हो चुका है। रिपोर्ट में 36 प्रतिशत सैंपल में आर्सेनिक मिला था। पानी में प्रति लीटर फ्लोराइड की मात्रा एक मिलीग्राम और आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए।

आर्सेनिक प्रतिरोधक फसल की संभावना

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग को आर्सेनिक प्रभावित इलाकों के लिए ऐसी फसलों की संभावना तलाशने को कहा है जिसमें आर्सेनिक प्रतिरोधक हो। ताकि अनाज में आर्सेनिक की मात्रा नहीं के बराबर हो। पीठ ने यह आदेश इसलिए दिया है क्योंकि भूजल में आर्सेनिक की मात्रा होने के चलते इसका असर आनाज में भी होता है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

बंगलादेश की तर्ज पर आर्सेनिक फिल्टर की संभावना

एनजीटी ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ऐसे शोध संस्थानों से संपर्क करने को कहा है जो भूजल को फिल्टर करने की प्रक्रिया लागू कर सके। पीठ ने बांग्लादेश की तर्ज पर यूपी में भी भूजल से आर्सेनिक को फिल्टर करने की तकनीक को अपनाने की संभावना पर कम करने को कहा है।

नोट :

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इन राज्यों में भी बड़े पैमाने पर आर्सेनिक प्रभावित

यूपी के अलावा बिहार, बंगाल, झारखंड, असम, पंजाब सहित आर्सेनिक प्रभावित 12 राज्यों के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को राष्ट्रीय स्तर आर्सेनिक की समस्या का निगरानी और सुधार के लिए समुचित कदम उठाने को कहा है। इसके अलावा इन राज्यों, खासकर पंजाब और बंगाल के मुख्य सचिवों को आर्सेनिक प्रभावित इलाकों में स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करने और इससे जुड़ी तमाम समस्याओं के निदान के लिए कदम उठाने का आदेश दिया है।

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