निराला का साहित्य स्त्रियों के साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ : प्रो. सूर्य नारायण सिंह
गोरखपुर के दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में ‘साहित्य संवाद श्रृंखला’ के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. सूर्य नारायण सिंह ने कहा कि निराला की कविता आज के समय में...
गोरखपुर, निज संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में ‘साहित्य संवाद श्रृंखला के तहत बुधवार को कार्यक्रम आयोजित किया गया। ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का समकालीन संदर्भ विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. सूर्य नारायण सिंह ने कहा कि केवल मृत व्यक्ति में ही अंतर विरोध नहीं होता। हम जिस यांत्रिक सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं वह हमारे भाव व संवेदना जगत को संकुचित कर रहा है, जबकि निराला की कविता अंतःकरण के आयतन को बढ़ाती है। इस क्षत विक्षत अंतस के दौर में निराला की कविता विशेष रूप से प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि निराला के साहित्य में नायक स्त्रियां हैं। स्त्रियों का शव लेकर कोई समाज विजयी नहीं हो सकता। निराला के आधुनिक समाज की कल्पना में स्त्रियां ज्यादा वरेण्य हैं। निराला का साहित्य मौजूदा समाज में स्त्रियों के साथ होने वाले अत्याचार, हत्या, बलात्कार के खिलाफ है। निराला को तर्क व संदेह के साथ पढ़ें, आस्था व श्रद्धा के साथ नहीं। निराला सचेतन तर्क के लिए अपने पाठकों को न्योता देते हैं। वर्तमान समय आत्म मुग्धता एवं आत्म प्रशंसा का दौर है। ऐसे समय में निराला को याद करना जरूरी है जो अपने ही घेरे को तोड़ते रहे और अपने से ही असंतुष्ट रहे। निराला आत्ममुग्धता के बरक्स आत्म संशय के कवि हैं। प्रो. अनिल राय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। विभागाध्यक्ष प्रो. कमलेश गुप्त ने स्वागत वक्तव्य दिया। संचालन डॉ राम नरेश राम और आभार ज्ञापन प्रो. विमलेश मिश्र ने किया।
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