Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़गोरखपुरGorakhpur s Moti Pokhara Revitalized Advanced Technology Cleans Decades of Pollution

अब मोती पोखरा को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने की तैयारी

गोरखपुर के नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने मोती पोखरा का निरीक्षण किया। गुजरात की कंपनी वेलिएंट इंटैक प्राइवेट लिमिटेड ने अपने खर्च पर पोखरे का जल साफ किया। इस प्रक्रिया में नैनो बबल्स और अल्ट्रासाउंड...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरSun, 24 Nov 2024 04:57 PM
share Share

गोरखपुर, मुख्य संवाददाता। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने रविवार को बशारतपुर स्थित मोती पोखरा का निरीक्षण कर प्रसन्नता व्यक्त किया। साउथ अफ्रीका में तालाब और पोखरों के जल को शोधित कर स्वच्छ बना रही गुजरात की कंपनी वेलिएंट इंटैक प्राइवेट लिमिटेड खुद के खर्चे पर दशकों से गंदे पड़े मोती पोखरा के जल को स्वस्थ बना दिया है। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने साथ आए मुख्य अभियंता संजय चौहान को पोखरे का सुंदरीकरण करने के निर्देश दिए। संजय चौहान को निर्देशित किया कि पोखरा के चारों तरफ सीढ़िया बना चाहदीवारी की जाए। पीपीपी मॉडल कर किसी एजेंसी से इसे पिकनिक स्पॉट की रह विकसित कराएं। ताकि यहां फूड कोर्ट के साथ बोटिंग का भी आनंद उठा सके। नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह को पोखरे की पैमाइश करा अतिक्रमण को चिन्हित कर हटाने के निर्देश भी दिए। मुख्य अभियंता संजय चौहान और वेलिएंट इंटैक प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि ने अधिकारियों को बताया कि 24 सितंबर को मोती पोखरे पर काम शुरु किया। फर्म की पेटेंट तकनीक,‘आर.ई.जी.ए.एल यानी रेडिकल एन्हांसमेंट यूसिंग गैस असिस्टेड लिक्विड डिस्पर्सन का इस्तेमाल कर सिर्फ मोती पोखरा को इतना साफ कर दिया कि तल दिखने लगा। तालाब में बीओडी (जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग) 65 से घट कर 09 पीपीएम और सीओडी (रासायनिक ऑक्सीजन मांग) 170 से घट कर 10.1 पीपीएम और अमोनिया की मात्रा भी खतरनाक स्तर 1.8 पीपीएम से घट कर 0.01 पीपीएम रह गई है। एनएबीएल की लैब रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआत में जहां झील में घुलनशील आक्सीजन की मात्रा 27 डिग्री सेंटीग्रेट पर 5.3 पीपीएम मिली थी, ताजा रिपोर्ट में बढ़ कर 9.8 पीपीएम हो गई।

ऐसे काम करता है आरईजीएएल

वेलिएंट इंटैक प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ परम देसाई के मुताबिक दशकों पुराने पोखरे में नैनो बबल्स की शक्ति, उत्प्रेरक के रूप में अल्ट्रासाउंड और फ्री रेडिकल्स का उपयोग किया जा रहा। अल्ट्राउंड मशीन से 20 हजार से 30 हजार मेगा हर्त्ज की ध्वनियां पोखरे के जल में उत्पन्न कर ई-कोलाई बैक्टीरिया के सेल को क्षतिग्रस्त कर रहे। निरंतर चलने वाली इस प्रक्रिया से ई-कोलाई मृत हो जाते हैं। दूसरी ओर नैनो बबल तकनीक का ‘एरेटर की मदद से इस्तेमाल जारी है। एरेटर कोरोना वायरस से भी छोटे-छोटे बुलबुलों की मदद से आक्सीजन पानी के तल तक पहुंचाता है। इससे जल में आक्सीजन की मात्रा में बढ़ोत्तरी के साथ लाभकारी बैक्टीरिया को पनपने और खुद को तेजी से विस्तारित करने में सफलता मिलती है।

लाभकारी बैक्टीरिया गंदगी को खा बढ़ाते हैं डीओ

लाभकारी बैक्टीरिया पोखरे के तल में जमा गंदगी (सीओडी एवं बीओडी) को भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं जिससे पोखरे की सफाई होने के साथ जल का घनत्व भी बढ़ जाता है। इस कारण तल में जमा प्लास्टिक भी आदि ऊपर आने लगा है जिसे छाना जा रहा। इन क्रियाओं से पोखरा के जल में फ्री-रेडिकल्स (मुक्त कण) का निर्माण होता है। इन फ्री-रेडिकल्स के बाहरी आवरण में कम से कम एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है। एक और इलेक्ट्रान प्राप्त करने या दान करने की तलाश में ये फ्री रेडिकल्स अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और अस्थिर होते हैं जिसे पोखरा की सफाई में मदद मिलती है।...और आक्सीजन का पोखरे में तेजी से विस्तार होता है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें