बोले गोरखपुर: ‘बिजली मार्केट से मिले पहचान यूरिनल और पार्किंग की जरूरत
Gorakhpur News - गोरखपुर में कोतवाली की तरफ जाने वाली सड़क पर बिजली उपकरणों की 200 से अधिक दुकानें हैं। व्यापारियों का कहना है कि इस बाजार को 'बिजली मार्केट' का नाम दिया जाए ताकि पहचान बने। वे नगर निगम से बेहतर...

घोष कंपनी से कोतवाली की तरफ जाने वाली सड़क के दोनों तरफ और गलियों में बिजली के उपकरणों की छोटी-बड़ी 200 से अधिक दुकानों पर रोज करोड़ों रुपये का थोक और फुटकर कारोबार होता है। कारोबारियों का दर्द है कि चार दशक पुराने मार्केट की कोई पहचान नहीं है। हर कोई अपनी सुविधा के अनुसार इसका नामकरण करता है। इस बाजार का नाम ‘बिजली मार्केट होना चाहिए, जिससे पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से आने वाले फुटकर कारोबारियों को राहत मिले और मार्केट को पहचान भी मिले। गोरखपुर। नब्बे के दशक में घोष कंपनी से कोतवाली की तरफ जाने वाली सड़क पर बिजली के उत्पादों की पहली दुकान खुली तो किसी को अंदाजा नहीं था कि यह रोड पूर्वांचल की सबसे प्रमुख बिजली उपकरणों के मार्केट के रूप में गुलजार होगी। यहां प्रतिदिन करोड़ों रुपये का कारोबार होता है। व्यापारी हर साल करोड़ों रुपये जीएसटी देते हैं। लेकिन इनका दर्द मार्केट के पहचान के साथ ही नगरीय सुविधाओं को लेकर है।
वर्ष 1992 में रोशनी केन्द्र के नाम से दुकान खोलने वाले राजीव रस्तोगी गोरखपुर इलेक्ट्रिकल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। वह कहते हैं कि कोतवाली रोड के साथ गलियों और काम्प्लेक्स में बिजली उपकरणों की 200 से अधिक दुकानें हैं। नगर निगम से इस मंडी को बिजली मार्केट नाम देने की मांग होती रही है। लेकिन अभी तक बाजार को पहचान नहीं मिल सकी है। कारोबारी आलोक गुप्ता कहते हैं कि यहां के दुकानदार नगर निगम से लेकर वाणिज्य कर विभाग तक को टैक्स देते हैं। लेकिन नगरीय सुविधाओं को लेकर कुछ भी बेहतर नहीं कहा जा सकता है। मुख्य चौराहे पर ट्रांसफार्मर के ठीक बगल में खुला नाला है। स्थानीय दुकानदार पॉलीथिन से ढक कर ट्रांसफार्मर को रखते हैं। यहां कई बार पशु खुले नाले में गिर चुके हैं।
नगर निगम को चाहिए कि नाले पर स्लैब डाले और बिजली विभाग ट्रांसफार्मर के चारों तरफ टूटे जाली को बदले। कारोबारियों का गुस्सा नियमित सफाई नहीं होने को लेकर भी है। कारोबारी कहते हैं कि सभी प्रमुख बाजार में रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था है। लेकिन इस बाजार में शाम के बाद सफाई नहीं होती है। रात्रिकालीन सफाई की व्यवस्था शुरू हो तो गंदगी काफी हद तक दूर हो सकती है। पार्किंग नहीं होने से लगता है जाम: प्रमुख बाजार में सार्वजनिक पार्किंग नहीं होने से खरीदारी करने को आने वाले लोगों की गाड़ियां सड़क पर ही खड़ी रहती हैं। जिससे दिन में कई बार रास्ता जाम हो जाता है। बाजार में जो शापिंग काम्प्लेक्स बने हैं, वहां भी पार्किंग की व्यवस्था अच्छी नहीं होने से दिक्कत होती है।
दुकानों के टैक्स और जीएसटी से दिक्कत
नगर निगम ने दुकानों के संपत्तिकर में चार से छह गुना तक की बढ़ोतरी कर दी है। दुकानदार मोहम्मद इमरान बताते हैं कि निगम का जो टैक्स 500 रुपये था, उसे बढ़ाकर 8000 रुपये कर दिया गया है। कर में वृद्धि दो से तीन गुना तक भी बर्दाश्त की जा सकती है। लेकिन मंदी के दौर में भारी-भरकम कर वृद्धि दुकान का शटर गिराने को मजबूर कर रही है। दुकानदारों का गुस्सा जीएसटी को लेकर भी है। रोजमर्रा की जरूरत वाले एलईडी बल्ब से लेकर पंखों पर 18% जीएसटी है। दुकानदारों का कहना है कि एलईडी पर 12 फीसदी जीएसटी लिया जाता था। इसे 18% कर दिया गया। रोजमर्रा की जरूरतों वाले उत्पादों पर जीएसटी 12% से अधिक नहीं होना चाहिए।
पूरे बाजार में एक भी यूरिनल नहीं
नगर निगम यूरिनल निर्माण के नाम पर हर साल भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन इस मार्केट में एक भी यूरिनल नहीं है। जिनकी दुकानें घर में हैं, उनका तो काम चल जाता है। लेकिन किराये पर दुकान संचालित करने वाले कारोबारियों को खुली नालियों और गलियों का सहारा लेना पड़ता है। खरीदारी करने पहुंचे राप्तीनगर निवासी अजय सिंह बताते हैं कि कोतवाली के पास एक यूरिनल है। लेकिन वह भी जर्जर हो चुका है। गंदगी के चलते इसका कोई उपयोग नहीं करना चाहता है। कारोबारी राजीव रस्तोगी का कहना है कि नगर निगम को यूरिनल के लिए सार्वजनिक स्थान की तलाश करनी चाहिए। जिससे हजारों की संख्या में आने वाले खरीदारों को राहत मिल सके।
शिकायतें
एक किलोमीटर के दायरे में बिजली उपकरणों की दुकानें हैं। लेकिन मार्केट की कोई पहचान नहीं है।
पूरे बाजार में एक भी यूरिनल नहीं है। लोग खुले में गलियों व नालियों का सहारा लेते हैं।
नगर निगम संपत्तिकर में बढ़ोतरी कर रहा है। लेकिन कूड़ा निस्तारण नहीं होता।
बिजली उपकरणों के कारोबारी ऑनलाइन कारोबार की मार से जूझ रहे हैं।
कोतवाली रोड पर एक भी पार्किंग नहीं है। गाड़ियां सड़कों पर खड़ी रहती हैं, जाम की समस्या आम है।
सुझाव
चार दशक पुराने बाजार को बिजली मार्केट घोषित कर पहचान दी जाए।
नगर निगम कोई सार्वजनिक स्थान देखकर यूरिनल की व्यवस्था करे।
नगर निगम संपत्तिकर में कमी करे। कूड़ा निस्तारण और रात्रिकालीन सफाई हो।
ऑनलाइन कारोबार की मार से जूझ रहे छोटे दुकानदारों के सरंक्षण के लिए गाइड लाइन जारी हो।
जीडीए और नगर निगम की टीमें संयुक्त रूप से बाजार में सर्वे कर पार्किंग का स्थान सुनिश्चित करें।
लोगों का दर्द
करीब 40 साल पुराना बाजार है। उस दौर में यहां बस रोशनी केंद्र के नाम से दुकान थी। इस बाजार में बस इलेक्ट्रिकल्स के आइटम उपलब्ध हैं, हम चाहते हैं कि इसे बिजली बाजार घोषित किया जाए।
-राजीव रस्तोगी
प्रतिदिन यहां हजारों ग्राहक व कारोबारी आते हैं। बाजार में लोगों के जरूरत की मूल सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। यहां न यूरिनल है न ही पार्किंग की व्यवस्था। आए दिन जाम का सामना करना पड़ता है।
-पदम अग्रवाल
ये किसी विडंबना से कम नहीं है कि हमें पीने का पानी भी खरीदना पड़ता है। नगर निगम को इस ओर ध्यान देना चाहिए। समझ में नहीं आता कि इस बाजार पर नगर निगम की नजर क्यों नहीं पड़ती।
-दिलीप गुप्ता
प्रमुख बाजार होने के बावजूद चौराहा कूड़े से पटा हुआ है। कूड़े की बदबू दुकानदारों और ग्राहकों के लिए सिरदर्द बनी है। रात्रिकालीन सफाई की व्यवस्था शुरू होनी चाहिए।
-मु. आरिफ
इस बाजार में लगभग हर बड़ी कंपनियों के डिस्ट्रिब्यूटर हैं। यहां से इतना कर मिलने के बाद भी बाजार उपेक्षित है। यह बाजार शहर का ही हिस्सा है, क्या ये बात नगर निगम को अलग से बताने की जरूरत है!
-इसरार अली
एक तो व्यापार मंदा है, ऊपर से ऑनलाइन शॉपिंग ने धंधा चौपट किया है। यही हाल रहा तो लोग बाजार भूल ही जाएंगे। इसने हमारे मार्जिन को कम कर दिया है अब हम किसी तरह बस धंधा चला रहे हैं।
-महेंद्र पल सिंह
संपत्ति कर बढ़ने से भी हमारा व्यापार प्रभावित हुआ है। हमारे लिए सुविधाएं कम हैं, जबकि टैक्स उससे कहीं ज्यादा। समझ नहीं आता कि आने वाला समय हमें किस ओर ले जाएगा!
-अल्तमस आरिफ
यहां तकरीबन दो सौ दुकानें हैं इन सबकी एक जैसी समस्या है। हम थक चुके हैं विभाग को बोल-बोल कर कि बाजार में एक पार्किंग और यूरिनल उपलब्ध करा दिया जाए।
-अखिलेश गुप्ता
गोदाम से माल लाने में परेशानी होती है। कब जाम लग जाए इसका कोई भरोसा नहीं रहता। गाड़ियों से आया माल हमें रात के वक्त ही उतरवाना पड़ता है। दिन में चालान और जाम दोनों का खतरा रहता है।
-पंकज गुप्ता
ठीक चौराहे पर ही एक खुला नाला है और उससे सटे बड़ा ट्रांसफार्मर भी है। ये दोनों खुले हैं जो हर समय किसी दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे। इस नाले में कभी जानवर कभी इंसान गिर जाया करते हैं।
-निरंजन सिंह
सड़क के ऊपर लटक रहे बिजली के तारों का जाल बाजार में अव्यवस्था का हाल बयां कर रहे हैं। ये तार जरूरत से ज्यादा नीचे लटक रहे हैं। अंडरग्राउंड केबल बिछने के बाद भी इन्हें हटाया नहीं जा रहा है।
-लकी
सरकार टैक्स और अन्य शुल्क को कम करे, अभी बाजार में बेहद कड़ी प्रतिस्पर्धा है। हर कोई अपनी रोजी के लिए लड़ रहा है। ऊपर से व्यवस्थाओं की मार झेलना मुश्किल है।
-आलोक कुमार
बोले जिम्मेदार
यूरिनल का बजार में नहीं होना बड़ी समस्या है। पर, कोतवाली रोड पर इसके लिए कोई जगह नहीं मिल रही है। वाणी केन्द्र के पास शौचालय को ठीक कराया जाएगा। बिजली मार्केट के नाम को लेकर प्रस्ताव नगर निगम में दिया जाएगा। रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था को लेकर भी अधिकारियों से वार्ता करेंगे।
-आनंद वर्धन, पार्षद, कृष्ण मोहन नगर
कोतवाली रोड पर बिजली मार्केट के पास टॉयलेट बनाने के लिए कोई स्थान नहीं है । किराए पर दुकानें देने वाले व्यापारियों को यूरिनल और टॉयलेट उपलब्ध कराना चाहिए। जिला अस्पताल के पास यूनिरल और पब्लिक टॉयलेट उपलब्ध है। घोष कंपनी चौक अस्थाई रूप से पार्किंग भी संचालित हो रही है
-निरंकार सिंह, अपर नगर आयुक्त
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