बोले गोरखपुर : धूप में कतार, न शौचालय न पानी का इंतजाम
Gorakhpur News - गोरखपुर का पासपोर्ट ऑफिस सुविधाओं की कमी और भीड़ का सामना कर रहा है। बाहर लंबी कतारें लगती हैं, और आवेदकों को बैठने, पानी, और शौचालय की सुविधाएं नहीं मिलती हैं। बिचौलियों का भी प्रभाव है जो आवेदकों को...
Gorakhpur News शाहपुर रोड स्थित पासपोर्ट ऑफिस शहर का एक लैंडमार्क भी है। इस ऑफिस को लोग पासपोर्ट बनवाने या फिर पासपोर्ट में हुई गलती को ठीक कराने के लिए ही नहीं बल्कि सामने लगने वाली भीड़ की वजह से भी पहचानते हैं। शायद ही कोई दिन गुजरता है जब दफ्तर खुला हो और बाहर कम से कम 150 लोगों की कतार न लगी हो। लेकिन यहां पर मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। न बाहर छांव का इंतजाम है, न ही एक अदद शौचालय। बैठने की सुविधा तो दूर की कौड़ी है। प्यास लगने पर पानी तक खरीदकर पीना पड़ता है। गोरखपुर। सर्दी, गर्मी हो या बरसात, पासपोर्ट संबंधी काम के लिए आने वाले लोगों को हर मौसम में दुश्वारियां झेलनी पड़ती है। वैसे तो सामान्य पासपोर्ट बनवाने का समय 20 से 45 दिन ही निर्धारित है, लेकिन भीड़ की वजह से यह संभव नहीं हो पाता है। ऊपर से अगर बाहर फार्म भरने वाले ने थोड़ी सी चूक कर दी तो फिर दोबारा जो समय मिलता है, वह महीनों बाद का होता है। ऐसे में जिन्हें जल्दी विदेश जाना होता है, वे रह जाए। अक्सर बुलाए गए समय से पहले ही पहुंचते हैं, ताकि उनके आवेदन में कोई कमी न होने पाए।
यहां पर आने वाले लोग काफी देर तक अपनी बारी का इंतजार करते हैं। कई बार तो यह इंतजार तीन से चार घंटे तक चला जाता है। इतनी देर तक बिना पेयजल सुविधा और टॉयलेट के रहना लोगों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं होता। लोगों का कहना है कि ऑफिस के नीचे काफी बड़ी पार्किंग और आसपास चाय नाश्ते की छोटी-बड़ी दुकाने हैं पर बैठने की कोई जगह नहीं है। इसलिए यहां खड़ी भीड़ सड़क पर चलने वाले लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी है।
पासपोर्ट ऑफिस पर आए आवेदकों के साथ आसपास के दुकानदारों ने भी इस बावत अपना दर्द जाहिर किया। बताया कि यहां कि भीड़ या दुकानदार खुले में शौच करने को मजबूर हैं। कोई नीचे पार्किंग का इस्तेमाल करता है तो कोई किसी दुकानदार के पीछे। नगर निगम को इस विषय पर सोचना चाहिए। ऑफिस के भीतर तो यूरेनल हैं लेकिन उसका उपयोग बस भीतर जाने वाले आवेदक या ऑफिस कर्मचारी ही कर सकते हैं। आवेदकों के साथ आए हुए लोग और हम दुकानदार किधर जाए कुछ समझ नहीं आता।
बिचौलियों के चक्कर में फंसे तो नुकसान तय
पासपोर्ट आफिस के बाहर ही बिचौलियों ने भी जाल फैला रखा है। यह जल्दी पासपोर्ट बनवाने का झांसा देते हैं और इसके बदले रुपये की मांग करते हैं। अगर इनके झांसे में जो फंसा, उसका आर्थिक नुकसान तय ही है। यह बाहर ही घूमते रहते हैं और जरूरतमंदों को तलाशते हैं। यह ऐसे लोगों को खोजते हैं, जिसे पासपोर्ट की जल्दी हो और फिर अंदर सेटिंग का झांसा देते हैं। पुलिस ऐसे लोगों पर कई बार कार्रवाई भी कर चुकी है, लेकिन फिर भी यह लोगों को फंसाने के लिए यही पर रहते हैं। इससे बाहर कई ठेला लगाने वाले भी सांठगांठ किए हुए हैं, जो इनकी मदद करते हैं।
पासपोर्ट ऑफिस में होनी चाहिए कैंटीन की सुविधा
पासपोर्ट बनवाने आए सिद्धार्थ राय ने कहा कि यहां पर ठेले पर चाय-पकौड़ी, छोले-बठूरे सब मिल जाते हैं, लेकिन इसकी शुद्धता नहीं होती है। कई बार मजबूरी में इसे खाना ही पड़ता है। पिछली बार मेरा भाई खा लिया था और फिर बीमार हो गया था। कम से कम इसकी शुद्धता की जांच होनी चाहिए। संतकबीनगर से आए राजीव ने भी यही शिकायत की। इन लोगों ने बताया कि पासपोर्ट आफिस का कोई अपना कैंटीन नहीं है, जहां पर शुद्धता से खानपान का सामान मिल जाए। यह भी एक बड़ी समस्या है।
शिकायतें
आवेदकों की सबसे बड़ी समस्या पासपोर्ट ऑफिस के आसपास कोई पब्लिक यूरिनल का न होना है।
दूर-दराज से आए हुए आवेदकों के बैठने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। इसलिए ऑफिस के सामने भीड़ लगी रहती है।
जब-तब नियम बदल जाते हैं, जैसे अब सामान्य आधार कार्ड की जगह पीवीसी कार्ड अनिवार्य हो गया है।
आवेदन के बाद अपॉइंटमेंट की तिथि बहुत लंबी मिलती है। इससे लंबे समय तक ऊहापोह की स्थिति रहती है।
सुझाव
ऑफिस के आसपास पब्लिक यूरिनल अनिवार्य रूप से बनना चाहिए। ताकि लोगों को भटकना न पड़े
आवेदकों के बैठने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि ऑफिस के सामने भीड़ जैसे हालात न बनने पाए।
विभाग से सूचनाएं प्रसारित होते रहनी चाहिए, जिससे कि समय से नए नियम की जानकारी हो सके ।
आवेदकों के अपॉइंटमेंट को लेकर विभाग को सहूलियत देनी चाहिए। वेरिफिकेशन आदि की प्रक्रिया जल्द होनी चाहिए।
हमारी भी सुनिए
परिवार के लिए बाहर जाकर जॉब करना चाहता हूं, दो बार आना पड़ा है। सबसे बड़ी दिक्कत यहां पर यूरिनल का न होना है।
- अभिषेक सिंह, बैतालपुर
दो बार कतर हो आया हूं। पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए आया हूं। लंबा इंतजार करना पड़ता है, यहां पर बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए।
- रोशन कुमार द्विवेदी, कसया
दो बार कतर हो आया हूं। पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए आया हूं। लंबा इंतजार करना पड़ता है, यहां पर बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए।
- रोशन कुमार द्विवेदी, कसया
पासपोर्ट ऑफिस के सामने कोई मूलभूत सुविधा नहीं हैं। प्यास लगने पर लोगों को पानी भी खरीदकर पीना एकमात्र विकल्प है।
- नूरानी, लोटन
विदेश में नौकरी लगी है, वहां जाने के लिए जल्द पासपोर्ट चाहिए। आवेदन में गलती की वजह से लंबा समय इंतजार करना पड़ा।
- मुहम्मद फैजान, संतकबीरनगर
2015 में पासपोर्ट बनवाया था, नवीनीकरण के लिए आया हूं। कम्बोडिया में खुद का व्यापार है। यहां आने पर कार में इंतजार करना पड़ता है।
-विकास दुबे, गोरखपुर
पिछली बार जरूरी कागजात पूरे नहीं थे सो, दुबारा आना पड़ा। पार्किंग न होने की वजह से गाड़ी खड़ी करने की कोई जगह ही नहीं है।
-ध्रुप चंद, खलीलाबाद
आधार की पीवीसी प्रति नहीं थी। इसलिए पिछली बार वेरिफिकेशन हो नहीं पाया। अब्बू कुवैत में रहते हैं इसलिए पासपोर्ट की जरूरत है।
- सिराज अंसारी, धुरियापार
आधार की पीवीसी प्रति नहीं थी। इसलिए पिछली बार वेरिफिकेशन हो नहीं पाया। अब्बू कुवैत में रहते हैं इसलिए पासपोर्ट की जरूरत है।
- सिराज अंसारी, धुरियापार
यूरिनल न होना यहां की बड़ी समस्या नजर आ रही है। एक तो पार्किंग नहीं है, दूसरे ठेले वालों की वजह से और जगह नहीं मिलती है।
- राम बेचन, संतकबीरनगर
बैठने के लिए कुछ कुर्सियां लगवाना चाहिए। किसी की तबीयत ही अचानक खराब हो जाए तो फिर उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
- राज हुसैन, जौरा बाजार
मेरे परिवार के लोग विदेश में हैं। मैंने भी आवेदन किया है। यहां पर छांव, यूरिनल जैसी मूलभूत सुविधाओं पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है।
- अविनाश प्रजापति, हाटा
बोले जिम्मेदार
आवेदकों की सुविधा के लिए पासपोर्ट कार्यालय को पत्र लिखा जाएगा। कार्यालय के बाहर बाहर लोगों के बैठने के लिए शेड के साथ ही टॉयलेट और पीने के पानी का इंतजाम कराने को कहा जाएगा।
-अंजनी कुमार सिंह, एडीएम सिटी
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