चोरी हो गई करोड़ों की मिट्टी, प्राधिकरण को ही चुकानी होगी ‘कीमत
Gorakhpur News - गोरखपुर। मुख्य संवाददाता वैदिक सिटी के कॉसेप्ट पर नया गोरखपुर के लिए
गोरखपुर। मुख्य संवाददाता
वैदिक सिटी के कॉसेप्ट पर नया गोरखपुर के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण की ओर से समझौते के आधार पर काश्तकारों से खरीदी गई जमीन से चोरी हुई करोड़ों की मिट्टी की ‘कीमत प्राधिकरण को ही चुकानी होगी। इस मामले में एनएचएआइ के पेटी ठेकेदार मुकदमा दर्ज कराने के बाद भी प्राधिकरण उससे मिट्टी की कीमत वसूल कर पाएगा, संभव नहीं दिख रहा है। ऐसे में परियोजना विकसित करते समय प्राधिकरण को मिट्टी चोरी से बने तालाबों में मिट्टी भराई के लिए स्वयं ही कीमत चुकानी होगी। हालांकि प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि एनएचआई के परियोजना निदेशक को ठेकेदार कर मिट्टी भराई का भुगतान रोकने के लिए पत्र लिखा जाएगा।
प्राधिकरण ने राजस्व ग्राम बालापार और मानीराम में काश्तकारों से समझौते के आधार पर 175 एकड़ जमीन खरीदी है। काश्तकारों से खरीदी गई जमीन से बड़े पैमाने पर मिट्टी खनन की 15 दिन पूर्व शिकायत मिली। अभियंताओं की टीम के साथ पहुंचे जीडीए सचिव उदय प्रताप सिंह ने जब निरीक्षण किया तो शिकायत सही मिली। दोनों गांवों में जगह-जगह गड्ढे मिले। कुछ जगहों पर तो इतने ज्यादा क्षेत्रफल में मिट्टी खनन हुआ कि वह जगह पोखरे में बदल गई, जिसमें पानी एकत्र है।
प्राधिकरण ने आरोपी एनएचएआइ के पेटी ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज कराने के साथ निकाली गई मिट्टी का आंकलन करने के लिए ड्रोन से सर्वे कराया। बालापार और मानीराम ग्राम सभा में क्रय की गई जमीन के निरीक्षण में कई स्थानों पर मिट्टी खनन की पुष्टि हुई है। छह से आठ स्थान पर तो दस फीट तक मिट्टी निकाल ली गई है, जिसके चलते वहां नीचे से पानी आ गया है। संबंधित स्थान पोखरे जैसा नजर आ रहा है।
मिट्टी खुदाई का आंकलन बना रोड़ा
कितनी मिट्टी चौरी हुई इसका आंकलन करने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने ड्रोन से सर्वेक्षण भी कराया, लेकिन यह आंकलन नहीं कर सका कि कितनी मिट्टी निकाली गई। हालांकि दावा किया जा रहा है कि तकरीबन 02 से 2.50 करोड़ रुपये की मिट्टी वहां से अवैध खनन कर निकाली गई। यही वजह है कि 04 से 10 फीट गहराई के तालाब बन गए। प्राधिकरण के अधिकारियों ने मिट्टी खनन से बने बड़े-बड़े पोखरों की फोटोग्राफ भी लिए हैं।
मिट्टी चोरी के मामले में ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। चोरी की मिट्टी की कीमत की वसूली के लिए एनएचएआई के परियोजना निदेशक को पत्र लिखकर संबंधित ठेकेदार के भुगतान से कटौती की मांग की जाएगी।
- उदय प्रताप सिंह, सचिव, जीडीए
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