Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़गोरखपुरGeneral investigations are not being done in the government hospitals of the village

गांव के सरकारी अस्पतालों में नहीं हो पा रही सामान्य जांचें

अनलॉक के बाद गांव के अस्पतालों में ओपीडी शुरू हुई, लेकिन सरकारी अस्पतालों में कोरोना के कारण गर्भवतियों की रूटीन जांच के साथ ही अन्य मरीजों की पैथोलॉजी जांच ठप है। इसकी वजह है पैथोलॉजी के लैब...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरMon, 21 Sep 2020 03:44 AM
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अनलॉक के बाद गांव के अस्पतालों में ओपीडी शुरू हुई, लेकिन सरकारी अस्पतालों में कोरोना के कारण गर्भवतियों की रूटीन जांच के साथ ही अन्य मरीजों की पैथोलॉजी जांच ठप है। इसकी वजह है पैथोलॉजी के लैब तकनीशियन व दूसरे स्टॉफ की कोरोना जांच में ड्यूटी। ऐसे में मरीजों को जांच के लिए बाजार में जाना पड़ रहा है। जहां उनकी जांच में जेब ढीली हो रही हैं।

भटहट स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ओपीडी शुरू हो गयी है। करीब 125 मरीज प्रतिदिन इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। जिसमें गर्भवतियों की संख्या भी करीब 25 से 30 रहती है। गर्भवतियों की हीमोग्लोबिन, शुगर के साथ ही अन्य रूटीन की जांच आवश्यक होती है। इस जांच के लिए उन्हें बाजार में निजी पैथालॉजी सेंटरों पर जाना पड़ रहा है। जहां उनकी जेब ढीली हो रही है।

लैब टेक्नीशियन है कोरोना पॉजिटिव

भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर दो लैब टेक्नीशियन तैनात हैं। दोनों लैब टेक्नीशियन गांवों में पहुंच कर कोरोना जांच कर रहे थे। ऐसे में अस्पताल का पैथोलॉजी कक्ष बन्द रहता है। बताया जा रहा है कि 15 सितम्बर को उनकी भी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गयी। ऐसे में उन्हें होम क्वारन्टीन करा दिया गया है। उनके स्वस्थ्य होने तक दूसरे लैब टेक्नीशियन की व्यवस्था की गयी है।

टीबी के रोगियों के बलगम की नहीं हो पा रही है जांच

छह माह से अस्पताल का पैथालॉजी सेंटर बंद है। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को मामूली जांच के लिए बाजार में जाना पड़ रहा है। इस अस्पताल में टीबी के चिन्हित रोगियों के बलगम की जांच नहीं हो पा रही है। ऐसे में जिम्मेदारों को जिले पर रिपोर्टिंग में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

स्टॉफ की कमी से ठप है जांच

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात अधीक्षक डॉ. अश्वनी कुमार चौरसिया का कहना है कि दोनों लैब टेक्नीशियन कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। ऐसे में लैब में होने वाले जांच कार्य ठप है। उन्होंने बताया कि गर्भवतियों में हीमोग्लोबिन की जांच के लिए किट उपलब्ध कराया गया है। जिससे कितना हीमोग्लोबिन है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

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