कौरव-पाण्डवों की तरह आपसी झगड़े और द्वेष से बचना चाहिए : आचार्य कृष्ण किंकर
Gorakhpur News - गोरखपुर, निज संवाददाता। गीता जयंती के पावन पर्व पर गीता प्रेस में आयोजित शान्तिपर्व
गोरखपुर, निज संवाददाता। गीता जयंती के पावन पर्व पर गीता प्रेस में आयोजित शान्तिपर्व प्रवचन में वृन्दावन से आए आचार्य कृष्ण किंकर ने महाभारत के युद्ध के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कथा के छठवें दिन गुरुवार को कहा कि इस विकराल समय में यदि हमें शान्तिपूर्वक सुखमय जीवन जीना है, तो हमें कौरव-पाण्डवों की तरह आपसी झगड़े और राग द्वेष से बचना चाहिए।
आचार्य ने महाभारत के युद्ध को केवल भव्य संघर्ष नहीं, बल्कि जीवन के अस्तित्व को जानने की एक प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यदि हम पराई बहन-बेटियों के सम्मान का ख्याल रखें और परस्पर भाईचारे का पालन करें, तो हमारे घरों में कभी भी महाभारत जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। वह आगे कहते हैं कि महाभारत केवल युद्ध नहीं था, बल्कि यह जीवन के चार पुरुषार्थों - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए था। महाभारत में वर्णित प्रत्येक कृत्य और नीति को समझकर हम जीवन के उद्देश्य को पहचान सकते हैं। आचार्य ने कहा कि महाभारत में हमे यह सिखने को मिलता है कि यदि हम धर्म का पालन करते हैं, तो हमारे जीवन में कोई भी संकट नहीं आएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि महाभारत के युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने शांति की कामना की थी और कर्ण के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की थी। आचार्य ने कहा कि महाभारत का युद्ध केवल बाहरी युद्ध नहीं था, बल्कि यह अंदरूनी संघर्ष का प्रतीक था, जो आत्मा की शुद्धि और जीवन के उच्चतम उद्देश्य को प्राप्त करने का मार्ग है। कार्यक्रम के अंत में आचार्य ने सभी उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे महाभारत के शिक्षा को आत्मसात कर जीवन में शांति और समृद्धि लाएं। इस दौरान व्यवस्थापक लालमणि तिवारी, प्रोडक्शन मैनेजर आशुतोष उपाध्याय, नरेंद्र लाडिया, संतोष पारीक, रूपेश चौबे आदि मौजूद रहे।
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