अल्फाबेट से टूट रहा गिरोह,अलग-अलग बैरक में बंद हो रहे गैंगस्टर
Gorakhpur News - -जेल के बाहर गिरोह चला रहे गैंग के सदस्य जेल जाते ही एक साथ हो जाते थे-जेल के बाहर गिरोह चला रहे गैंग के सदस्य जेल जाते ही एक साथ हो जाते थे -गिरोह को
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गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता बंदियों को अल्फाबेट के मुताबिक अलग-अलग बैरक बांटे जाने से जेल के अंदर भी अब गिरोह टूट रहा है। पहले एक साथ क्राइम करने वाले गिरोह के सदस्य जब जेल भेजे जाते थे तो एक ही बैरक में पहुंच कर फिर एक साथ हो जाते थे, ऐसे में सिर्फ फरारी के दिन को छोड़ दें, तो बाकी सभी समय गिरोह एक ही साथ रहता था। ऐसे में पुलिस इन पर ठीक से शिकंजा नहीं कस पाती थी। पर अब गिरोह के टूटने का असर साफ तौर पर दिखने लगा है। जेल के अंदर जहां गुटबाजी और विवाद थम गया है, तो बाहर भी शांति महसूस की जा रही है।
दरअसल, गोरखपुर जेल में वर्तमान में दर्जनों गैंग और उसके गैंगस्टर बंद हैं। कुछ महीने पहले तक बदमाश जेल जाने के बाद इकट्ठे हो जाते और वहां भी अपना गुट बनाकर दबंगई शुरू कर देते थे। इस तरह की दबंगई की वजह से कई बार जेल के अंदर दूसरे ग्रुप से विवाद भी शुरू हो जाता था, जिससे जेल प्रशासन को संभालने में काफी दिक्कत होती थी। वहीं जेल से छूटने के बाद बदमाश जब बाहर आते, तब भी कोई फर्क नहीं पड़ता था, उनका गुट बना रहता था। इस समस्या से निजात और बदमाशों के गुट को तोड़ने के लिए उन्हें जेल में अलग-अलग रखने का फैसला किया गया है। इसके लिए जेल प्रशासन ने यह देखना शुरू किया कि एक मुकदमे में कितने बदमाश जेल में आ रहे हैं। उन सभी को उनके नाम के अंग्रेजी अल्फाबेट के हिसाब से अलग-अलग बैरक एलाट करना शुरू कर दिया। करीब तीन महीने से चल रही इस व्यवस्था से काफी लाभ मिल रहा है।
अलग बैरक में बाद भी गुटबाजी दिखी तो जेल से ट्रांसफर
अलग-अलग बैरक में रखने के बाद भी अगर किसी माध्यम से गुटबाजी दिख रही है, तो ऐसे बंदियों का तत्काल दूसरी जेल ट्रांसफर कर दिया जा रहा है। गैंगस्टर एक्ट में बंद सूरज सिंह, विकास मणि और विकास सिंह ने अन्य बदियों से वर्चस्व को लेकर 24 अक्टूबर को जेल में बवाल किया था। जेल में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सात बंदियों का दूसरी जेल भेजा गया था। विकास मणि त्रिपाठी को संतकबीर नगर, सूरज सिंह देवरिया, विशाल सिंह महाराजगंज, दीपक सिंह मऊ, शिव निषाद आजमगढ़, गोविंद यादव संतकबीर नगर और सिद्धार्थ सिंह को महाराजगंज जेल गुरुवार को भेज दिया गया। विकास मणि, सूरज सिंह और विशाल सिंह गैंगस्टर एक्ट में बंद थे।
गोरखपुर जेल में 30 बैरक हैं। एक गुट के बंदियों को बैरक में रखने की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। बंदी के नाम के अंग्रेजी अल्फाबेट के हिसाब से उन्हें अलग-अलग बैरक में रखा जा रहा है। यह व्यवस्था तीन महीने से चल रही है, जिसका लाभ मिल रहा है।
-दिलीप पाण्डेय, जेल अधीक्षक
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