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बीआरडी में स्मोक अलार्म सिस्टम खराब, स्प्रिंकलर बेमतलब

Gorakhpur News - सचित्र बीआरडी मेडिकल कॉलेज मंगलवार को अग्निशमन विभाग ने मेडिकल कॉलेज में किया माकड्रिल

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरWed, 27 Nov 2024 02:04 AM
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गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अग्निशमन उपाय बेपटरी हो चुके हैं। बीते छह साल में यहां आग लगने की दर्जन भर अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, इसके बावजूद लापरवाही बदस्तूर जारी है। मेडिकल कॉलेज के सभी विंग का स्मोक अलार्म सिस्टम खराब है। नेहरू अस्पताल, सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉक के साथ ही अत्याधुनिक 500 बेड वाले बालरोग चिकित्सा संस्थान में स्मोक सिस्टम जवाब दे चुका है। यह सामने आया अग्निशमन विभाग की पड़ताल में।

झांसी मेडिकल कॉलेज के बालरोग विभाग में हुए अग्निकांड के बाद शासन ने मेडिकल कॉलेज में अग्निशमन उपायों की पड़ताल करने का फैसला किया था। इसी क्रम में अग्निशमन विभाग की टीम ने मंगलवार को बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सभी विभागों की सरसरी जांच की है। इसमें मेडिकल कॉलेज में कई खामियां मिली है। सभी प्रमुख भवनों में स्मोक अलार्म सिस्टम खराब है। जिसमें नेहरू अस्पताल और 500 बेड वाला बालरोग संस्थान भी शामिल है। इससे खतरा यह है कि आग लगने के बाद प्रशासन को सूचना देर से मिलेगी। इसी स्मोक अलार्म सिस्टम से ही ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर अटैच होते हैं। वह भी काम नहीं कर रहे हैं।

नहीं है बिजली का जेई व कर्मचारी

अग्निशमन विभाग ने इसको लेकर बीआरडी प्रशासन को कड़ा पत्र लिखा है। कॉलेज में तमाम उपकरण बिजली की वायरिंग से जुड़े हैं। बिजली की वायरिंग में फॉल्ट होने से आए दिन परेशानियां होती है। बिजली आपूर्ति के साथ सर्वर ठप हो जाता है। ऐसे में संस्थान में बिजली वायरिंग, उपकरणों के संरक्षण के लिए कोई अवर अभियंता नहीं है। जबकि कॉलेज में इसका पद सृजित है। इसके अलावा फायर हाइड्रेट सिस्टम के लिए भी पंप ऑपरेटर व कर्मचारी नहीं है। इसको भी अग्निशमन विभाग ने गंभीरता से लिया है।

एक्सपायर फायर एक्सटिंग्विशर से कर दिया मॉकड्रिल

मंगलवार को अग्निशमन विभाग की टीम व कॉलेज प्रशासन ने संयुक्त रूप से प्राइवेट वार्ड के बगल में स्थित मैदान में मॉकड्रिल का आयोजन किया। इस दौरान मेडिकल कॉलेज के नर्सिंग, पैरामेडिकल स्टॉफ के अलावा चिकित्सक व नॉन पैरामेडिकल स्टॉफ भी मौजूद थे। मॉकड्रिल शुरू हुई तो पता चला कि वहां मौजूद फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायर हो गए हैं। फायर एक्सटिंग्विशर पर मैन्युफैक्चरिंग की तारीख मई व जून 2017 लिखी थी। सिर्फ चार वर्ष में सिलेंडर एक्सपायर हो जाते हैं। इस वजह से ड्रिल में फायर एक्सटिंग्विशर सिलेंडर से गैस की जगह रसायन निकलने लगा। ड्रिल के लिए लाए गए कार्बन डाइऑक्साइड गैस सिलेंडर की पाइप में लीकेज थी।

ड्रिल को कराने पहुंचे मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) जसवीर सिंह व अग्निशमन अधिकारी शांतनु कुमार यादव ने इसको लेकर आपत्ति भी जताई। हालांकि मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी मामले को मैनेज करने में जुटे रहे। कॉलेज के करीब 200 कर्मचारियों के सामने आग बुझाने का ड्रिल किया गया। इसके लिए सबसे पहले मैदान के बीच में रखे कूड़े में आग लगाई गई। एक्सपायर एक्सटिंग्विशर की मदद से आग बुझाने की कोशिश हुई। एक्सपायर हो जाने की वजह से वह कारगर नहीं हुआ, तो हौज पाइप से पानी की बौछार डालकर आग बुझा दी गई।

मेडिकल कॉलेज में अग्निशमन इंतजामों में अभी खामियां हैं। खास बात है कि हर जगह का स्मोक अलार्म सिस्टम खराब है। कुछ एक्सटिंग्विशर भी एक्सपायर मिले हैं। फायर हाइड्रेंट सिस्टम के लिए कर्मचारियों की जरूरत है। इस सबके लिए कॉलेज प्रशासन को पत्र लिखा गया है।

जसवीर सिंह, सीएफओ

अग्निशमन विभाग से पत्र मिला है। स्मोक अलार्म सिस्टम को ठीक कराया जाएगा। सिफ ड्रिल में एक्सपायर एक्सटिंग्विशर का उपयोग किया गया है। वार्ड में नए एक्सटिंग्विशर रखे गए हैं।

बलबीर कुमार, अवर अभियंता, बीआरडी मेडिकल कालेज

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