ऑनलाइन मंडी के लिए आढ़तियों को प्रशिक्षण मिला न लागिन-पासवर्ड
गोरखपुर। निज संवाददाता मंडी एक फरवरी से ऑनलाइन हो गई। अधिकारी दावा कर रहे...
गोरखपुर। निज संवाददाता
मंडी एक फरवरी से ऑनलाइन हो गई। अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सब कुछ ठीक से चल रहा है लेकिन हकीकत इससे इतर है। यहां करीब 300 आढ़तियों में से सिर्फ डेढ़ दर्जन के पास कंप्यूटर है। इतना ही नहीं अभी आधे से ज्यादा कारोबारियों को लागिन-पासवर्ड तक नहीं मिला है। आढ़तियों को प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया। इस पर अफसरों का तर्क है कि जिसे जरूरत पड़ रही है उसे लागिन-पासवर्ड देकर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
आढ़तियों के सामने जगह की भी दिक्कत है, जहां वे कम्प्यूटर लगाकर ऑपरेटर बैठाएंगे। मंडी में भीड़ व गाड़ियों की आवाजाही के कारण धूल उड़ती रहती है, जिससे आढ़ती इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वे अपने गोदामनुमा दुकान में कम्प्यूटर और पूरा सिस्टम कैसे लगाएंगे। यदि खुद की दुकान में सिस्टम नहीं लगाते तो बार-बार दूसरी दुकानों पर जाना संभव नहीं होगा। गल्ला कारोबारी पवन सिंघानिया ने कहा कि हर आदमी कम्प्यूटर चलाना नहीं जानता है। इसमें थोड़ा समय लगेगा। मंडी परिषद से सहयोग तो मिल रहा है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। मंडी में आप्टिकल फाइबर बिछाने की मांग की गई है। इसके अलावा मुख्यमंत्री पोर्टल पर बिजली व्यवस्था भी सुनिश्चित करने के लिए आवेदन किया गया है। आलू-प्याज के आढ़ती शम्स तबरेज ने कहा कि मंडी परिषद के सहयोग से अभी कार्य चलाया जा रहा है।
फल-सब्जी बिक्रेता संघ के अध्यक्ष संजय शुक्ला ने बताया कि सब्जी मंडी में एकमात्र कम्प्यूटर नियाज अहमद फर्म के पास है तो फल मंडी में राजू सोनकर के पास। मछली मंडी में भी इक्का-दुक्का लोगों के पास ही सिस्टम है। गल्ला मंडी में करीब एक दर्जन लोगों के पास सिस्टम मौजूद है।
ब्राडबैंड व पावर कट भी चुनौती
मंडी में न तो ब्राडबैंड के लिए आप्टिकल फाइबर केबल बिछा है और न ही हर समय बिजली की ही सुविधा है। वहां के आढ़ती राउटर या वाईफाई से कम्प्यूटर या लैपटॉप ऑनलाइन चलाते हैं। खुद मंडी परिषद कार्यालय में भी राउटर से ही सिस्टम चलते हैं, जिसके कारण वहां भी हमेशा हाईस्पीड इंटरनेट के बिना काम प्रभावित होता रहता है। मंडी में भी सामान्य जगहों की तरह ही पॉवर कट होता है। बिजली रहने पर ही प्रिंटर से बिल निकल पाता है।
आढ़तियों को किया जा रहा है जागरूक
मंडी में 6 आर, 9 आर और गेट पास अब तक मैनुअल ही जारी होते थे। अब ऑफलाइन प्रक्रिया पूरी तरह से बंद कर दी गई है। आढ़ती अभी अपना कार्य मैनुअल ही कर रहे हैं लेकिन मंडी परिषद कार्यालय में उसे ऑनलाइन चढ़ाया जा रहा है। आढ़तियों को इस दौरान सभी कार्यों को ऑनलाइन करने की जानकारी भी दी जा रही है।
ये आढ़ती हैं इसके दायरे में
मंडी में गल्ला, मछली और आलू-प्याज का कारोबार करने वाले आढ़ती मंडी शुल्क के दायरे में आते हैं। इनके अलावा मिर्च, लहसून, अदरक, टमाटर और नींबू के कारोबार पर भी मंडी शुल्क देना होता है। इसके अलावा सभी हरी सब्जियां और फल सभी प्रकार के शुल्क से मुक्त हैं।
हमारे कर्मचारी आढ़तियों का सहयोग कर रहे हैं। किसी भी आढ़ती को कोई परेशानी न हो इस बात का ख्याल रखा जा रहा है। कर्मचारियों को इसके लिए पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिनके पास कम्प्यूटर नहीं है, वे कैफे से या मंडी परिषद कार्यालय से ऑनलाइन करा रहे हैं।
सेवराम वर्मा,
मंडी सचिव, गोरखपुर
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