महंत दिग्विजयनाथ ने मदन मोहन मालवीय की परम्परा को आगे बढ़ाया: डा. रमन

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की ननिहाल, माता कौशल्या की नगरी से आए छत्तीसगढ़ के सीएम डा. रमन सिंह ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सफर को रेखांकित करते हुए डा.रमन ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत...

हिन्दुस्तान टीम गोरखपुरTue, 4 Dec 2018 12:43 PM
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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की ननिहाल, माता कौशल्या की नगरी से आए छत्तीसगढ़ के सीएम डा. रमन सिंह ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सफर को रेखांकित करते हुए डा.रमन ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने महामना मदन मोहन मालवीय की परम्परा को आगे बढ़ाया। छात्रों का आह्ववान किया वे भविष्य के भारत के लिए स्वयं को मिल रही सुविधाओं एवं अवसर का लाभ उठाते हुए आने बढ़े। मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल की चर्चा करते हुए कहा कि 15 साल के सफर में पिछड़े छत्तीसगढ़ को विकिसत छत्तीसगढ़ बनाया। मुख्यमंत्री के रुप में योगी आदित्यनाथ के काम-काज की सरहाना करते की। कहा कि योगी प्रदेश की 22 करोड़ जनता के लिए उत्तर प्रदेश का नव निर्माण कर रहे हैं।

डा. रमन सिंह मंगलवार को बतौर मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के स्थापना समारोह के उदघाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने परिषद के 41 संस्थाओं से आए छात्रों की शोभायात्रा की सलामी लेते हुए रवाना किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यक्रम में आमंत्रित कर गुरु गोरक्षनाथ की नगरी की मिट्टी का अपने माथे पर तिलक लगाने का सौभाग्य प्रदान किया।

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री और महाराणा शिक्षा परिषद के मुखिया योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश और परिषद ने जो उपलब्धियां, उंचाईया और कीर्तिमान स्थापित किए दूसरे मुख्यमंत्रियों के लिए भी प्रेरणादायक हैं। उनके ही आयोजन में उनका स्वागत और अभिनंदन करता हूं। मर्यादा पुरुषोत्तम की अयोध्या से स्वयं को जोड़ते हुए डा. रमन सिंह ने कहा कि मॉ कौशल्या की नगरी और मॉ कौशल्या के जन्मस्थान से यहां आया हूं। इस पर सभी ने तालियां बजा कर उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि 1932 में महाराणा शिक्षा परिषद की स्थापना ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महराज ने की जो ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ से अब गुरु गोरक्षपीठाधीश्ववर योगी आदित्यनाथ आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार गोरखपुर आने का आने का अवसर मिला।

छत्तीसगढ़ की 2.50 करोड़ की जनता के मंगल और तरक्की की कामना की

गोरखनाथ मंदिर में गुरु गोरक्षनाथ की पूजा अर्चना की जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यहां कि उर्जा, शक्ति एवं प्रताप को महसूस किया। छसीसगढ़ की ढाई करोड़ जनता एवं पूरे देश के लिए मंगल और तरक्की की कामना की, क्योंकि गुरु गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से शांति एवं विकास की यात्रा में सफल होंगे।

15 साल के सफर में विकसित छत्तीसगढ़ बनाया

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ से चल कर आया हूं। वह छत्तीसगढ़ जिसे पिछड़ा छत्तीसगढ़ कहा जाता था, पलायन करने वाला छत्तीसगढ़ कहा जाता था, जहां भूख से मौत होती थी। 2000 में छत्तीसगढ़ के निर्माण के बाद 2003 से मुख्यमंत्री बनने का अवसर छत्तीसगढ़ की जनता ने दिया। इस 15 साल की यात्रा में जिसे पिछड़ा छत्तीसगढ़ कहा जाता था, एक विकसित छत्तीसगढ़ के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने कहा कि इस मंच से छत्तीसगढ़ के बारे में बताना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ की हिन्दुस्तान में विशिष्ठ पहचान बनी है। हिन्दूस्तान में कुल उत्पादित होने वाले स्टील का 22 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से आता है। हिन्दुस्तान में कुल उत्पादन होने वाले सिमेंट का 16 फीसदी छत्तीसगढ़ से आता है। हिन्दुस्तान में कुल पैदा होने वाले अल्युमिनियम का 18 फीसदी अकेला छत्तीसगढ बनाता है। उर्जा के रूप में विशिष्ट पहचान बनाते हुए छत्तीसगढ़ 22000 मेगावाट पॉवर का जनरेशन करता है। धान, कोल, आयरन के उत्पादन में विशिष्ट बने छत्तीसगढ़ से यहां आया हूं।

मालवीय जी की परम्परा को ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ ने आगे बढ़ाया

डा. रमन सिंह ने कहा कि 1916 में काशी विद्यापीठ की स्थापन पंड़ित मदन मोहन मालवीय ने की, उस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए देश की संस्कृति, परम्परा को संरक्षित करने के लिए ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। बिट्रिश राज के दौर में राष्ट्र, प्रेम, शिक्षा के प्रसार और अपने जीवन मूल्यों के संरक्षण के लिए यह चुनौती पूर्ण कार्य था। महाराणा प्रताप के आदर्श को देश के स्वाभीमान और देश की आजादी की रक्षा के लिए युवाओं के समक्ष आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया। महाराणा प्रताप ने अपने जीवन संघर्ष में समझाया कि देश की स्वाभीमान की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह संस्थान नई पीढ़ी के निर्माण के लिए विज्ञान के साथ वेद, संस्कार और संस्कृति प्रदान कर रहा। 1932 से 1918 तक 50 संस्थाओं की यात्रा अनुकरणीय है। शिक्षा से बड़ा यज्ञ, धर्म और कर्म नहीं हो सकता। गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना का आधार भी शिक्षा परिषद से ही रखा गया। डा. रमन सिंह ने गोरखनाथ मंदिर में सोमवार की रात देखे लाइट एण्ड साउंड शो की भी तारीफ की। कहा कि गोरक्षपीठ की यात्रा मुझे देखने का अवसर मिला।

छात्रों से किया सीधा संवाद

छात्रों से मुखातिब डा. रमन सिंह ने कहा कि कल के संघर्ष के लिए कैसे आज अपने आप को आध्यात्मिक, शैक्षणिक, शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक रुप से मजबूत हो सकते हैं, इसकी तैयारी करनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कड़ी से कड़ी मेहनत, मेहनत का कोई विकल्प नहीं हो सकता है। भविष्य के निर्माण के लिए मिले इस अवसर और सुविधाओं का लाभ लेते हुए बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करें न केवल शिक्षा बल्कि शारीरिक रूप से खेल में भी अपनी गतिविधियां बढ़ाएं। शिक्षित युवा ही देश के भविष्य हैं, देश को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाएंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम काज को सराहा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज की सराहना करते हुए डा. रमन सिंह ने कहा कि 22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदि्यनाथ के कार्यकाल में परिवर्तन दिखाई दे रहा है। सांसद के बाद मुख्यमंत्री के रूप में अपनी इस पारी को उन्होंने जिस रूप में नई व्यवस्थाएं बनाने में खेला है, दूसरे मुख्यमंत्रियों को प्रेरणा देने वाली है। पहली बार समर्थन मूल्य पर धान-गेहूं खरीद की व्यवस्थित व्यवस्था शुरू हुई, गन्ना मूल्य भुगतान की किसानों को दिलाया, उत्तर प्रदेश के निर्माण में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने, कानून व्यवस्था में सुधार किया। उत्तर प्रदेश नव निर्माण के मार्ग पर बढ़ा है।

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