घरेलू हिंसा में खराब हो रहे महिलाओं के कान के पर्दे
Gorakhpur News - पूर्वांचल और बिहार की महिलाओं में सबसे अधिक मिल रही यह परेशानी 20 से 25 फीसदी महिलाओं के कान के पर्दे मिल रहे खराब मरीजों से बात में सामने आया

गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। घरेलू हिंसा में पूर्वांचल और बिहार की महिलाओं के कान के पर्दे खराब हो रहे हैं। इसे ठीक करने के लिए सर्जरी (टिम्पेनोप्लास्टी) करनी पड़ रही है। एम्स के नाक, कान एवं गला रोग विभाग की ओपीडी में आने वाली महिलाओं की जांच में यह खुलासा हुआ है।
एम्स के नाक, कान एवं गला रोग विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 300 मरीज इलाज के लिए आते हैं। जांच के दौरान इनमें 10 से 15 फीसदी के कान के पर्दे खराब मिलते हैं। इस तरह महीने भर में करीब एक हजार मरीजों में कान के पर्दे की समस्या पाई गई। इनमें महिलाओं का संख्या 10 से 12 फीसदी रहती है। डॉक्टरों के अनुसार, बातचीत के दौरान पता चलता है कि हर महीने औसतन पांच से सात महिला मरीज ऐसी हैं, जिनके कान के पर्दे घरेलू हिंसा में खराब हुए हैं। इनमें बिहार की महिलाओं की संख्या तीन से चार जबकि, दो से तीन महिलाएं पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों की होती हैं। इन महिलाओं के कान के पर्दे इस कदर खराब मिल रहे हैं कि सर्जरी करनी पड़ रही है। ऐसी महिलाओं के कान से मवाद के साथ खून आने की भी शिकायत मिल रही है। हालांकि, इलाज से समस्या का समाधान हो जा रहा है।
एम्स के मुताबिक, कान पर्दे में दिक्कत की वजह संक्रमण (ओटिटिस मीडिया) भी है। जिन महिलाओं में संक्रमण की वजह से कान के पर्दे खराब हो रहे हैं, उनमें ज्यादातर का इलाज दवा से हो जा रहा है, लेकिन पर्दे में सुराख होने के मामलों में सर्जरी करनी पड़ रही है।
एम्स की मीडिया प्रभारी डॉ. आराधना सिंह ने बताया कि ईएनटी विभाग में अलग-अलग तरह की समस्याओं से पीड़ित इलाज के लिए आते हैं। मारपीट के दौरान कई बार चोट लगने के कारण महिलाओं के कान के पर्दे फट जाते हैं। ऐसे मरीजों की सर्जरी कर एम्स के डॉक्टर इलाज कर रहे हैं।
पांच से छह फीसदी पुरुष भी मारपीट की वजह से समस्या के शिकार
डॉक्टरों के अनुसार, महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी कान के पर्दे फटने और खराब होने की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। इनमें पांच से छह फीसदी पुरुष ऐसे हैं, कान के पर्दे फटने का कारण मारपीट बताते हैं। ऐसे मरीज हर सप्ताह दो से तीन आ रहे हैं।
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