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डिजिटल दौर में खुद ब खुद फल-फूल रही हिन्दी

Gorakhpur News - गोरखपुर विश्वविद्यालय में विश्व हिन्दी दिवस पर प्रो. दीपक प्रकाश ने बताया कि डिजिटल युग में हिन्दी का विस्तार हो रहा है। गूगल के हिन्दी ऐप और सोशल मीडिया के माध्यम से हिन्दी सामग्री आसानी से उपलब्ध हो...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरFri, 10 Jan 2025 02:07 AM
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गोरखपुर, निज संवाददाता। भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है। डिजिटल के दौर में इंटरनेट पर हिन्दी सामग्री की उपलब्धता का विस्तार हुआ है। विश्व हिन्दी दिवस के मौके पर गोविवि के हिन्दी विभाग के प्रो. दीपक प्रकाश ने कहा कि डिजिटल दौर में हिन्दी खुद ब खुद फल-फूल रही है। आज के समय में हिन्दी निश्चित रूप से सबल हुई है। हिन्दी के विस्तार को ध्यान में रखते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रम में प्रवासी हिन्दी साहित्य के साथ-साथ वैश्विक साहित्य को भी जोड़ा है। डिजिटल दौर में गूगल द्वारा लांच किए गया हिन्दी ऐप, हिन्दी पढ़ने-लिखने में सहायक हुआ है। वर्तमान समय में गूगल की सहायता से किसी भी भाषा की सामग्री को बहुत ही आसानी से हिन्दी में अनुवाद कर उसके दर्शन को पढ़ा और समझा जा सकता है। फेसबुक इंस्टाग्राम या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हिन्दी के क्षेत्र में योगदान देते हुए हिन्दी को समृद्ध कर रहे हैं। आज हर हिन्दी भाषी व्यक्ति बहुत सरलता के साथ इंटरनेट के माध्यम से हिन्दी का प्रयोग कर रहा है। हिन्दी दिवस मनाने के पीछे मुख्य कारण, वैश्विक स्तर पर भारतीय भाषा का विस्तार करना था।

उन्होंने बताया कि प्रवासी हिन्दी साहित्य के निर्धारित पाठ्यकम में अंजना सुधीर, सुदर्शन प्रियदर्शनी, सुधा ओम ढ़ींगरा की ‘नेकदिल, ‘कठपुतली जैसी काव्य कृतियां शामिल हैं। वहीं इंग्लैण्ड से ऊषा वर्मा की ‘कारगिल 11 दिसम्बर के बाद जैसी कृति के साथ तजेंद्र शर्मा व प्राण शर्मा जैसे रचनाकारों की काव्य कृतियां शामिल हैं। मॉरिसस से धर्मानंद की ‘उम्मीदों का स्नान, ‘छत उजड़ गई जैसी रचनाओं को स्थान मिला है। श्याम त्रिपाठी कनाडा से और जर्मनी से इंदु प्रकाश पाण्डेय की ‘कहीं से कहीं नहीं व ‘विदेशी बेगानापन जैसी काव्य कृतियां शामिल हैं। प्रवासी हिन्दी कहानीकार के तौर पर तेजेंद्र शर्मा, सुधा ओम ढ़ींगरा आदि की रचनाएं रखी गई हैं। उन्होंने बताया कि अभी गोविवि के हिन्दी विभाग में कोई विदेशी छात्र पंजीकृत नहीं है।

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